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यहां पानी के लिए तरह रहे हैं लोग, केवल पांच टैंकर के भरोसे जल आपूर्ति

नगर पालिका अब तक बेपरवाह

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नगर पालिका अब तक बेपरवाह

नगर पालिका अब तक बेपरवाह

जांजगीर-चांपा. शहर में जल आपूर्ति के लिए नगर पालिका अब तक बेपरवाह है। गर्मी अपने पूरे शबाब पर है। इससे जल स्तर दिन ब दिन डाउन होता जा रहा है। बावजूद पालिका घरों में जल आपूर्ति के लिए किसी तरह की कार्ययोजना नहीं बनाई है। 40 हजार की आबादी वाले शहर में पालिका केवल 25 फीसदी घरों में ही पीने के लिए पानी दे पा रही है। 75 फीसदी घरों में लोग जुगाड़ कर पानी पी रहे हैं।


गर्मी में शहर का जल स्तर पूरी तरह डाउन हो चुका है। पहले जहां बोर घंटों चलते थे, अब वही बोर जवाब देने लगे हैं। कुछ ऐसी ही हालात शहर में निर्मित होने लगी है।

नगर के लोगों को पीने के पानी की चिंता सताने लगी है। वहीं दूसरी ओर पानी के प्रति नगर पालिका गंभीर नहीं है। जलापूर्ति के लिए नगर पालिका क्षेत्र में थोक के भाव में बोर की खुदाई तो की गई है, लेकिन बोर से पानी नहीं निकल रहा है। शहर के 25 वार्ड में जल आपूर्ति के लिए 27 मोटर पंप लगाए गए हैं।

शहर के विभिन्न वार्ड में 27 बोर भरपूर पानी तो दे रहे हैं, लेकिन बोर का 80 प्रतिशत पानी उद्यानों में खप रहा है। लगभग 45 हजार की आबादी वाले शहर में 2000 नल कनेक्शन हैं।

इतने कनेक्शन से प्रति कनेक्शन 6 लोगों के हिसाब से 10 हजार लोगों के लिए पीने का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। शहर के बाकी 35 हजार लोग जुगाड़ से पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। पालिका के रिकार्ड में इतने लोग हर रोज प्यासे हैं। पालिका ने इतने लोगों के पीने के पानी के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही है। कोई हैंडपंप के माध्यम से पानी पी रहा है तो कोई खुद के बोर से।


क्या करना चाहिए था
नगर पालिका ने अपने पानी के रिसोर्स के बारे में कम बल्कि नल कनेक्शनों के विस्तार के बारे में अधिक ध्यान दिया है। अलबत्ता पालिका को जल आपूर्ति के लिए हायतौबा करनी पड़ रही है। पीईएचई से पानी की सप्लाई ठप हो गई है। इससे शहर के अधिकतर मोहल्लों में पानी की सप्लाई नहीं हो पाई। पालिका को पहले वाटर सप्लाई से पहले बोर करना था उसके बाद इसी से शहर के ड्राई ऐरिए में जल आपूर्ति करनी थी।


पालिका ने क्या किया
पालिका ने पहले रेवड़ी की तरह नल कनेक्शनों का जाल तो फैला दिया। इसके बाद जब पानी की कमी हुई तो हाथ खड़े कर दिए। व्यवस्था बनाने के लिए लाखों खर्च कर संपवेल बना दिया, लेकिन यह सिस्टम भी ठप हो गया। इसी तरह भागीरथी नल जल योजना के तहत भी थोक में कनेक्शन दिए, लेकिन इन नलों में गर्मी के दिनों में पर्याप्त पानी की व्यवस्था नहीं कर पाई।


पीएचई
पेयजल योजना के लिए पीएचई ने अब तक किसी तरह की रुचि नहीं ली। करोड़ो रुपए फंड में पड़े हैं। जल आवर्धन योजना की बिगड़ी सूरत को ठीक करने के बजाए उल्टे मुंह मोड़ते रहती है। नतीजतन जिला मुख्यालय की आधी आबादी को गर्मी के दिनों में पीने के पानी के लाले पड़ जाते हैं।


नगर पालिका
शहर में जलआपूर्ति के लिए नगर पालिका ने अब तक प्रयास नहीं किया। पालिका ने पानी की समस्या दूर करने के लिए सोचा जरूर, कुछ प्रयास भी किए, पर सभी प्रयास हवा हवाई निकले। धरातल पर समस्या अभी भी बरकरार है। बीते साल संपवेल के नाम पर भी पालिका के जिम्मेदारों ने जमकर बंदरबाट किया।


जनप्रतिनिधि
शहर के जनप्रतिनिधियों को पानी की समस्या से कोई सरोकार नहीं है। नेता केवल घोषणाएं करते हैं, लेकिन जब समस्या सुलझाने की बात आती है तो चलते बनते हैं। अपने अपने वार्डों में पार्षद ही जोड़ तोड़ कर पानी पहुंचाने में लगे हुए हैं। समय पर जब पानी नहीं पहुंचता तो वे खुद जलआपूर्ति के लिए भिड़ जाते हैं।