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कुछ तो करो कलेक्टर साहब! 13 दिनों से सिविल सर्जन का पद खाली, डॉक्टर हो गए हैं बेलगाम

जिला अस्पताल के डॉक्टरों की आदत में नहीं हो रहा सुधार

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जिला अस्पताल के डॉक्टरों की आदत में नहीं हो रहा सुधार

जिला अस्पताल के डॉक्टरों की आदत में नहीं हो रहा सुधार

जांजगीर-चांपा. जिला अस्पताल के सिविल सर्जन का पद १३ दिनों से रिक्त है। यहां डॉक्टरों पर लगाम लगाने वाला कोई नहीं है। सिविल सर्जन का प्रभारी खुद सीएमएचओ अपने पास रखे हुए हैं, लेकिन उनके द्वारा जिला अस्पताल की मॉनिटरिंग नहीं जाती।

इसके चलते डॉक्टर पूरी तरह से बेलगाम हो चुके हैं। यहां लाख कोशिशों के बाद भी डॉक्टर न तो समय पर अस्पताल पहुंचते और न ही मरीजों की इलाज में संजीदा रहते। सुबह से लेकर दोपहर दो बजे तक सैकड़ो मरीज डॉक्टरों के चेंबर के बाहर लाइन लगाए खड़े रहते हैं, लेकिन डॉक्टरों का चेंबर हमेशा खाली पड़ा होता है। कोई डॉक्टर राउंड का बहना बनाकर चेंबर में नहीं रहता तो,

कई डॉक्टर आपरेशन ड्यूटी के बहाने अपने क्लीनिक में सेवा देते हैं। अलबत्ता जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे सैकड़ो मरीजों को केवल निरासा हाथ लग रही है।


कहा जाता है डॉक्टर भगवान को दूसरा रूप है, लेकिन जिला अस्पताल के डॉक्टरों के लिए यह कहावत दूर-दूर तक चरितार्थ नहीं हो रहा है। क्योंकि यहां के सरकारी डॉक्टर केवल सरकार के पैसे ले रहे हैं और सेवा अपनी क्लीनिक में दे रहे हैं। इधर मौसमी बीमारी के चलते जिला अस्पताल में मरीजों की भीड़ लगातार बढ़ रही है।

यहां हर तरह के बीमार लोग सुबह से लेकर शाम तक पहुंचते हैं। हर दिन ओपीडी में तकरीबन ३०० मरीज पहुंचते हैं, लेकिन इनका इलाज करने वाला कोई नहीं होता। जिला अस्पताल के वेटिंग हाल में सुबह से लेकर शाम तक मरीजों की भीड़ देखी जा सकती है।

मरीज केवल डॉक्टरों की प्रतीक्षा में रहते हैं। इसके बाद भी उनका दर्शन दुर्लभ होता है। यहां के डॉक्टर तब से और बेलगाम हो चुके हें जब से सिविल सर्जन का पोस्ट रिक्त है। ३० मई को सिविल सर्जन डॉ. एससी श्रीवास्तव के रिटायर होने के बाद यहां की व्यवस्था देखने कोई नहीं पहुंच रहा है। हर बार की तरह सोमवार को पत्रिका की टीम ने जिला अस्पताल का जायजा लिया तब चौकाने वाले मामले सामने आए। जिला अस्पताल के सारे के सारे डॉक्टरों का चेंबर खाली पड़ा था। दोपहर एक बजे तक तकरीबन सौ मरीज जिला अस्पताल के कंपाउंड में डॉक्टर की प्रतीक्षा करते बैठे थे, लेकिन आधे से अधिक डॉक्टर अस्पताल से नदारद थे। जिसके चलते मरीज बैठे ही रह गए। कुछ मरीज ऐसे थे जिन्हें हड्डी रोग की शिकायत थी, लेकिन हड्डी रोग के डॉक्टर नहीं होने के कारण उन्हें दिन भर उनकी प्रतीक्षा करनी पड़ी।

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क्या कहते हैं मरीज
सोमवार को जिला अस्पताल पहुंचे सिवनी के मरीज चैन सिंह राठौर ने बताया कि उनका पांच फै्रक्चर हो गया था। जिला अस्पताल में अस्थी रोग विशेषज्ञ को दिखाना था, लेकिन अस्थि रोग विशेषज्ञ पेशी में बाहर गए थे। उनके स्थान पर डॉ. ताम्रकार की ड्यूटी लगाई गई थी, लेकिन वे भी अस्पताल में दिखाई नहीं दिए। उन्हें दोपहर तक बैठना पड़ा और डॉक्टर नहीं मिलने से बैरंग लौटना पड़ा।

इसी तरह जांजगीर से आए मरीज ममता राठौर ने बताया कि उन्हें इलाज के लिए पिछले तीन दिनों से जिला अस्पताल के चक्कर काट रहीं हैं, लेकिन जिला अस्पताल के डॉक्टरों के दर्शन दुर्लभ हो चुका है। हर बार की तरह सोमवार को भी डॉक्टर से मिलने आए थे लेकिन जिला अस्पताल में डॉक्टर नहीं होने से सुबह से लेकर शाम तक भटकना पड़ा। आखिरकार उसे बैरंग लौटना पड़ा। वहीं सुकली के मरीज किशोर ने बताया कि उसे सर्दी खांसी की समस्या थी। उसे नाक कान गला रोड के डॉक्टर को दिखाना था, लेकिन डॉक्टर मिले ही नहीं। सुबह ९ बजे से लेकर दोपहर दो बजे तक बैठा रहा। इसके बाद बैरंग लौटना पड़ा।


-जिला अस्पताल के डॉक्टरों को उनके काम -काज में सुधार लाने के लिए बार -बार कहा जाता है, लेकिन उनके कार्यप्रणाली में सुधार नहीं हो रहा। फिर से उन्हें अल्टीमेटम दिया जाएगा।
-डॉ. वी जयप्रकाश, सीएमएचओ