scriptसांप ने काटा तो रास्ते में पडऩे वाले जिला अस्पताल को क्रॉस करके पहुंचे बिरतिया बाबा के पास, घातक हुआ अंजाम | When the snake bites, then crossing the district hospital | Patrika News

सांप ने काटा तो रास्ते में पडऩे वाले जिला अस्पताल को क्रॉस करके पहुंचे बिरतिया बाबा के पास, घातक हुआ अंजाम

locationजांजगीर चंपाPublished: Jul 20, 2018 05:06:09 pm

Submitted by:

Shiv Singh

जिला अस्पताल पार कर गए बिरतिया बाबा, झाडफ़ूंक के बाद हुई मरीज की मौत

जिला अस्पताल पार कर गए बिरतिया बाबा, झाडफ़ूंक के बाद हुई मरीज की मौत

जिला अस्पताल पार कर गए बिरतिया बाबा, झाडफ़ूंक के बाद हुई मरीज की मौत

जांजगीर-चांपा. नैला चौकी अंतर्गत ग्राम कन्हाईबंद में नरेंद्र ताम्रकार पिता पहारू राम (३०) को शुक्रवार के तड़के ४ बजे जहरीले सर्प ने डस लिया। परिजन उसे अस्पताल ले जाने के बजाए झाडफ़ूंक के लिए कैथा के बिरतिया बाबा ले गए। वहां बैगा गुनियां द्वारा झाडफ़ूंक की गई।
इसके बाद भी वह बच नहीं पाया। गंभीर अवस्था में फिर उसे इलाज के लिए ८ घंटे बाद जिला अस्पताल में भर्ती कराए। डॉक्टरों ने कहा काफी लेट गए और उसे मृत घोषित कर दिया। इस तरह की घटना कोई नई बात नहीं है। जिले में सालाना सैकड़ो लोगों की जान इसी झाडफ़ूंक के चक्कर में जाती है।
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जिले में झाडफ़ूंक के फेर में सालाना सैकड़ो लोगों की जान जा रही है। नागलोक का रूप ले रहे जिले में सालाना सैकड़ो लोग सर्पदंश के शिकार हो रहे हैं। जिले के लोगों में यह भ्रम घर कर गया है कि कैथा के बिरतिया बाबा ले जाने से सर्पदंश के शिकार लोगों की जान बच जाती है, लेकिन यह भ्रम है।
डॉक्टर हमेशा कहते आते हैं कि सर्पदंश के शिकार हो रहे हैं तो पहले मरीजों को किसी अच्छे अस्पताल में भर्ती कराएं, लेकिन परिजन मौत के मुंह में ठूसने के लिए झाडफ़ूंक के चक्कर में आ जाते हैं। हर बार की तरह शुक्रवार को भी यही हुआ जो होना था। दरअसल कन्हाईबंद के नरेंद्र ताम्रकार पिता पहारू राम (३०) को शुक्रवार को अपने घर में सो रहा था।
सुबह ४ बजे जहरीला सर्प बिस्तर के उपर में चढ़ गया। सर्प जब पीठ की ओर जा रहा था तब नरेंद्र उसे झटकारते हुए हटाना चाहा, लेकिन सर्प ने उसकी उंगली को डस दिया। डसने से उसकी स्थिति बिगड़ते गई। परिजनों में यह भ्रम था कि कैथा के बिरतिया बाबा में झाडफ़ूंक कराने के बाद मरीज ठीक हो जाता है।
उसे तत्काल बिरतिया बाबा ले गए। यहां के बैगा गुनिया ने उसका झाडफ़ूंक किया फिर घर भेज दिया। काफी देर बाद भी उसका स्वास्थ्य ठीक होने के बजाय उल्टे बिगडऩे लगा। उसकी स्थिति देखकर परिजन उसे वापसी के दौरान जिला अस्पताल में भर्ती कराए। यहां के डॉक्टर इलाज शुरू किया लेकिन जहर शरीर में इस कदर फैल गया था
कि उसे बचा पाना संभव नहीं था। कुछ देर बाद नरेंद्र की मौत हो गई। युवकी की मौत के बाद उसके परिजनों में अफसोस जाहिर किया कि काश जाते वक्त ही नरेंद्र को जिला अस्पताल में भर्ती करा देते तो शायद उसकी जान बच जाती। कुछ देर बाद पुलिस ने मर्ग कायम किया और शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया है।
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