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सांसद बने रहेंंगे डामोर, विधायक पद से देंगे इस्तीफा, इस विस क्षेत्र में होंगे उपचुनाव

संगठन स्तर पर गुमानसिंह डामोर को झाबुआ विधायक पद से इस्तीफा दिलाने का निर्णय

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झाबुआ

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Hussain Ali

Jun 05, 2019

damor

सांसद बने रहेंंगे डामोर, विधायक पद से देंगे इस्तीफा, इस विस क्षेत्र में होंगे उपचुनाव

झाबुआ. रतलाम लोकसभा में कांग्रेस के कद्दावर आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया को पराजित करने वाले गुमानसिंह डामोर सांसद बने रहेंगे। संगठन स्तर पर उन्हें झाबुआ विधानसभा से इस्तीफा दिलाने का निर्णय लिया है। दरअसल पूरे मप्र में गुमानसिंह डामोर ही एक मात्र ऐसे विधायक थे जिन्हें पार्टी ने लोकसभा का टिकट दिया था। वे पार्टी के भरोसे पर खरे भी उतरे और उन्होंने कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को करारी शिकस्त दी।

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हालांकि उनके सांसद चुन लिए जाने के बाद भाजपा के समक्ष एक नई स्थिति निर्मित हो गई थी। यदि पार्टी झाबुआ विधानसभा में उप चुनाव में जाती तो आज की स्थिति में मप्र में उनका एक विधायक कम हो जाता। वहीं यदि सांसद के उप चुनाव में उतरती है तो फिर नए सिरे से सारी कवायद करनी पड़ती। ऐेसे में पार्टीस्तर पर मंथन चल रहा था। आखिरकार मंगलवार को स्थिति स्पष्ट हो गई। प्रदेश संगठन ने तय कर लिया कि गुमानसिंह डामोर विधायक पद से इस्तीफा देंगे। इससे पार्टी की पूरे संसदीय क्षेत्र में पकड़ बनी रहे।

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छह महीने में होंगे उप चुनाव

सांसद गुमानसिंह डामोर के झाबुआ विधायक के पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद चुनाव आयोग अगले 6 महीने में यहां उप चुनाव कराएगा। इसके लिए दोनों ही दलों में दावेदार अभी से तैयार हो गए हैं।

भाजपा के दावेदार

1. शांतिलाल बिलवाल : सीटिंग एमएलए रहे हैं। संगठन ने जब झाबुआ से गुमानसिंह डामोर को टिकट दिया तो उन्होंने प्रारंभिक विरोध के बाद न केवल सीट छोड़ी। बल्कि पार्टी के लिए काम भी किया। ऐसे में हो सकता है कि पार्टी उन्हें फिर से उप चुनाव लड़वा कर उनके त्याग का उपहार दें।

2. निर्मला भूरिया : दिवंगत आदिवासी नेता दिलीपसिंह भूरिया की बेटी एवं पेटलावद से पूर्व विधायक रही निर्मला भूरिया को विधानसभा चुनाव के दौरान झाबुआ भेजा जा रहा था, लेकिन वे इसके लिए तैयार नहीं हुई। लेकिन इस बार वे दावेदारी कर सकती है। हांलाकि सांसद गुमानसिंह डामोर व उनके बीच आंतरिक मतभेद होने से हो सकता है कि सांसद उनके नाम पर विरोध करें।

3. मेगजी अमलियार: संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं और वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य है। इसके अलावा वनवासी कल्याण परिषद के जिलाध्यक्ष भी है। वे लंबे समय से विधायक का टिकट पाने के लिए कतार में खड़े हैं।

4. कल्याणसिंह डामोर: अजजा मोर्चा के पूर्व प्रदेश महामंत्री रहे। भाजपा मंडल अध्यक्ष झाबुआ ग्रामीण। उसके पहले युवा मोर्चामें भी रहे। प्रदेश संयोजक स्वच्छ भारत अभियान जनजाति मोर्चा।

5. सुनीता गोविंद अजनार : वर्तमान में राणापुर नगर परिषद अध्यक्ष के अलावा पार्टी में उपाध्यक्ष है। विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने तगड़ी दावेदारी जताई थी।

6. भानू भूरिया : युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष भानू भूरिया के पास युवाओं की अच्छी टीम है। विधानसभा चुनाव में उन्होंने भी टिकट के लिए दावेदारी की थी, लेकिन बात नहीं बनी। इस बार फिर से वे प्रयास करेंगे।

कांग्रेस के दावेदार

1. कांतिलाल भूरिया : कद्दावर आदिवासी नेता है ।हाल ही में सांसद का चुनाव हारे, लेकिन झाबुआ विधानसभा से उन्हें लीड मिली है। उनकी दावेदारी को खारिज करना पार्टी संगठन के लिए आसान नहीं होगा। चूंकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है तो कांतिलाल भी चाहेंगे कि विधानसभा चुनाव लडक़र वे सरकार में डिप्टी सीएम या कोई बड़ा मंत्री पद हासिल कर लें।

2. जेवियर मेड़ा : पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा कांग्रेस से प्रबल दावेदार है। उन्हें सिंधिया खेमे का माना जाता है। हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर उन्होंने पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लडक़र अपनी ताकत दिखाई थी। उनकी वजह से कांगे्रस प्रत्याशी डॉ. विक्रांत भूरिया को हार का सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव के दौरान वे वापस कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। इसलिए निश्चित तौर पर विधानसभा उप चुनाव में वे एक बार फिर टिकट पाने के लिए पूरा दमखम लगाएंगे।

3. डॉ. विक्रांत भूरिया : आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया के बेटे एवं युकां जिलाध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया को अपने पहले ही चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा। हालांकि इसकी वजह वे पार्टी के बागी उम्मीदवार को बताते हैं। निश्चित तौर वे भी झाबुआ विधानसभा के उप चुनाव के लिए दावेदारी करेंगे।

4. आशीष भूरिया : युवक कांग्रेस के प्रदेश महासचिव आशीष भूरिया को नेतृत्व क्षमता के लिए जाना जाता है। वे टिकट के तगड़े दावेदारों में से एक हैं। हालांकि उनकी राह इतनी आसान नहीं होगी। इसके लिए उन्हें भोपाल से लेकर दिल्ली तक दौड़ लगानी पड़ेगी।