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ओपी ने चूमा था जमीन को, राम कुमार तो सीधा षाष्टांग ही लेट गए, पढि़ए राजनीति के कैसे-कैसे करतब

- कहा- हम जमीन से जुड़े हैं, इसलिए नए कार्य की शुरुआत जमीन को नमन करने के बाद ही करते हैं

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ओपी ने चूमा था जमीन को, राम कुमार तो सीधा षाष्टांग ही लेट गए, पढि़ए राजनीति के कैसे-कैसे करतब

ओपी ने चूमा था जमीन को, राम कुमार तो सीधा षाष्टांग ही लेट गए, पढि़ए राजनीति के कैसे-कैसे करतब

जांजगीर-चांपा. आईएएस की नौकरी छोड़ कर भाजपा में शामिल होकर पहली बार खरसिया विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे ओपी चौधरी ने जमीन को नमन किया था। सोशल मीडिया में ये तस्वीर वायरल हुई, फिर क्या था लोकप्रियता को भुनाने के लिए बसपा छोड़ कांग्रेस के राम ने भी यही फंडा अपनाया। वो तो प्रणाम करने के साथ जमीन पर लेट कर धरती मां का आशीर्वाद लेते भी नजर आए। पहले से जमीन नमन के तय कार्यक्रम की तैयारी पर पार्टी के नेताओं का कहना है कि जब किसी नए कार्य की शुरुआत होती है विधानसभा की सीमा में प्रवेश करने से पहले जमीन नमन किया जाता है। यह किसी नेता की नकल का हिस्सा नहीं है।

जमीन कल भी वही थी, आज भी वही है और भविष्य में भी शायद वही रहेगी, पर राजनीति में इस जमीन के मायने बदल जाते हैंं। यही वजह है कि जब राजनीति में जब प्रवेश होता है या फिर पार्टी बदलने के बाद क्षेत्र में पहली बार दस्तक देने की बात होती है तो 'जमीन नमन' को खासा तरजीह दी जाती है। करीब एक माह पहले जब आईएएस की नौकरी छोड़ ओपी चौधरी खरसिया विधानसभा क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे तो विधानसभा क्षेत्र की जमीन को नमन करते दिखे। सोशल मीडिया में यह तस्वीर इस कदर वायरल की गई कि इसकी चर्चाएं भी शुरु हो गई।

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अभी इस राह पर बसपा छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुए रामकुार यादव भी है। दिल्ली से लौटे कांग्रेस के राम जब खरसिया रेलवे स्टेशन पर पहुंच और चंद्रपुर में देवी दर्शन के लिए आगे बढ़े तो उनके कारवां का एक पडा़व छोटे मुड़पार भी था। जहां से चंद्रपुर विधानसभा की सीमा की शुरुआत होती है। ऐसे में, पहले से तय कार्यक्रम के तहत छोटे मुड़पार में नारियल फोडऩे के बाद राम कुमार भी जमीन नमन कर खुद को जमीन से जुड़े होने के संकेत दिए। जिसके बाद क्षेत्र में कई तरह की चर्चाएं भी होने लगी हैं कि ओपी की राह पर कांग्रेस के राम चल पड़े हैं।

जमीन नमन की है परंपरा
इस मामले में जब कांग्रेस के रामकुमार से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि हम जमीन से जुड़े हैं। इसलिए नए कार्य की शुरुआत जमीन को नमन करने के बाद ही होती है। हलांकि यह क्षेत्र की परंपरा भी रही है। इसके राजनीति से जोड़ कर देखना गलत है। विदित हो कि वर्ष २०१३ के चुनाव में बीएसपी की टिकट पर चंद्रपुर विधानसभा से भाग्य आजमाने वाले रामकुमार को करीब ६ हजार वोट से मात देकर युवद्धीर ने जीत हासिल की थी। राकुमार के दिल्ली जाकर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के बाद चंद्रपुर सीट पर उनकी सक्रियता तेज हो गई है।