6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

शेड बनाए पर पालने के लिए चूजे नहीं दिए

ग्रामीण कर रहे तीन-चार माह से चूजों का इंतजार, पूर्व में भी पशु पालन के नाम पर छले जा चुके ग्रामीण

2 min read
Google source verification

image

Shruti Agrawal

Aug 01, 2017

jhabua

jhabua

झाबुआ. पारा रोड स्थित ग्राम पिपलिया में इंदौर की किसी संस्था द्वारा मुर्गी पालन के लिए शेड बना दिए हैं, लेकिन अभी न तो ग्रामीणों को मुर्गियां दी गई हैं, न ही चूजे। गांव के लगभग प्रत्येक घर में मुर्गी पालन के लिए शेड बनाया गया है। इसमें ऊपर के पतरे, दरवाजे और जालियां संस्था द्वारा दी गई। शेड बनाने के लिए ईंटे ग्रामीणों को लाना पड़ी।


ग्रामीणों ने बताया कि बनाए गए शेड उन्होंने अपने व्यय पर बनवाए हैं या खुद ही बनाए हैं। ग्रीष्मकाल के दौरान शेड का निर्माण करवाया था, लेकिन आधी बरसात होने के अभी ग्रामवासियों को चूजे या पक्षी नसीब नहीं हुए। ग्रामवासियों ने बताया कि शेड बनाने के बाद उन्हें शेड के अंदर बिछाने वाला बुरादा दिया गया है। पक्षी कब देंगे इसकी अभी तक उन्हें कोई जानकारी नहीं है। कौन सी संस्था द्वारा शेड बनवाए गए हैं। उन्हें तो संस्था का नाम तक नहीं पता। सिर्फ इतना पता है कि इंदौर से कोई आए थे। अंचलवासी पूर्व में भी शासन की पशु पालन योजना के नाम पर छले जा चुके हैं। करीब दो साल पूर्व ग्राम गोपालपुरा में भी पशु पालन के लिए शेड का निर्माण करवाया गया था, लेकिन उन्हें बाद में पशु नहीं मिले। शुरूआत में एकाध लोगों को जो गाय दी गई थी, वह गाय अधिक दिन तक जीवित नहीं रही।
इसी प्रकार करीब डेढ़ वर्ष पूर्व ग्राम गोलाछोटी सहित आसपास के ग्रामों में अनुदान पर जमनापारी बकरे दिए थे। वह बकरे में अधिक दिन तक जीवित नहीं रहे। 2004-05 में अंचलों में महिलाओं के समूह बनाकर उन्हें कड़कनाथ चूजे देकर रोजगार से जोडऩे की योजना बनाई तीन साल चूजे देने के बाद उन्हें भी चूजे देना बंद कर दिया। चूजे और बकरों की योजना तो पशु चिकित्सा विभाग द्वारा संचालित की गई थी, लेकिन योजना किसी संस्था के माध्यम से शुरू हुई थी। संभवत: ग्राम पिपलिया में भी अभी तक पक्षियों का न मिलना पूर्व योजनाओं की पुनरावृत्ति तो नहीं?