
जिला शिक्षाअधिकारी
जशपुरनगर. जिला शिक्षाअधिकारी ने खुद माना है कि ट्रांसफर को लेकर गलतियां हुई हैं, और यह गलतियां पोर्टल में सही प्रविष्टि नहीं होने के कारण और साथ ही जिले के विकासखण्ड शिक्षा अधिकारियों के गलत प्रस्ताव देने के कारण हुआ है। सोमवार को इस संबंध में डीईओ ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर खुद इस बाबत् जानकारी दी है। जिला शिक्षा अधिकारी जेके प्रसाद ने यह भी बताया है कि, जिले के बगीचा में ब्लॉक में 17 मनोरा में 7 और फरसाबहार ब्लॉक 7 और कुल 31 स्कूल एकल शिक्षक हो गए थे, वहां बीईओ के प्रस्ताव पर उसी ब्लॉक जहां दो से ज्यादा शिक्षक हैं उन्हें अटैच किया गया है। वहीं शिक्षकों के ट्रांसफर से शिक्षक विहीन हुए स्कूल अमटपानी और गेडई में व्यापम से मिले 2 शिक्षकों के द्वारा भरा जा रहा है। जिला शिक्षा अधिकारी ने यह कह तो दिया कि जिले के कई विकासखंड शिक्षा अधिकारियों के त्रुटीपूर्ण प्रस्ताव पर ऐसा हो गया। मगर स्थानान्तरण नीति में यह तो स्पष्ट है कि सूक्ष्मता से डीईओ जांच कर ही प्रस्ताव अनुमोदन को भेजेंगे, या दूसरा सवाल यह है कि बीईओ ने अगर गुमराह कर उल्टे सीधे प्रस्ताव में हस्ताक्षर अनुमोदन कर प्रस्तावित किया है तो जिले के उन बीईओ पर क्या कार्यवाही होगी।
जानकारी के अनुसार ट्रांसफर से पूर्व बीईओ बगीचा ने सामान्यसभा में 51 शाला का एकल शिक्षक होना दर्ज कराया है। इस संबंध में बगीचा के जनपद सदस्यों ने बताया कि बीते महीने बीईओ के द्वारा जब 51 शाला एकल शिक्षक होने की जानकारी दी है, तो 17 से क्या होगाए अगर यह इस बार के ट्रांसफर से 17 स्कूल एकल शिक्षक हुए हैं तो उनको अस्थायी रूप से भर कर दिखाना क्या चाहते हैं। अब सवाल यह है कि जहां 4 शिक्षकों की आवश्यकता थी, या 5 शिक्षक, वहां अब 2 शिक्षकों से ही पढ़ाई होगी। और 2 शिक्षकों में सिमटा देने में दोषी कौन हैए और जो दोषी हैं उन पर कार्यवाही क्यों नहीं। जानकार बताते हैं कि ट्रांसफर नीति तो यह भी कहती है कि आदिवासी क्षेत्रों में बिना नियुक्ति के स्थानांतरण नही किया जाना है।
ना जाने व्यापमं से कब आएंगे शिक्षक : अब जिला शिक्षा अधिकारी बता रहे हैं कि, अब व्यापम से जब शिक्षक दिए जाएंगे तो उन स्कूलों में भर्ती की जाएगी। पर पता नहीं कब रिजल्ट आएगा, कब नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होगी, कब नियुक्ति होगी। तब स्कूलों में शिक्षक दिए जाएंगे, सरकारी प्रक्रिया है, अभी तो मात्र परीक्षा हुआ है, और गलतियों को छुपाने इस तरह की बाते की जा रही है। और यह शिक्षा सत्र इन प्रक्रिआयों को पूरा करने में खत्म न हो जाएगा। अब कुल मिलाकर देखा जाए तो बीईओ पर आंख मूंदकर भरोसा करना डीईओ के लिए गले की फांस बनता जा रहा है, हल निकालने की कोशिश में गलतियां और उजागर भी हो रही है। सच यह भी की शिक्षकों को ब्लॉक से बाहर भेजा गया, और स्थानीय स्तर व्यवस्था के नाम पर दूसरे स्कूल से अन्याय का अध्याय जारी है।
Published on:
27 Sept 2022 12:41 am
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