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आखिर क्यों कलेक्टोरेट परिसर में हर साल लगती है आग और जल जाते हैं करोड़ों के पौधे

- अब तक इन पौधों की सुरक्षा में एक करोड़ से अधिक की रकम कर दी गई है खर्च

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आखिर क्यों कलेक्टोरेट परिसर में हर साल लगती है आग और जल जाते हैं करोड़ों के पौधे

आखिर क्यों कलेक्टोरेट परिसर में हर साल लगती है आग और जल जाते हैं करोड़ों के पौधे

जांजगीर-चांपा. कलेक्टोरेट परिसर में बने भवन के पीछे वन विकास निगम द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर ढाई एकड़ जमीन पर ६२५० अलग-अलग प्रजाति के पौधे रोपे गए थे। इन पौधों के रोपने के लिए खाद पानी में कई लाख रुपए अब तक वन विभाग खर्च कर चुका वहीं लाखों रुपए खर्च कर उनकी सुरक्षा के लिए तार फेंसिंग भी कराया था।

यहां बकायदा क्षेत्र की सांसद, विधायक सहित बड़े अधिकारियों व नेताओं के नाम के पौधे लगे थे। अब तक इन पौधों की सुरक्षा मात्र में एक करोड़ से अधिक की रकम खर्च कर दी गई है, लेकिन लगता है कि रख-रखाव के लिए मिलने वाली राशि से अधिकारियों को काफी प्रेम है।

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यही कारण है कि पिछले तीन साल से हर साल मात्र इसी ढाई एकड़ रकबे में आग लगती है और यहां लगे हरे-भरे पौधे जलकर खाक हो जाते हैं। इसके बाद जब यह खबर मीडिया में उठती है तो वन विभाग की डीएफओ अपने एक सिपाही को जांजगीर थाने भेजकर आग लगने की सूचना दिला देती हैं, लेकिन दुर्भाग्य है कि आज तक न तो यहां आग लगाने वाले का पता चला और उस पर कार्रवाई हुई न ही इसे लेकर किसी अधिकारी अधिकारिक बयान आया कि इस अनहोनी के लिए कौन जिम्मेदार है।

कहीं ठेकेदार के कर्मचारियों ने तो नहीं लगाई आग
गत ११ मई को लगाई गई आग पर भी न तो कलेक्टर और डीएफओ किसी ने भी कोई बड़ा संज्ञान नहीं लिया। सभी सीएम साहब की विकास यात्रा में इतने व्यस्त हैं कि इन पौधों को जिंदा जला देने वाले का पता लगाकर कार्रवाई करने की फुर्सत तक नहीं है। इस आग का पता लगाने के लिए जब पत्रिका की टीम स्पॉट पर पहुंची तो पाया कि पौधरोपण के पीछे ही बाउंड्रीवाल बनाने का काम पीडब्ल्यूडी द्वारा कराया जा रहा है। वहीं पर लगे एक बबूल के पेड़ के नीचे वहां काम करने वाले खाना खाते-पीते हैं।

आग लगने से जली घास भी उसके आगे नहीं गई। वहां पर जली हुई बीड़ी के कुछ टुकड़े भी दिखे। इससे साफ है कि हो न हो यह आग उन्हीं काम करने वाले ठेकेदार के मजदूरों की गलती से लगी है। इसके लिए पीडब्ल्यूडी और ठेकेदार ही पूरी तरह से जिम्मेदार हैं, लेकिन शासकीय कार्य का हवाला देकर अधिकारी इस पर कोई कार्यवाही नहीं करते हैं।

कहां गए डीएफओ के छह फिट के पौधे
पिछली बार भी पत्रिका ने मई २०१७ में वन विहीन होते जा रहे जांजगीर में पौधरोपण के नाम पर हो रहे बंदरबांट को लेकर प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी। इस पर खुद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने संज्ञान लिया था और डीएफओ सतोविशा समाजदार से इस बारे पूछा था। इसके बाद डीएफओ अपने साथ सर्किट हाउस छह-छह फिट के पौधे लेकर पहुंची और सीएम को ऐसा प्लान दिखाया कि उन पौधों से वह पांच साल में जांजगीर को हरा-भरा बना देंगी, लेकिन हकीकत यह है कि उनके द्वारा लाखों की राशि खर्च कर पौधे तो लगाए गए लेकिन देख-रेख के अभाव में अधिकतर पौधे सूखे डंठल में तब्दील हो चुके हैं।

उस पौधरोपण की जिम्मेदारी वन विकास निगम की है। इसलिए मैं उस बारे में कुछ नहीं बता पाऊंगी। जांच करने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन व वन विकास निगम की है और वही लोग इसके बारे में बता पाएंगे- सतोविशा समाजदार, डीएफओए जांजगीर-चांपा

मैंने आग के संबंध में मजदूरों से पूछताछ की थी। उन्होंन बताया कि वह बीड़ी नहीं पीते और न ही उन्होंने यहां कुछ जलाकर फेंका है- वायके गोपाल, ईईए पीडब्ल्यूडी जांजगीर