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ट्रांसफर के बाद भी जमे हैं बीएमओ, आखिर क्या है माजरा, पढि़ए खबर…

- क्षेत्र में अनुभवी डॉक्टरों के अभाव का फायदा भी बीएमओ सिदार ने खूब उठाया।

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ट्रांसफर के बाद भी जमे हैं बीएमओ, आखिर क्या है माजरा, पढि़ए खबर...

ट्रांसफर के बाद भी जमे हैं बीएमओ, आखिर क्या है माजरा, पढि़ए खबर...

जांजगीर-चांपा. मालखरौदा विकासखंड के खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. केके सिदार का स्थानांतरण १४ माह पहले ११ अगस्त २०१७ को हुआ था। वह भी स्वयं व्यय पर, लेकिन स्थानीय स्तर पर अधिकारियों से सांठ गांठकर कर रिलीव नहीं हो रहे हैं। इधर बीएमओ पर ग्रामीण क्षेत्र में खुद की पै्रक्टिस का बढ़ावा देने का आरोप भी लग रहे हैं।

मालखरौदा विकासखंड में पदस्थ बीएमओ डॉ. केके सिदार ने स्वयं के व्यय पर अपना स्थानांतरण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सक्ती कराया था। लेकिन बाद में शहरी क्षेत्र में दुुकानदारी चलाने में परेशानी को देखते हुए अपना स्थानांतरण आदेश को अधिकारियों से मिलकर रूकवा दिया। जिससे उनको रीलिव करने कोई परेशानी हो। लेकिन अधिकारियों द्वारा शासन के कई स्टैडिंग आर्डर की अवहेलना करते हुए रीलिविंग को रोक कर रखा गया है। क्षेत्र में अनुभवी डॉक्टरों के अभाव का फायदा भी बीएमओ सिदार ने खूब उठाया। यहीं वजह है कि खुद को पूर्व जिला चिकित्सा अधिकारी होने का हवाला देने के लिए उन्हें फ्लैक्सी की मदद लेनी पड़ी।

मुख्य सचिव के पास पहुंचा मामला
कई कर्मचारियों को समय पर रिलीव नहीं करने की शिकायत मुख्य सचिव के पास भी गई थी। जिसपर मुख्य सचिव द्वारा २१ मार्च को आदेश जारी कर सभी विभागों के सचिव को निर्देशित किया था कि सभी स्थानांतरित कर्मचारियों को हर हाल में ३१ मार्च तक रीलिव कर दें।