
प्रतीकात्मक फोटो।
Crime News: मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के अधीनस्थ एनएचएम के डीपीएम (संविदा) उत्कर्ष तिवारी पर एक महिला डॉक्टर ने मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाई है। विडंबना यह है कि मामले की शिकायत 28 जुलाई को की गई लेकिन अब तक इस मामले की जांच नहीं हुई। बल्कि फाइल कलेक्टोरेट में दबी रह गई है। इसके चलते महिला डॉक्टर मानसिक रूप से परेशान है।
दरअसल, एनएचएम में पदस्थ जिला महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर बीते डेढ़ साल से जिले में पदस्थ है। कार्यालय में उनके द्वारा सभी मानकों में साफ सुथरा काम किया जा रहा है। लेकिन डीपीएम उत्कर्ष तिवारी द्वारा उक्त महिला कर्मचारी को अपने चेंबर में बुलाकर मानसिक रूप से बार-बार परेशान किया जा रहा है। उन्हें कार्यालयीन कार्य में खामी निकालकर गलत ढंग से टिप्पणी किया जा रहा है।
इतना ही नहीं उन्हें सही काम नहीं कर रहे हो कहकर नौकरी से निकाल देने की धमकी दी जाती है। बड़ी बात यह है कि सीएमएचओ कार्यालय के सभी कमरों में सीसी कैमरे लगाकर मॉनिटरिंग की जाती है। इससे प्रताड़ित होकर महिला डॉक्टर ने मामले की शिकायत कलेक्टर से की है। लेकिन डीपीएम के रसूख के आगे जांच में आंच आ गई है। या फिर जांच की फाइल सीएमएचओ कार्यालय में दबी रह गई।
डीपीएम की प्रताड़ना से तंग संयुक्त स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने मोर्चा खोल दिया है। संघ के सदस्यों ने डीपीएम की प्रताड़ना से तंग आकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। संघ के कार्यकारी प्रांताध्यक्ष मदन लाल साहू ने बताया कि बैठक के दौर में डीपीएम द्वारा स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को टार्चर किया जाता है। उनके द्वारा अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हुए कर्मचारियों को प्रताड़ित किया जाता है। इसकी शिकायत उन्होंने 18 अगस्त को कलेक्टर से की थी, लेकिन अब तक उन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई।
Published on:
04 Sept 2025 11:15 am
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