
Indian Railway: जांजगीर-नैला स्टेशन में एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव अब तक नहीं हो पाया है। जबकि जांजगीर-नैला को मॉडल स्टेशन का दर्जा भी प्राप्त हो चुका है। बावजूद जिला मुख्यालय का रेलवे स्टेशन एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव नहीं हो रहा। जबकि छोटे स्टेशन अकलतरा, सक्ती व चांपा में अधिकांश ट्रेनों का स्टापेज है। लंबे समय के बाद विधायक ने इस ओर ध्यान दिया है और आंदोलन की चेतावनी दी है।
जिला मुख्यालय में जांजगीर-नैला में अधिकांश एक्सप्रेस ट्रेनों का स्टापेज शुरू नहीं हो सका है। जबकि चांपा, अकलतरा व सक्ती स्टेशन में अधिकांश एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव किया जा रहा है। जिला बनने के दो दशक बाद भी यहां कई महत्वपूर्ण एक्सप्रेस ट्रेनों का स्टॉपेज नहीं है। इसके चलते यात्रियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शहर सहित आसपास के गावों के कई यात्री ऐसे हैं जो हवाई यात्रा करने के बाद जांजगीर नैला तक पहुंचने के लिए पैसेंजर ट्रेनों का सहारा लेते हैं।
एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव के लिए शहर के जनप्रतिनिधि व रेल यात्री संघर्ष समिति ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जैसे आजाद हिंद एक्सप्रेस चांपा व अकलतरा में रुकती है लेकिन जिला मुख्यालय जांजगीर में नहीं रुकती। दुर्ग-दानापुर एक्सप्रेस चांपा जैसे स्टेशन में रुकती है पर जांजगीर में नहीं। ऐसे आधा दर्जन कई एक्सप्रेस ट्रेन है जो जांजगीर में नहीं रुकती।
पूर्व सांसद गुहाराम अजगल्ले अन्य जिले से होने का खामियाजा जिलेवासियों को भुगतना पड़ा। वह जिला की विकास के बारे में तो दूर जिला मुख्यालय का ही विकास नहीं करा पाए। लेकिन अब लोगों को नई सांसद से बहुत कुछ उमीदें हैं। लेकिन अभी तक के कार्यकाल में सांसद भी केवल सक्ती तक सीमटकर रह गई हैं। जांजगीर-चांपा जिले के विकास के बारे एक साल में प्रयास अभी तक नजर नहीं आई।
जिला मुख्यालय होने से अधिकांश कलेक्टोरेट से लेकर अन्य सभी दफ्तर जांजगीर मेें ही है। जिसके कारण आज भी दर्जनों क्लास वन अफसर के अलावा करोड़पति लोग मुख्यालय में ही निवास करते हैं। उन्हें कहीं बाहर जाना होता है तो वे लोग चांपा जाकर गंतव्य ही ओर रवाना होते हैं। ऐसे लोगों को यदि जांजगीर स्टापेज वाली एक्सप्रेस ट्रेने मिल जाए तो उनकी यात्रा सुलभ होती।
जांजगीर-चांपा लोकसभा से दो बार सांसद रहीं कमला देवी पाटले जांजगीर की ही रहनी वालीं हैं। वे 10 साल तक सांसद रहीं। लेकिन व एक भी एक्सप्रेस ट्रेनों की स्टापेज नहीं करा सकीं। तो उनसे शहर की अन्य विकास करने के बारे सोचना तो मुर्खता होगी। इसके बाद गुहाराम अजगले भी पांच साल सांसद रहे, वे भी अपनी छाप नहीं छोड़ पाए। इसके बाद सक्ती जिले के मसनियाकला की सांसद बनी कमलेश जांगड़े केवल सक्ती की बात करतीं हैं।
जांजगीर नैला को मॉडल स्टेशन तो बना दिया गया है। पर आज भी ऐसे एक्सप्रेस ट्रेनों का स्टॉपेज नहीं हो पा रहा है जो जिला मुयालय को छोड़कर आसपास के छोटे स्टेशनों में रुकती है, लेकिन जिला मुयालय में नहीं रुकती। इसके अलावा इसका सौंदर्यीकरण करना था पर आज तक काम अधूरा पड़ा है। स्टेशन में अभी चारों ओर प्लेटफार्म में शेड की कमी है। अभी भी यात्री खुले आसमान के नीचे ट्रेन का इंतजार करने मजबूर हैं। प्लेटफार्म 2 व 4 में शेड की आवश्यकता सबसे ज्यादा महसूस की जा रही है।
दुर्ग-दानापुर एक्सप्रेस
हीराकुंड-अमृतसर एक्सप्रेस
बिलासपुर-पटना एक्सप्रेस
गोडवाना एक्सप्रेस
उदयपुर-सालीमार एक्सप्रेस
आजाद हिंद एक्सप्रेस
Updated on:
04 May 2025 01:40 pm
Published on:
04 May 2025 01:39 pm
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