
जांजगीर जेल (Photo Patrika)
CG News: शारदीय नवरात्रि का पर्व इस बार जिला जेल जांजगीर में भी अलग ही अंदाज में मनाया जा रहा है। जेल की ऊंची-ऊंची दीवारों और सत नियम-कायदों के बीच भक्ति और आस्था का ऐसा नजारा शायद ही कभी देखने को मिला हो। यहां 20 बंदी अपनी गल्तियों से तौबा करते हुए माता दुर्गा की साधना में लीन हैं और पूरे 10 दिन का उपवास रखकर आत्मिक शांति की तलाश कर रहे हैं। सुबह-शाम जब भजन-कीर्तन की धुन गूंजती है तो पूरा जेल परिसर मंदिर जैसा माहौल बना देता है। कई बंदी ढोलक और झांझ बजाते हैं तो कुछ देवी के भजन गाकर अपने अपराधबोध से मुक्ति की राह तलाशते हैं।
उनका कहना है कि बीते जीवन में भले उन्होंने गलती की हों, लेकिन अब भक्ति के मार्ग पर चलकर समाज और परिवार की सेवा करना ही उनका लक्ष्य है। इस विशेष पहल को और जीवंत बनाने का श्रेय जेल प्रशासन के अनुसार मैन्युअल नियमों के चलते किसी बंदी को विशेष भोजन नहीं दिया जा सकता केवल फलाहारी व्यवस्था ही होती है। ऐसे में बंदियों के लिए संबल बना। यदि कोई व्यक्ति अपनी गलतियों को सुधारते हुए नई शुरुआत करना चाहता है तो समाज का कर्तव्य है कि वह उसे सहयोग दें। बंदियों का यह प्रयास समाज के लिए भी प्रेरणा है कि इंसान कभी भी अपनी राह बदल सकता है।
धर्मनगरी शिवरीनारायण के समाजसेवी प्रकाश बंसल ने जिला जेल के उपवास कर रहे 20 बंदियों के लिए फल सामग्री उपलब्ध कराकर मानवीयता की मिसाल पेश की है। बंदी भी इंसान हैं। यदि वे अपनी गलती सुधारकर भक्ति और सेवा के मार्ग पर चलना चाहते हैं तो समाज को उनका हौसला बढ़ाना चाहिए। उनकी इस पहल ने न केवल उपवास कर रहे बंदियों का मनोबल बढ़ाया, बल्कि समाज को भी यह संदेश दिया कि सुधार और नई शुरुआत के लिए सहयोग की जरूरत होती है।
Updated on:
26 Sept 2025 03:51 pm
Published on:
26 Sept 2025 03:50 pm
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