हस्तरेखा विशेषज्ञ राजेंद्र शर्मा का मानना है कि मनुष्य योनी जीव के अच्छे कर्मों से मिलता है, जिसे बनाए रखना लोगों के उपर है। उनके हाथ की रेखाएं जीवन देने वाले भगवान ब्रह्मा की देन है, जिसमें सब कुछ लिखा होता है। बस जरूरत है, तो उसे समझने की। हाथ की रेखाओं को समझने के लिए वैसे तो पूरा वैज्ञानिक तत्थ हैं, लेकिन सामन्य तौर लोग अपने साथ होने वाली विपत्तियों को स्वयं समझ सकते हैं।
हाथों के अंगूठे से निकली जीवन रेखा अपनी कहानी स्वयं कहती है। इस रेखा में कहीं कोई कटाव नहीं है, तो निर्बाध जीवन योग होता है, लेकिन कहीं रेखा कटी हुई है, तो उसे सतर्क होकर जीवन गुजारना होगा। इसी तरह हाथों की लकीरों में जीवन की कहानी है, जिसे पढऩे व समझने की जरूरत है, तो हम बेहतर जीवन गुजार सकते हैं।
उन्होंने हस्तरेखा के बारे में बताया कि यह सटीक होता है, क्योंकि गणितिय त्रुटि की कहीं कोई गुंजाइश नहीं होती। उदाहरण सहित बताया कि जुड़वा बच्चों की कुंडली एक समान होती है, लेकिन उनका जीवन एक जैसा हो संभव नहीं है, लेकिन हस्तरेखा के हिसाब से देखें तो दोनों की अलग-अलग रेखाएं अलग-अलग जीवन के बारे में बता देती है।
उन्होंने फेस रीडिंग पर भी चर्चा करते हुए बताया कि इससे सामने वाले के व्यक्तित्व को पहचाना जा सकता है। चेहरे की बनावट, माथे की लकीरें, भौंहे, आंखे पूरा व्यक्तित्व को उभार देता है, जिससे इंसान की पहचान संभव हो जाती है।
इसके साथ इंसान की सामान्य भाव भंगिमाएं पहचान पूरी करती है। ग्रह दशाएं भी चेहरे व हाथों की लकीरों से जानी जा सकती है, और कहीं परेशानी होने पर सामान्य उपाय से जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।