
मुन्ना बजरंगी
जौनपुर. मुन्ना बजरंगी शुरू को शुर से ही रौब-रुआब आकर्षित करता था। कक्षा पांच में ही पढ़ाई छोड़ दी। फिल्मों का उसे बड़ा शौक था। कच्ची उम्र में उसे तेवर और हथियारों का शौक उसे जुर्म की दुनिया में ले गया। वहां से वह जो चला तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 17 साल की उम्र में उसने पहला अपराध किया और जेल गया। पिता पारसनाथ का सपना था कि बेटा पढ़-लिखकर कुछ बन जाएगा, पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। 90 के दशक में एक वक्त वह भी आया जब मुन्ना बजरंगी के नाम की अपराध जगत में तूती बोलने लगी। पहले जौनपुर के माफिया गजराज सिंह का साथ मिला और फिर पूर्वांचल के माफिया से माननीय बने बाहुबली मुख्तार अंसारी गैंग का। अंसारी गैंग में शामिल होने के बाद तो बजरंगी ने जरायम की दुनिया में लम्बी छलांग मारी। वसूली और ठेकों में उसके नाम खौफ का का दूसरा नाम बन गया। 2009 में नाटकीय ढंग से उसकी गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस ने मुंबई में तब की जब उसे अपने इनकाउंटर का डर सताने लगा।
मुन्ना बजरंगी का जन्म जैनपुर के पुरेदयालपुर गां में पारसनाथ सिंह के घर हुआ। कक्षा पांच में ही उसकी पढ़ाई छूट गयी और 17 साल की उम्र में असलहा रखने के जुर्म में सुरेही थाने में मुकदमा क्या दर्ज हुआ जैसे उसके आपराधिक करियर को उड़ान मिल गयी। अभी तक वह छिटपुट अपराध में ही था, पर उसके तेवर और क्रिमिनल एक्टिविटी ने उसे खुद अपराध के आकाओं तक पहुंचा दिया। तब के माफिया डॉन गजराज सिंह ने उसे अपने गिरोह में शामिल कर लिया। बजरंगी गजराज सिंह का खास बन गया। वह हार्ड कोर शूटर बन गया। 1984 में बजरंगी ने व्यापारी और फिर बीजेपी नेता रामचन्द्र सिंह की हत्या कर दी। इस हत्याकांड में AK 47 का इस्तेमाल किया गया। उसने एक के बाद एक उसके बाद कई हत्याएं कीं, जिससे अपराध जगत का चमकता सितारा बन गया।
गजराज सिंह के बाद बजरंगी को साथ मिला तब के बड़े माफिया डॉन मुख्तार अंसरी का। वह अंसारी गैंग के साथ जुड़ गया और उनके इशारे पर काम करने लगा। मुख्तार जब विधायक बने तो बजरंगी अपने चहेतों को ठेका दिलाने लगा। इसके बाद 29 नवंबर 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की गाजीपुर में सैकड़ों गोलियां मारकर हत्या कर दी गयी। आरोप है कि बजरंगी ने यह हत्या बाहुबली मुख्तार अंसारी के कहने पर की थी। राय के शरीर से 50 से ज्यादा गोलियां निकाली गयी थीं। इस घटना के बाद तो बजरंगी यूपी के सबसे बड़े माफिया डॉन की कैटेगरी में आ खड़ा हुआ। कहा जाता है कि इसके बाद वह मुंबई चला गया। वहीं से उसकी गिरफ्तारी हुई। बजरंगी ने राजनीति में भी हाथ आजमाया, 2012 में वह खुद चुनाव लड़ा और 2017 में पत्नी को लड़वाया, लेकिन दोनों बाद ही जमानत जब्त हो गयी।
Updated on:
09 Jul 2018 04:10 pm
Published on:
09 Jul 2018 02:00 pm
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