
अंतिम तिथि में इंटरनेट ने अभ्यर्थियों को रूला कर रख दिया
जांजगीर-चांपा. आरटीई के तहत गरीब छात्रों की भर्ती प्रक्रिया की शनिवार को अंतिम तिथि थी, लेकिन अंतिम तिथि में इंटरनेट ने अभ्यर्थियों को रूला कर रख दिया। कहीं नेट बंद था तो कहीं कई स्कूलों का पोर्टल ही नहीं खुल पाया।
इसके चलते शिक्षा के अधिकार के तहत तकरीबन एक हजार अभ्यर्थी दाखिला लेने से वंचित रह गए। अब इस योजना के तहत भर्ती की कोई गुंजाइश नहीं है। अभ्यर्थी साइबर कैफे एवं शिक्षा विभाग के दफ्तरों में अपने बच्चों की भर्ती के लिए चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।
आरटीई यानी शिक्षा के अधिकार के तहत गरीब बच्चों की भर्ती की शनिवार को अंतिम तिथि थी। अंतिम तिथि को ऐन वक्त में साइबर कैफे सहित अन्य इंटरनेट सुविधा सुबह से ठप रही। जिसके चलते गरीब बच्चों को भर्ती के लिए दर-दर भटकना पड़ा। अभिभावक साइबर कैफे में जाकर भर्ती के लिए भरपूर कवायद कर रहे थे, लेकिन इंटरनेट सुविधा ठप होने की वजह से उनकी एक न चली।
गौरतलब है कि शिक्षा के अधिकार के तहत इस साल पहली बार ऑनलाइन भर्ती की सुविधा प्रदान की गई थी, लेकिन यह सुविधा गरीबों के लिए जी का जंजाल साबित हो गई। क्योंकि गरीबों के पास न तो इंटरनेट की सुविधा है और न ही उन्हें साइबर कैफे की दहलीज पर चढऩा आता। ऐसे में उन्हें यह सुविधा केवल परेशानियों का सबब बनते दिखाई दिया।
इस योजना के तहत शिक्षा विभाग ने जिले के 414 निजी स्कूलों को आरटीई के तहत भर्ती के लिए चिन्हांकित किया था। इतने स्कूलों में 35 स्कूलों ने शिक्षा के अधिकार के पंजीयन नहीं कराया था। जिसके चलते इन स्कूलों को पात्रता से वंचित कर दिया था।
इसके बाद 379 स्कूलों में भर्ती के लिए अपने स्कूलों का नाम वेबसाइट में पंजीयन कराया था। इतने स्कूलों में पखवाड़े भर के भीतर चार हजार छात्रों को भर्ती के लिए टारगेट दिया था। पखवाड़े भर के भीतर केवल तीन हजार छात्रों का आरटीई के तहत भर्ती हो पाया। शेष एक हजार छात्रों का पंजीयन अब तक नहीं हो पाया। यानी एक हजार गरीब छात्रों का पंजीयन आरटीई के तहत नहीं हो पाया यानी वे भर्ती से वंचित हो गए।
एक दर्जन स्कूल पोर्टल से गायब
जिले के 379 स्कूलों को शिक्षा के अधिकार के तहत भर्ती के लिए चिंन्हाकित किया गया था। जिसमें एक एक दर्जन निजी स्कूलों का नाम पोर्टल से गायब हो गया था। जिसके चलते उन स्कूलों में गरीब बच्चो भर्ती नहीं हो पाई। स्कूल संचालकों ने साजिश के तहत अपने स्कूलों का नाम गायब कर दिया या फिर इंटरनेट में खराबी के चलते उनके नाम खुद ब खुद गायब हो गए, लेकिन उनका नाम अंतिम तिथि में गायब होने से सैकड़ो छात्र उन स्कूलों में भर्ती से वंचित हो गए।
35 स्कूल संचालक आरटीई से वंचित
शिक्षा के अधिकार के तहत जिन 35 सकूलों ने पंजीयन नहीं कराया, उनका भविष्य अभी तक अंधकारमय है। ऐसे स्कूल संचालक राजधानी में मार्गदर्शन के लिए चक्कर काट रहे हैं। अब ये स्कूल संचालक आरटीई के तहत गरीब छात्रों का अपने स्कूल में प्रवेश नहीं ले पाए।
वहीं अपनी मान्यता बचाने के लिए एड़ी चोटी कर रहे हैं। अधिकतर निजी स्कूल संचालक डीईओ आफिस का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें राजधानी का पता बताकर चलता किया जा रहा है। निजी स्कूल संचालकों को लापरवाही का सबसे बड़ा नुकसान यह होगा कि उन्हें इस साल शासन से मिलने वाली बतौर फीस लाखों रुपए से वंचित होना पड़ेगा।
Published on:
27 May 2018 03:29 pm
बड़ी खबरें
View Allजांजगीर चंपा
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
