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मरीजों की जिंदगी से यहां के डॉक्टर किस तरह कर रहे खिलवाड़, पढि़ए खबर…

- इन दिनों यहां के डॉक्टरों की लापरवाही का खामियाजा एक महिला को जान खतरे में डालकर भुगतना पड़ा

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मरीजों की जिंदगी से यहां के डॉक्टर किस तरह कर रहे खिलवाड़, पढि़ए खबर...

मरीजों की जिंदगी से यहां के डॉक्टर किस तरह कर रहे खिलवाड़, पढि़ए खबर...

जांजगीर-चांपा. चांपा के मिशन हॉस्पिटल के डॉक्टरों द्वारा मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। यहां के डॉक्टर गैरजिम्मेदारी पूर्वक मरीजों का इलाज कर रहे हैं। नतीजतन मरीजों का मर्ज चार दिन के बजाए 14 दिन में ठीक हो रहा है। इसके एवज में मरीज लंबे समय से बतौर फीस लुटते हैं और उनका समय भी बर्बाद होता है। वहीं मिशन प्रबंधन की आय बढ़ती है और उनका कारोबार भी फलता-फूलता है। इन दिनों यहां के डॉक्टरों की लापरवाही का खामियाजा एक महिला को जान खतरे में डालकर भुगतना पड़ा।

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दरअसल महिला का जचकी ऑपरेशन से हुई और डॉक्टरों ने उसके इलाज में इस कदर लापरवाही बरती कि उसका आपरेशन फेल हो गया। डॉक्टर अपनी चूक माने बगैर उल्टे मरीज को धमका रहे हैं और बेवजह उन्हें परेशान किए जा रहा है। मरीज को अब 15 दिनों तक अस्पताल का चक्कर काटते हुए इलाज कराना पड़ेगा। इतना ही नहीं उल्हें बतौर फीस मोटी रकम भी लुटानी पड़ रही है।

नर्सिंग होम एक्ट के तहत मिशन अस्पताल चांपा को भले ही पहले क्रम में लाइसेंस मिल गया है, लेकिन यहां की अव्यवस्था मरीजों पर भारी पड़ रही है। यहां के डॉक्टर अपने मनमर्जी से इलाज करते हैं। मरीजों की सुना नहीं जाता बल्कि मरीजों के साथ शांतिपूर्वक नहीं बल्कि तानाशाही की जाती है। बीते दिवस एक महिला मरीज तब बेहद परेशान हो गई जब उसकी जान का खतरा बन आया। दरअसल तीन जुलाई को चांपा की पुष्पा राठौर को प्रसव पीड़ा हुई, उसे जचकी के लिए मिशन अस्पताल में भर्ती कराया गया।

मिशन अस्पताल के डॉक्टरों ने उसका आपरेशन का जचकी कराई। प्रसूता ने बच्ची का जन्म दिया। आपरेशन के सात दिन बाद जब उसका टांका खुलवाने के लिए मिशन अस्पताल गए। टांका खुलवाने के दौरान पता चला कि मिशन के डॉक्टरों द्वारा आपरेशन करने में इस कदर लापरवाही बरती गई है कि प्रसूता व परिजनों के होश उड़ गए। दरअसल डॉक्टरों ने आपरेशन के दौरान एक टांका को खोलना भूल गया। यही टांका प्रसूता के जान पर बन आई। यही टांका महिला के पेट में घाव बना दिया और यही घाव एक फिट गहरा है।

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महिला को इलाज के लिए फिर मिशन अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। अब महिला को इलाज (ड्रेसिंग के लिए) फिर से 15 दिनों के लिए अस्पताल की दौड़ लगानी पड़ रही है। इससे प्रसूता व परिजनों की पैसे व समय की बर्बादी हो रही है। इसके अलावा प्रसूता व परिजनों को कई तरह के मानसिक व सारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं डॉक्टरों का कहना है कि ऐसी गलती सौ में एक-दो लोगों को हो जाती है। कोई बड़ी समस्या नहीं है।

फीस में भी बड़ा लोचा
महिला का इलाज स्मार्ट कार्ड के माध्यम से किया जा रहा है। इसके लिए मिशन अस्पताल प्रबंधन द्वारा स्मार्ट कार्ड से राशि काट ली गई है। इसके बाद जब मिशन अस्पताल द्वारा गलती की गई है तो हर रोज के ड्रेसिंग के लिए मोटी रकम क्यों ली जा रही है। इसके अलावा यहां हर काम के लिए रुपए की मांग की जाती है। बल्कि मरीजों को सुविधा नाम की चीज नहीं दी जाती। इसके चलते यहां के मरीजों के परिजनों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मरीज जब प्रबंधन से बहस करते हैं तब उनकी फीस की राशि में कटौती की जाती है।

-प्रसूता का इलाज किस डॉक्टर द्वारा किया गया और क्या लापरवाही बरती गई है इसकी जानकारी मुझे अभी नहीं है। उसकी जांच कराएंगे और वास्तविक कारणों का पता लगाएंगे- मंजुला उमा रेड्डी, प्रबंधक, मिशन अस्पताल चांपा