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नहीं हो सकी जिले की 18 सौ आंगनबाड़ी केंद्रों की रसोई धुंआमुक्त, बच्चे परेशान पढ़िए पूरी खबर…

Anganbadi center : नई सरकार की डीएमएफ फंड पर रोक लगने से अब मंजूरी मिलना भी तय नहीं

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Anganbadi center : नई सरकार की डीएमएफ फंड पर रोक लगने से अब मंजूरी मिलना भी तय नहीं

नहीं हो सकी जिले की 18 सौ आंगनबाड़ी केंद्रों की रसोई धुंआमुक्त, बच्चे परेशान पढ़िए पूरी खबर...

जांजगीर-चांपा. अगस्त 2018 में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिले की 1816 आंगनबाड़ी केंद्रों की रसोई की धुंआमुक्त बनाने के लिए डीएमएफ फंड से 1 करोड़ 27 लाख 12 हजार रुपए का प्रस्ताव बनाकर जिला प्रशासन को भेजा था मगर अब सालभर होने को आए हैं अब तक इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली। ऐसे में इन आंगनबाड़ी केंद्रों की रसोई धुंआमुक्त नहीं हो पाई।
इधर प्रदेश में सरकार बदलने के बाद डीएमएफ पर वैसे ही रोक लगी हुई है। ऐसे में अब तो अनुमति मिलने की बाद भी बेमानी ही लग रही है। चूल्हा में खाना बनाने की मजबूरी बनी हुई है और धुंए से बच्चे और कार्यकर्ता-सहायिका भी परेशान हैं। उल्लेखनीय है कि जांजगीर-चांपा जिले में आंगनबाड़ी केंद्र और मिनी आंगनबाड़ी केंद्र मिलाकर वर्तमान में 2271 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं। इनमें से 455 आंगनबाड़ी केंद्रों को ही महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा गैस सिलेंडर और चूल्हा उपलब्ध करा पाया है। इसके बाद बाकी के 1816 में गैस सिलेंडर और चूल्हा बांटने के लिए जो प्रपोजल बनाकर विभाग ने भेजा उसे मंजूरी नहीं मिल पाई और सभी आंगनबाड़ी केंद्र धुंआमुक्त नहीं हो सका।
दरअसल, जब प्रदेश में उज्जवला योजना के तहत हर घर की रसोई को धुंआमुक्त बनाने और महिलाओं के स्वास्थ्य को देखते हुए 200 रुपए में गैस कनेक्शन बांटा गया। उज्जवला के तहत जिले में लाखों कनेक्शन बांटे गए मगर इसके बाद भी आंगनबाड़ी केंद्रों में महिला कार्यकर्ता चूल्हे में खाना बनाने मजबूर हो रही थी। इसको देखते हुए विभाग द्वारा जिला प्रशासन की मदद से आंगनबाड़ी केंद्रों में भी गैस सिलेंडर और चूल्हा देने की योजना बनाई। शुरूआत में जिले की शहरी इलाकों में संचालित ५० आंगनबाड़ी केंद्रों को डीएमएफ फंड से गैस सिलेंडर दिया गया। इसके बाद दूसरे क्रम में 405 आंगनबाड़ी केंद्रों में गैस सिलेंडर और चूल्हा बांटा गया। इस तरह 455 केंद्रों में ही गैस चूल्हा और सिलेंडर बंट गया। इसके बाद बाकी बचे 1816 केंद्रों को गैस सिलेंडर और चूल्हा बांटने के लिए प्रति कनेक्शन 7 हजार की दर से 1 करोड़ 27 लाख 12 हजार रुपए का प्रस्ताव जिला प्रशासन को भेजा गया मगर फाइल वहीं रूकी रही और फिर विधानसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लग गई और इसके बाद सरकार ही बदल गई। नई सरकार ने डीएमएफ फंड पर खर्च करने से रोक लगा दी और प्रस्ताव अधर में लटक गया।

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चूल्हा के कारण घर किराए पर नहीं मिलता
इधर ग्रामीण क्षेत्रों में चूल्हे पर खाना पकाने को देखते हुए ही लोग आंगनबाड़ी केंद्र के लिए अब घर किराए पर देना नहीं चाहते। किराया में मात्र 200 रुपए महीना मिलता है। ऐसे में मजबूरी में कई आंगनबाड़ी केंद्रों में स्वयं से खर्च कर भी गैस सिलेंडर ले लिया है। क्योंकि आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन जरूरी है। ईंधन खर्च के रूप में मामूली सी रकम दी जाती है।

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2271 में से शहरी क्षेत्र में संचालित 445 आंगनबाड़ी केंद्रों को गैस सिलेंडर और चूल्हा दिया जा चुका है। बाकी 18 सौ केंद्रों के लिए पिछले साल प्रपोजल बनाकर जिला प्रशासन को भेजा गया था। मंजूरी नहीं मिल पाई है। फंड आने पर बांटा जाएगा।
बसंत मिंज, जिला महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी