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इस मामले में सहायक अभियंता एसपी सिंह को कारण बताओ नोटिस, तीन दिन के भीतर अभिमत प्रस्तुत करने कहा…

- हैंडओवर होने के पहले हाउसिंग बोर्ड के मकानों में मॉडिफिकेशन का किया जा रहा है कार्य

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इस मामले में सहायक अभियंता एसपी सिंह को कारण बताओ नोटिस, तीन दिन के भीतर अभिमत प्रस्तुत करने कहा...

सहायक अभियंता एसपी सिंह को कारण बताओ नोटिस, तीन दिन के भीतर अभिमत प्रस्तुत करने कहा...

जांजगीर-चांपा. हसदेव विहार कालोनी जांजगीर में पिछले दो सालों से हाउसिंग बोर्ड के द्वारा ईडब्ल्यूएस व एचआईजी मकान का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें विभागीय अफसरों द्वारा जमकर मनमानी की जा रही है। इस आशय की खबर पत्रिका ने १० अक्टूबर के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

खबर छपने के बाद गृह निर्माण मंडल के कार्यपालन अभियंता ने मामले में संज्ञान लिया है। उन्होंने भर्राशाही को लेकर सहायक अभियंता एसपी सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में कहा गया है कि वे तीन दिवस के भीतर अपना अभिमत प्रस्तुत करें। जवाब नहीं मिलने की स्थिति में आपके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी आपकी खुद की होगी।

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गौरतलब है कि हाउसिंग बोर्ड हसदेव विहार कालोनी में मकान का निर्माण करा रही है। लेकिन मकानों के हैंडओवर होने के पहले कुछ लोगों द्वारा मकानों में मॉडिफिकेशन का कार्य शुरू किया जा रहा है। जो कानूनन रूप से गलत है। इस आशय की खबर पत्रिका ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद अफसर ने मामले की सुध ली और इस मामले में दोषी अफसर को फटकार लगाई है।

नियम के मुताबिक हाउसिंग बोर्ड के मकान में सुधार व अन्य कार्य हैंडओवर होने के बाद किया जा सकता है। दिलचस्प बात यह है कि ऐसे गलत कार्य के प्रति हाउसिंग बोर्ड के अफसर आंखें मूंद लिए हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि नियम के विरूद्ध ऐसे लोग कर रहे हैं जो रसूखदार हैं। इसमें कलेक्टर के स्टेनों का भी नाम शामिल है। यही वजह है कि ऐसे लोगों के प्रति कार्रवाई के लिए अफसर भी हाथ नहीं डाल रहे हैं। इसके चलते उन लोगों में रोश व्याप्त है जो भविष्य में कालोनी में निवास करने वाले हैं। लोगों ने मामले की शिकायत उच्चाधिकारियों से की थी। इसके बाद समाचार को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था।

इस मामले में भी मिली फटकार
बीते दिवस करोड़ो के बेसकीमती जमीन के हाउसिंग बोर्ड के अफसरों द्वारा कौड़ी के मोल आवंटन करने का मामला सामने आया था। जिसमें हाउसिंग बोर्ड के अफसरों द्वारा एक ठेकेदार के नाम आवंटित किया जा रहा था। इस आशय की खबर पत्रिका ने प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद राज्य स्तर के अफसरों ने जमीन आवंटन को निरस्त कर दिया था।