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Video- शहर की शोभा बढ़ाने पांच साल पहले डिवाइडर में लगाए गए थे ये बेसकीमती पौधे, 200 में सिर्फ इतने ही पौधे बचे हैं जीवित

- नगरपालिका के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी इन बेसकीमती पौधों को सहेज पाने नाकाम नजर आए

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Video- शहर की शोभा बढ़ाने पांच साल पहले डिवाइडर में लगाए गए थे ये बेसकीमती पौधे, 200 में सिर्फ इतने ही पौधे बचे हैं जीवित

शहर की शोभा बढ़ाने डिवाइडर में लगाए गए थे ये बेसकीमती पौधे, वीडियो में देखें इसकी हरियाली...

जांजगीर-चांपा. आज से ठीक पांच साल पहले जिला मुख्यालय के विवेकानंद मार्ग के डिवाइडर में शहर की शोभा बढ़ाने लगाए गए पॉम के पौधे सिलसिलेवार दम तोड़ रहे हैं। पांच साल पहले जहां डिवाइडर में लाखों खर्च कर लगाए गए 200 बेसकीमती पौधों में मात्र 40 पौधे ही जीवित बचे हैं। शेष 160 पौधे देख-रेख के अभाव में दम तोड़ दिए। उचित रख रखाव नहीं होने से विवेकानंद मार्ग की हरियाली में चार चांद तो नहीं लग पाई, लेकिन बंजर नजर जरूर आ रहे हैं।

शासन के पैसों का किस तरह दुरुपयोग होता है इसका जीता जागता उदाहरण विवेकानंद मार्ग के डिवाइडर में लगे पॉम के पौधों को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। आज से ठीक पांच साल पहले डिवाइडर में लाखों रुपए पानी की तरह बहाकर मुख्यमंत्री के विकास यात्रा के दौरान रातों रात पॉम के पौधे लगाए गए थे। रख रखाव के अभाव में कुछ पौधे विकास यात्रा के दौरान ही दम तोड़ दिए थे। वहीं सिलसिलेवार पांच साल में 200 में 160 पौधों ने दम तोड़ दिया।

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अब डिवाइडर व शहर की शोभा बढ़ाने केवल 40 पौधे ही बच गए हैं। हम आपको बता दें कि आज से ठीक डेढ़ दसक पहले तत्कालीन कलेक्टर सोनमणि बोरा ने बीटीआई चौक से लेकर कचहरी चौक मार्ग को विवेकानंद मार्ग का दर्जा दिया था। लाखों खर्च कर उन्होंने इस मार्ग में डिवाइडर बनवाया था। पांच साल पहले वे बिलासपुर जिले के कमिश्नर के पद पर थे तब उनकी दूरगामी सोंच की वजह से मुख्यमंत्री विकास यात्रा के दौरान विवेकानंद मार्ग में हरियाली लाने रातों रात पॉम के पौधे लगवाए थे, लेकिन उनकी विकास की सोच पर नगरपालिका जांजगीर नैला के पदाधिकारियों ने पलीता लगा दिया है।

इसलिए रातों रात लगाए गए थे पौधे
चूंकि विकास यात्रा की सभा हाईस्कूल मैदान में होना था। मुख्यमंत्री का काफिला विवेकानंद मार्ग से गुजरकर हाईस्कूल मैदान पहुंचना था, जिसके चलते इस मार्ग की शोभा बढ़ाने इस तरह की कवायद की गई थी, लेकिन नगरपालिका के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी इन बेसकीमती पौधों को सहेज पाने नाकाम नजर आए। यही वजह है कि पांच साल में 75 प्रतिशत पौधे दम तोड़ दिए। अब केवल गिनती के पौधे बचे हैं। जिससे विवेकानंद मार्ग की सुंदरता की उम्मीद करना बेमानी साबित हो रहा है।

-पौधों की सुरक्षा व उनकी देख-रेख के लिए लगातार पानी का छिड़काव किया गया। पौधों को बचाने के लिए भरपूर कोशिश की गई, इसके बाद भी पौधे एक-एक कर मरते गए। अब केवल गिनती के पौधे बचे हैं- मालती देवी रात्रे, अध्यक्ष नपा जांजगीर नैला