
जांजगीर-अकलतरा. साहब, न मेरे पास घर द्वार है और न संपत्ति, खेत में शीला बीनकर अपने बाल बच्चों का पेट पाल रही हूं। आवास योजना की सूची में नाम होने के बाद भी मेरे पति को योजना का लाभ नहीं मिला। इसके कारण मेरे पति ने खुदकुशी की है। मुझे एवं मेरे बच्चों को बचा लो साहब। मुझे आवास योजना का लाभ दिला दो साहेब। ये फरियाद रोगदा के दूजराम विश्वकर्मा की बेवा पत्नी सरस्वती विश्वकर्मा ने गुरुवार को सीईओ कार्यालय के सामने अपने तीन छोटे- छोटे बच्चों को गोदी में रखकर रोते- बिलखते बयां की। उसका कहना था कि आवास योजना में सरपंच, सचिव द्वारा घूस मांगे जाने के कारण ही उनके पति ने खुदकुशी की थी। इसके बाद भी दोषियों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो रही है।
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साहेब, मुझे एवं मेरे परिवार को और रोगदा गांव को बचा लो। ताकि कोई दूसरा मेरे पति की तरह खुदकुशी न करे। जिले में प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। कोई आवास योजना में गड़बड़ी को लेकर आत्म हत्या कर रहा है, तो कोई जमीन संबंधित विवाद को लेकर कलेक्टोरेट में मिट्टी तेल लेकर खुदकुशी करने विवश है। इसके बाद भी प्रशासनिक अधिकारी यही दंभ भर रहे हैं कि उनका काम काज राम राज से कम नहीं है।
रमन सरकार अपनी सुशासन की दुहाई देते हुए चौथी पारी के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं। वहीं उनके कारिंदों की कुव्यवस्था के चलते लोग दफ्तर के सामने ही मिट्टी तेल लेकर पहुंच रहे हैं। बीते चार महीने के अंदर जिले में चार ऐसे मामले सामने आ चुके जिसमें या तो किसान प्रशासन के नियमों के जाल में फंसकर खुदकुशी की रात अपना रहा है या फिर आवास योजना की खामियों से परेशान होकर खुदकुशी की राह अपनाने मजबूर हो रहा है।
इधर प्रशासनिक अधिकारियों अपने नियम कानून का दंभ करते नहीं थक रहे हैं। एसी चेंबर में बैठकर केवल नियम के तहत ही काम करने की बात करते हैं। दफ्तर के बाहर कोई प्रशासन के खिलाफ आवाज उठा रहा है तो उसका जेल जाना तय है। दिलचस्प बात यह है कि मैदानी स्तर के कर्मचारी या जनप्रतिनिधि बिना लेन देन के कोई काम नहीं कर रहा है। हद तो तब हो जा रही है जब अधिकारियों के नाम पर ही वसूली कर फाइल आगे बढ़ाने की बात कही जा रही है। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों को निचले तबके के कर्मचारियों का काम सही लग रहा है।
ग्रामीणों ने किया दफ्तर का घेराव
रोगदा के ग्रामीणों ने आवास योजना में गांव के सरपंच सचिव पर घुसखोरी का आरोप लगाते हुए गुरुवार को जनपद कार्यालय का घेराव कर दिया। ग्राम पंचायत रोगदा के वार्ड 12 बांधापारा के सरोज यादव, गिरजा शंकर बर्मन, छोटेलाल बर्मन, तेरस विश्वकर्मा, रवि शंकर बर्मन, जगदीश यादव, दिल सिंह जगत, शिवनंदन कैवत्र्य, रघुनंदन कैवत्र्य का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची में अंकित है। हितग्राहियों द्वारा आवास योजना के क्रियान्वयन की मांग करने पर सरपंच एवं सचिव द्वारा उनके जमीन को वर्धा पॉवर प्लांट की जमीन होने की बात कहकर उन्हे बहला-फुसलाकर इस योजना से वंचित कराया जा रहा है।
उन्होने सरपंच एवं सचिव पर आरोप लगाते हुए बता रहे हैं कि उनका नाम बहुत पहले ही सूची में आ गई है, लेकिन आज भी उनको इस योजना से वंचित किया जा रहा है। इस योजना के कई ऐसे हितग्राही है जिन्होंने बताया कि आवास योजना के लिए पहली किस्त देने के बाद दुसरे किस्त के लिए उनसे 5 से 10 हजार रुपए की मांग किया जाता है, रकम नहीं देने पर काम रोक दिया
जाता है। इसके कारण उनके इस दबाव में आने एवं धमकी देने के कारण ग्राम के दूजराम विश्वकर्मा ने सितंबर माह में आत्महत्या कर ली थी। मृतक की विधवा दर-दर की ठोकरें खाने मजबूर है।
केस-1
चार महीना पहले कुरदा के किसान जगदीश बघेल सूदखोरी से परेशान होकर कीटनाशक दवा पीकर कलेक्टर जनदर्शन में पहुंच गया था। गंभीर अवस्था में उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। रास्ते में उसकी मौत हो गई थी। जिला प्रशासन के द्वारा आज तक उसके परिजनों को न्याय नहीं मिल पाया है। घटना के बाद कई बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने जमकर राजनीतिक रोटी सेंकी।
केस-2
सप्ताह भर पहले अकलतरा थानांतर्गत ग्राम दर्रीटांड़ निवासी धन्नू यादव जमीन संबंधित विवाद के चलते परेशान था। उसकी जमीन का सीमांकन नहीं होने से परेशान होकर वह पेट्रोल लेकर कलेक्टोरेट पहुंच गया। प्रशासन को इसकी जानकारी होने पर उसे उठाकर पुलिस के हवाले कर दिया। उसके खिलाफ धारा १५१ की कार्रवाई की गई। बड़ी मुश्किल से उसे चार दिन बाद जमानत मिली।
केस-3
बलौदा थानांतर्गत ग्राम हरदी की मीना साहू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता थी। उसे किसी कारणवश नौकरी से निकाल दिया गया था। वह अपनी पीड़ा बयां करते हुए थक चुकी थी, लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हो पाई थी। जिसके चलते वह बीते वर्ष मिट्टी तेल लेकर कलेक्टोरेट पहुंची थी। उसे मरते दम तक न्याय नहीं मिला और वह थक हारकर घर बैठ गई।
केस-4
रोगदा के दूजराम विश्वकर्मा का नाम प्रधान मंत्री आवास योजना की सूची में दर्ज है। उसे आवास योजना का लाभ मिलना तय था। इसके बाद भी उसे सरपंच, सचिव इस नाम से उसे योजना का लाभ नहीं दे रहे थे क्यों कि घूस के रूप में हितग्राही दूजराम ५ से १० हजार रुपए नहीं दे रहा था। इसके कारण उसने सितंबर माह में खुदकुशी कर लिया था।
-प्रधानमंत्री आवास योजना में सरपंच एवं सचिव दोनों की अनियमितता की शिकायत मिली है। जिसमें जमीन वर्धा पॉवर प्लांट की होने की बात भी सामने आ रही है। प्लांट प्रशासन के एनओसी मिलने के पश्चात आगे की कार्यवाही की जाएगी एवं हितग्राहियों को लाभ मिलेगा। सचिव के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी- अन्वेश धृतलहरे, सीईओ
- रोगदा के सरपंच एवं सचिव के खिलाफ ग्रामिणों द्वारा शिकायत मिली है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभान्वित करने को लेकर पैसे की मांग की जा रही है। इस संबंध मेंअधिकारियों से बात कर उनके खिलाफ कार्यवाही करवाई जाएगी -सौरभ सिंह, पूर्व विधायक
- उक्त जमीन वर्धा पॉवर प्लांट की नहीं है। उस जमीन पर हो रहे किसी भी निर्माण से हमें कोई दिक्कतें नहीं है, अगर भविष्य में सरपंच एवं सचियों के द्वारा कोई सूचना मांगी जाती है, तो हमारे द्वारा एनओसी दे दी जाएगी- अनिल कुमार, लाईजनिंग प्रभारी वर्धा पॉवर प्लांट
Published on:
22 Dec 2017 01:34 pm
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