
Success Story: जांजगीर चांपा के छोटे से गांव व सुविधाविहीन जगह से संघर्ष का सामना किया, कभी भी हार नहीं मानी और सफलता हासिल की। विशेष रूप से परिश्रम, आत्मविश्वास और संघर्ष हैं, जिस पर हर सफल इंसान अपना इमारत खड़ा की है। कुछ इसी तरह की कहानी जिले के अपर कलेक्टर एसपी वैद्य की है। संघर्ष व दृढ़ संकल्प से आज वह जांजगीर-चांपा जिले के अपर कलेक्टर के पद पर पदस्थ हैं।
प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में पत्रकारों को अपनी संघर्ष की कहानी बताया। उन्होंने कहा कि वह अपनी जिंदगी में कभी भी हार नहीं मानी। मध्यप्रदेश के बालाघाट के एक छोटे सुविधाविहीन गांव भेंडारा निवासी एसपी वैद्य के पिता बीड़ी बनाने का काम करते थे। प्राइमरी स्कूल की पढ़ाई गांव में ही हुई। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए गांव में स्कूल ही नहीं था। करीब 7 किमी दूर गांव आरंभा था। यह गांव में जाने के लिए सड़क तो दूर की बात साइकिल के लिए भी रास्ता नहीं था। इसलिए पैदल दोस्तों के साथ ही 7 किमी की दूरी तय कर हर रोज आरंभा स्कूल जाते थे।
मेट्रिक के बाद बीए की पढ़ाई हुई। इसके बाद दोस्तों के साथ शिक्षक पद में आवेदन भर दिए। इस दौरान हम सभी दोस्तों का शिक्षक के पद में सलेक्शन भी हो गया। सभी बाकी दोस्तों ने ज्वाइन भी कर लिया, लेकिन वैद्य ने नहीं किया। पढ़ाई में शुरू से लगन व रूचि होने के कारण ध्यान कभी भटका नहीं। बेरोजगारी के दौर से गुजर रहे वैद्य को पिता, दादी व दादी ने कुछ करो सहित ताना मारना शुरू कर दिए। लेकिन इसके बाद फिर से यूपीएससी की तैयारी शुरू की।
पहले ही अटेम्प्ट में प्री के साथ मेंस भी निकाल लिए। लेकिन इंटरव्यू नहीं निकाल सके। उन्होंने कहा कि हमारे बीच किसी भी दोस्तों ने नहीं निकाला। एमपी पीएससी की तैयारी शुरू करने लगे। इसमें भी पहले अटेम्प्ट में सफलता नहीं मिली। इसके बाद निराशा तो हाथ लगी, लेकिन हिम्मत नहीं हारा। दूसरे प्रयास में एमपी पीएससी में सलेक्शन नायब तहसीलदार के पद पर हुआ। पहला पोस्टिंग रायपुर मिला। यहां से देवभोग ट्रांसफर कर दिया गया। देवभोग को उस समय काला पानी की सजा बोला जाता था। क्योंकि वहां जाने के लिए दुर्गम रास्ता व एकमात्र राज्य सरकार की बस चलती थी।
दुर्ग के बाद कोरबा में तहसीलदार के पद पर पदोन्नति हुआ। इसके बाद एसडीएम पर पदोन्नति दंतेवाड़ा में मिली। नक्सली क्षेत्र में दंतेवाड़ा का नाम सुनते ही दशहत में पूरा परिवार आ गया। लेकिन प्रमोशन था छोड़ भी नहीं सकते थे। वहां से सुकमा ट्रांसफर हो गया। घने नक्सली क्षेत्र सुकमा में करीब ढ़ाई साल दशहत के साए में बीता। इस तरह एसडीएम के प्रमोशन के बाद आज जांजगीर-चांपा जिले में अपर कलेक्टर हैं।
सुकमा जिले में एसपी वैद्य एसडीएम के रूप में पदस्थ थे। ग्राम सुराज अभियान के तहत केरलापाल क्षेत्र के गांव मांझीपाड़ा में 20 अप्रैल 2012 को कार्यक्रम था। जिसमें कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन, एसडीएम एसप वैद्य सहित अन्य अफसर पहुंचे थे। कलेक्टर खेती के बारे में किसानों को जानकारी देते थे, साथ ही समस्याओं से रूबरू हो रहे थे। इस दौरान कलेक्टर के एक गार्ड का गला रेत दिया। दूसरे गार्ड को गोली मार दिया। फिर मौके पर एसडीएम वैद्य, कलेक्टर मेनन सहित चार लोग ही पहुंचे।
कुछ दूर चले इसी दौरान 8 से 10 नक्सली हथियार से लैस पहुंच गए। सभी पसीना से तरबतर हो गए। केवल कलेक्टर एजेक्स पाल मेनन को अपहरण कर ले गए। फिर एसडीएम वैद्य सहित अन्य दो अधिकारी पैदल 2 किमी दूर बटालियन पहुंचे। अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी दशहत के बीच से वहां से निकलकर आए।
Updated on:
09 Dec 2024 06:21 pm
Published on:
09 Dec 2024 06:20 pm
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