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Video- लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, हड़ताल में जाने से दफ्तरों में पसरा रहा सन्नाटा

- विभिन्न काम से दफ्तरों में आए लोगों को लौटना पड़ा बैरंग

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लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, हड़ताल में जाने से दफ्तरों में पसरा रहा सन्नाटा

लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, हड़ताल में जाने से दफ्तरों में पसरा रहा सन्नाटा

जांजगीर-चाम्पा. छत्तीसगढ़ प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ के आह्वान पर प्रदेश के समस्त लिपिकों ने शुक्रवार की सुबह से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पुरानी मांग एवं वेतन विसंगति दूर करने प्रदेश शासन से मांग करते हुए संघ द्वारा शासन प्रशासन को पत्राचार, रैली, सांकेतिक हड़ताल, मंत्रालय घेराव, मुख्यमंत्री को विकास यात्रा के दौरान हर जिले से ज्ञापन सौंपकर वेतन विसंगति दूर करने अनुरोध किया गया, लेकिन सरकार ने आज तक उनकी मांगों पर विचार नहीं किया। इसके चलते कर्मचारियों ने बेमियाद हड़ताल करने मजबूर होना पड़ा।

संघ के संभागीय संरक्षक सिद्धार्थ वर्मा, जिलाध्यक्ष संतोष तिवारी, जिला सचिव उज्ज्वल तिवारी, प्रांतीय संयुक्त सचिव जी खान, जिला संगठन सचिव नरेंद्र सिंह, जिला कोषाध्यक्ष प्रवीण दुबे ने बताया कि हमारी मांग पर शासन-प्रशासन द्वारा आज तक ध्यान नहीं दिए जाने के फलस्वरूप एक सितंबर को राजनंदगांव में पूरे प्रदेश के लिपिक एकजुट होकर रैली सभा आयोजित कर मुख्यमंत्री के अस्थाई निवास राजनांदगांव का घेराव किया गया।

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इसके बावजूद मांग पूरी नहीं होने के कारण पूरे प्रदेश के लिपिकों में रोश व्याप्त है। संघ के जिला अध्यक्ष संतोष तिवारी ने बताया कि राजस्थान सरकार के तर्ज पर ग्रेड पे 1900 से 2400 रुपए 2400 से 2800 तथा 2800 से 4200 नहीं करने पर सात सितंबर से कलम बंद कर अनिश्चित कालीन हड़ताल करने विवश हैं।

उन्होंने कर्मचारियों सेे अनुरोध किया कि अधिक से अधिक कर्मचारी कलमबंद कर सरकार का विरोध करते हुए हड़ताल में शामिल हों। ताकि सरकार हमारी मांगें सुन सके। इस दौरान लिपिकों के हड़ताल में जाने के बाद दफ्तरों में सन्नाटा पसरा रहा। किसी दफ्तर में संविदा के कर्मचारी काम कर रहे थे तो कोई दफ्तर पूरा का पूरा खाली रहा। विभिन्न काम से दफ्तरों में आए लोगों को बैरंग लौटना पड़ा।

शिक्षाकर्मी हमसे आगे
छत्तीसगढ़ प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष संतोष तिवारी ने बताया कि हमशे पीछे नौकरी ज्वाइन करने वाले शिक्षाकर्मी आज उनसे कई गुना अधिक वेतन पा रहे हैं। जबकि हम 40 से 50 सालों से सेवा देते आ रहे हैं उनका वेतन एक दशक से जस की तस है। सरकार को उनका काम काज नहीं दिखता। जबकि हर काम सरकार को लिपिकों के माध्यम से कराना है। उन्होंने बताया कि उस वक्त बड़ा दुख लगता है जब हम पुराने सर्विस करने वाले होते हैं और हमसे पीछे नौकरी ज्वाइन करने वाला हमसे अधिक सेलरी उठाता है। उन्होंने कर्मचारियों से आह्वान किया कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर विचार नहीं करती है जब तक वे हड़ताल पर डटे रहेंगे।