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CG Assembly Elections 2018 : 20 साल का इतिहास दोहराया तो कांग्रेस से छिन सकती है जांजगीर व अकलतरा की सीट

राज्य की ९० विधानसभा सीटों में से जांजगीर-चांपा जिले की छह विधानसभा सीटों में से दो विधानसभा सीट अकलतरा और जांजगीर-चांपा का कुछ रोचक इतिहास रहा है।

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CG Assembly Elections 2018 : 20 साल का इतिहास दोहराया तो कांग्रेस से छिन सकती है जांजगीर व अकलतरा की सीट

20 साल का इतिहास दोहराया तो कांग्रेस से छिन सकती है जांजगीर व अकलतरा की सीट

जांजगीर-चांपा. इस बार साल २०१८ का विधनसभा चुनाव काफी रोचक होने वाला है। एक तरफ जहां भाजपा ६५ प्लस सीट लाकर सरकार बनाने का दावा कर रही है तो वहीं कांग्रेस भी लगभग ७० सीटों की जीत का दंभ भर रही है। राज्य की ९० विधानसभा सीटों में से जांजगीर-चांपा जिले की छह विधानसभा सीटों में से दो विधानसभा सीट अकलतरा और जांजगीर-चांपा का कुछ रोचक इतिहास रहा है। यदि यह इतिहास एक बार फिर इस विधानसभा में दोहराया जाता है तो कांग्रेस के हाथों से ये दोनों सीट छिन जाएंगी।

आपको बता दें कि २५ मई १९९८ में बिलासपुर से अलग होकर जांजगीर चांपा अलग जिला बनने के बाद इसका अपना कुछ अलग ही इतिहास रहा है। जांजगीर-चांपा विधानसभा की बात की जाए तो जिला बनने से पहले मध्य प्रदेश शासन में इस विधान सभा में कांग्रेस का कब्जा रहा। यहां १९९८ के पहले दो बार चुनाव जीतकर चरणदास महंत विधायक बने और एक बार आबकारी मंत्री तो दूसरी बार गृह मंत्री बने थे। इसके बाद पिछले २० सालों से इस विधानसभा का अपना अलग ही इतिहास रहा।

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जिला बनने के बाद सबसे पहले १९९८ में भाजपा के प्रत्याशी नारायण चंदेल चुनाव जीते। इसके बाद २००३ में कांग्रेस के प्रत्याशी मोतीलाल देवांगन और उसके बाद फिर २००८ में नारायण चंदेल और २०१३ में फिर से मोतीलाल देवांगन विधायक के रूप में चुने गए। यदि इस बार भी यह इतिहास दोहराया गया तो मोतीलाल देवांगन को हार का सामना करना पड़ सकता है और कांग्रेस के हाथों से सत्ता छिन सकती है। कुछ ऐसा ही हाल अकलतरा विधानसभा का भी है। यहां भले ही कांग्रेस और भाजपा के साथ ही बीच में बसपा का प्रत्याशी जीता हो, लेकिन लगातार किसी भी प्रत्याशी को जीत नहीं मिली है। यदि यहां का भी इतिहास दोहराया जाता है तो यहां भी कांग्रेस के उम्मीदवार की दावेदारी खतरे में पड़ सकती है।

चुनाव में भी हुआ था बदलाव
अकलतरा विधानसभा चुनाव में २००३ में जब कांग्रेस के प्रत्याशी रामाधार कश्यप चुनाव जीते तो उसके बाद उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में चुन लिया गया। इससे अकलतरा की सीट खाली होने से २००४ में उप चुनाव हुआ। लेकिन इसमें भी कांग्रेस दोबारा जीत न दर्ज कर बीजेपी के प्रत्याशी छतराम देवांगन ने जीत दर्ज की थी।

जांजगीर में कब किसकी जीत
१९९८-नारायण चंदेल (भाजपा)
२००३-मोतीलाल देवांगन (कांग्रेस)
२००८-नारायण चंदेल (भाजपा)
२०१३-मोतीलाल देवांगन (कांग्रेस)

अकलतरा में कब किसकी जीत
१९९८- छतराम देवांगन (बीजेपी)
२००३- रामाधार कश्यप (कांग्रेस)
२००४- छतराम देवांगन (बीजेपी)
२००८- सौरभ सिंह (बसपा)
२०१३- चुन्नीलाल साहू (कांग्रेस)