जानकारी के मुताबिक सेमरा के सरपंच सचिव ने प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर भी जमकर उगाही की। उन्होंने गांव के गरीबों से इन नाम से रुपए वसूल लिया कि वह उनका नाम हितग्राही सूची में दर्ज कराया है। जब ग्रामीणों का नाम हितग्राही सूची में नहीं दर्ज हुआ तो इससे नाराज ग्रामीणों ने जनपद पंचायत का घेराव किया, जिसके बाद भी आज तक सरपंच सचिव पर कार्यवाही नहीं की गई।
मुख्यालय में नहीं रहते सचिव
सेमरा ग्राम पंचायत में पदस्थ सचिव रामेश्वर पटेल ग्राम पंचायत अमोरा का रहने वाला है, जो कि सेमरा से मात्र चार किलेमीटर है। इससे वह अपने मुख्यालय में रहकर अपने घर पर ही रहता है और जैसे ही किसी अधिकारी के आने की सूचना मिलती है कुछ मिनटों में वहां पहुंच जाता है। नियम के मुताबिक किसी भी ग्राम पंचायत सचिव को पडोसी गांव या नजदीक का रहने वाला नहीं होना चाहिए। सचिव की बात करें तो वह इससे पहले अपने गलत कार्यों को लेकर विवादित रहा है।
-शिकायत तो थोड़ा बहुत होती रहती है। रही बात सचिव की तो मेरे लिए सही है और हम विकास का कार्य भी कर रहे हैं, लेकिन कुछ लोग जबरदस्ती शिकायतबाजी कर रहे हैं।
-रमेशरीन बाई कश्यप, सरपंच, सेमरा ग्राम पंचायत
-आपको जो छापना है छापे मुझे इस संबंध में कोई बात नहीं करना है। पब्लिक जो कहती है उसे कहने दीजिए।
-रामेश्वर पटेल, सचिव, ग्राम पंचायत सेमरा
एक सरपंच पर 10 से अधिक आरोप
1- पंचायत प्रतिनिधि बनाने को लेकर भाई भतीजा वाद का आरोप।
2- प्रधानमंत्री आवास योजना में नाम जोडऩे में गलती करने का आरोप।
3- प्रधानमंत्री योजना के नाम पर 2-5 हजार रुपए लेना।
4- राशि मिलने के बाद भी पानी टंकी नहीं चालू कराने।
5- निराश्रित पेंशन एक हितग्राही को दो-दो जगह से लाभ दिलाना।
6- शौचालय की अनुदान राशि लाभार्थी को न देना।
7- लक्ष्य के मुताबिक शौचालय का निर्माण न कराना।
8- 14वें वित्त की राशि का सही उपयोग न करना।
9- गांव में हो रहे विकास कार्यों में कमीशन की मांग करना।
10- विधायक निधि से बने प्रतीक्षालय में की जा रही तालाबंदी।