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वन विभाग कर रहा क्रोकोडायल पार्क की उपेक्षा, सैलानियों को 20 रुपए का शुल्क भी पड़ रहा महंगा

क्रोकोडायल पार्क में टर्टल पार्क का निर्माण कराया गया है। यह निर्माण कार्य युद्ध स्तर सम्पन्न हुआ परंतु साल भर बाद भी इस पार्क का उद्घाटन नहीं हो सका।

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वन विभाग कर रहा क्रोकोडायल पार्क की उपेक्षा, सैलानियों को 20 रुपए का शुल्क भी पड़ रहा महंगा

वन विभाग कर रहा क्रोकोडायल पार्क की उपेक्षा, सैलानियों को 20 रुपए का शुल्क भी पड़ रहा महंगा

जांजगीर-कोटमी सोनार. एशिया के दूसरे नंबर का सबसे बड़ा क्रोकोडायल पार्क अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने मजबूर है। वन विभाग के अफसरों द्वारा पार्क की लगातार उपेक्षा की जा रही है। यहां लगाए गए मनोरंजन के साधन दिन-ब-दिन टूट-फूट कर खराब होते जा रहे हैं। सैलानियों से मनोरंजन शुल्क के नाम पर 20 रुपए लिया जा रहा, लेकिन यह शुल्क भी सैलानियों के लिए महंगा साबित हो रहा है। क्योंकि विभागीय कर्मचारियों की लापरवाही के चलते पार्क की रौनक दिन-ब-दिन छिनते जा रही है।

अकलतरा विकासखण्ड के ग्राम कोटमी सोनार के अस्सी एकड़ के विशाल तलाब में स्थित 250 से भी ज्यादा मगरमच्छों की संख्या वाला क्रोकोडायल पार्क एक समय देश में चर्चित था। यहां प्रतिदिन भारी संख्या में पर्यटकों का आना होता है। वन विभाग द्वारा प्रति व्यक्ति 20 रुपए टिकट रखा गया है, लेकिन यहां पर्यटकों को सुविधा नहीं के बतौर मिल रही है। तत्कालीन डीएफओ प्रभात मिश्रा द्वारा क्रोकोडायल पार्क में करोड़ो रुपए की लागत से इंटरपिटिशियन सेंटर में थ्रीडी प्रोजेक्टर लगाया गया था। जिसका उद्घाटन तत्कालीन संभागायुक्त सोनमणि बोरा, कलेक्टर ओपी चौधरी द्वारा किया गया था, जो कुछ ही महीनों में टॉय टॉय फिस्स हो गया। सारी की सारी मशीन बंद पड़ी है।

ग्रामीणों सहित पर्यटकों ने इसकी शिकायत भी उच्चाधिकारियों से किया पर आज तक मनोरंजन के साधन चालू नहीं हो पाया है।
जिले की तत्कालीन डीएफओ सतोविशा समाजदार अपने आप को तेज तर्रार साबित करने वाली अफसर ने क्रोकोडायल पार्क में टर्टल पार्क का निर्माण कराया गया है। यह निर्माण कार्य युद्ध स्तर सम्पन्न हुआ परंतु साल भर बाद भी इस पार्क का उद्घाटन नहीं हो सका। बताया जा रहा है कि इस पार्क के निर्माण में लाखों रुपए की लागत आई है परंतु वाइल्ड लाइफ से पार्क में कछुवा को रखने अनुमति नहीं मिल रही है।

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बिना अनुमति लिए ही पार्क का निर्माण कराया है। कुछ माह पहले ग्रामीणों को खेत तलाब किनारे मिले कछुवा को पार्क के एक टंकी में रखा गया था। दर्जनों की संख्या में मिले कछुवा को वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा गांव के लीलागर नदी में छोड़ा गया। जबकि कछुवा को रखने के लिए ही टर्टल पार्क बनाया गया है। इस पार्क का निर्माण एजेंसी वन विभाग था, लेकिन निर्माण की लागत से संबंधित कोई बोर्ड या सूचना पटल नहीं लगा है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अफसर किस तरह सरकारी राशि का बंदरबाट किया जा रहा है।

सीसी टीवी कैमरा बना सो पीस
क्रोकोडायल पार्क में दर्जनों की संख्या में सुरक्षा की दृष्टि से लगाया गया सीसीटीवी कैमरा सो पीस बनकर रह गया है। कैमरा को रायपुर के ठेकेदार द्वारा लगवाया गया है जो लगाने के कुछ माह से ही बन्द पड़ा हुआ है।

-क्रोकोडायल पार्क में सुविधाएं बढ़ाई जाएगी। यहां जो भी कमियां है उसे दूर करने भरपूर प्रयास किया जाएगा। अभी नई ज्वाइनिंग हुई है इस कारण पार्क के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है- सुनील कुमार बच्चन, एसडीओएफ