
जिज्ञासा यादव (फोटो सोर्स- पत्रिका)
CG News: सरकारी अस्पतालों में गलत इलाज से लेकर लोगों की गलत तरीके से मृत घोषित करने का मामला सामने आया है। इसकी शुरुआत छुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) से हुई। पेट में दर्द और सीने में तेज जलन की शिकायत के बाद एक 14 साल की किशोरी को इलाज के लिए यहां लाया गया था।
2 घंटे इलाज के बाद प्रशिक्षु डॉक्टर ने किशोरी को रायपुर रेफर कर दिया। रास्ते में ज्यादा तबियत बिगड़ी तो परिवार उसे एक निजी, फिर सरकारी अस्पताल ले गया। यहां डॉक्टरों ने बताया दवा के ओवरडोज से उसकी मौत हो चुकी है। मृत घोषित होने के 9 घंटे बाद अंतिम संस्कार से पहले गांव के दूसरे डॉक्टर ने नब्ज जांच कर बताया कि किशोरी की मौत तो महज एक घंटे पहले हुई है।
मिली जानकारी के मुताबिक, छुरा में वार्ड नंबर 12 के झूलेलालपारा में रहने वाली 14 साल की जिज्ञासा यादव 21 जून को एक हादसे का शिकार हो गई थी। वह अपनी मां के साथ गांव में ही अपनी एक सहेली के घर जा रही थी। रास्ते में एक घर का कंस्ट्रक्शन हो रहा था। इसका मल्बा जिज्ञासा पर गिर गया। परिवार उसी दिन इलाज के लिए उसे रायपुर एम्स ले गया। यहां एक्स-रे में पता चला कि जिज्ञासा की रीढ़ की हड्डी में माइनर फ्रैक्चर है। अगले दिन 22 जून को उसे एम्स से डिस्चार्ज कर दिया गया। ट्रीटमेंट के लिए उसे हर 15-15 दिन में एम्स लाने कहा गया था। परिवार 2 बार लेकर भी गया।
जुलाई में 15 तारीख की शाम जिज्ञासा को पेट में दर्द और सीने में तेज जलन की शिकायत हुई। परिवार उसे इलाज के लिए छुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गया। यहां प्रशिक्षु डॉक्टर अभिषेक ने उसका इलाज किया। खाने के लिए तीन दवाई दी। 2 घंटे अस्पताल में रखने के बाद कहा कि हालत ज्यादा बिगड़ रही है।
इलाज के लिए उसे रायपुर ले जाओ। रास्ते में जिज्ञासा की ने बात करना बंद कर दिया, तो परिवार ने नवापारा के करीब कुर्रा के एक निजी अस्पताल में उसकी जांच करवाई। यहां डॉक्टर ने उसे मृत बता दिया। नसें चल रही थी इसलिए परिवार अपनी बच्ची की मौत पर भरोसा न कर पाया। यहां से वे जिज्ञासा को लेकर नवापारा सीएचसी पहुंचे। रात 3 बजे के करीब एक महिला डॉक्टर ने जांच कर बताया कि जिज्ञासा की मौत हो चुकी है और ऐसा दवाओं के ओवरडोज से हुआ है। उसकी पूरी बॉडी नीली पड़ चुकी है। रोता-बिलखता परिवार यहां से अपनी बच्ची को लेकर गांव पहुंच गया।
अंतिम क्रियाकर्म की तैयारियां करते दोपहर 12 बज चुके थे। इस दौरान परिवार के साथ पास-पड़ोस के लोगों ने भी नोटिस किया कि जिज्ञासा की नब्ज चल रही है। उसका शरीर भी ठंडा नहीं पड़ा है, जो होना मौत के बाद सामान्य है। ऐसे में गांव के ही एक डॉक्टर को जांच के लिए बुलाया गया, जिन्होंने नब्ज देखने के बाद दावा किया कि जिज्ञासा की मौत महज 1 घंटे पहले यानी सुबह 11 बजे के करीब हुई है।
फूल सी मेरी बेटी जिज्ञासा… घर-स्कूल और परिवार, बस यही उसकी जिंदगी थी। रात में होमवर्क पूरा किए बिना नहीं सोती थी। बचपन से उसका सपना कलेक्टर बनने का था। इसी साल 10वीं कक्षा पहुंची थी। साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी भी शुरू कर दी थी। हमने जाने ऐसी क्या गलती कर दी, जो भगवान ने हमसे हमारी सबसे प्यारी चीज छीन ली। मैं जानता हूं कि मेरी बेटी चली गई है, अब कभी वापस नहीं आएगी।
मेरी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। मेरा एक छोटा बेटा और मैं उसे दिनभर चुप कराने में लगे रहते हैं। डॉक्टरों की ऐसी लापरवाही का खामियाजा आगे किसी को न भुगतना पड़े। अस्पतालों में प्रशिक्षु डॉक्टरों को इलाज के लिए न रखा जाए। मनुष्य जीवन एक बार मिलता है, ऐसे प्रशिक्षुओं की लापरवाही न जाने कितनी अमूल्य जिंदगियां बर्बाद कर देगी। - प्रकाश कुमार यादव, जिज्ञासा के पिता
किशोरी की मौत को लेकर कलेक्टर के निर्देश पर शुक्रवार को ही जांच कमेटी बनाई है। सदस्यों को तीन दिन के भीतर रिपोर्ट देने कहा है। जांच में जैसे तथ्य सामने आएंगे, उस हिसाब से आगे की कार्रवाई की जाएगी। - यूएस नवरत्ने, सीएमएचओ, गरियाबंद
Published on:
31 Aug 2025 12:53 pm
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