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एमपी के जनशिक्षक के पास निकला खजाना, 153 देशों के देशी-विदेशी नोटों का लगा ढेर

एमपी के एक शिक्षक के पास नोटों का खजाना निकला है, उनके पास देश-विदेश की दुर्लभ मुद्राएं हैं।

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एमपी के जनशिक्षक के पास निकला खजाना, 153 देशों के देशी-विदेशी नोटों का लगा ढेर

एमपी के जनशिक्षक के पास निकला खजाना, 153 देशों के देशी-विदेशी नोटों का लगा ढेर

एमपी के एक जनशिक्षक के पास नोटों का खजाना निकला है, उनके पास देशी-विदेशी नोटों का ढेर है, हैरानी की बात तो यह है कि ये नोट केवल एक दो देश के नहीं बल्कि 153 देशों के नोट हैं। शिक्षक के पास भारतीय मुद्रा रुपया के साथ ही डालर के साथ येन, यूरो आदि है। जिसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं।

हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के जनशिक्षक की, 7 साल की उम्र में 1986 में झाबुआ के जनशिक्षक नरेंद्र सिंह ठाकुर पर पहली बार करंसी कलेक्शन का रंग चढ़ा तो कलेक्शन की दीवानगी बढ़ती गई। आज उनके पास 195 देशों में से 153 देशों की करंसी का कलेक्शन है। भारतीय मुद्रा में इनका मूल्य चार लाख है। शौक ऐसा कि केपवर्डे की मुद्रा एस्कुडोस के एक नोट के लिए उन्होंने 20,106 रुपए चुकाए। एक एस्कुडोस अभी 0.83 भारतीय रुपए का है। नरेंद्र की दीवानगी ऐसी है कि दुनिया में नवीनतम करेंसी यूरो 1 जनवरी 2006 को जारी हुई। यह 6 जनवरी को उनके कलेक्शन का हिस्सा बन गई। 9 जुलाई 2011 में नए बने देश साउथ सूडान की करंसी पौंड 10वें ही दिन जुटा ली।

2003 में हैदराबाद में अफ्रीकी-एशियाई गेम्स हो रहे थे। तब नरेंद्र करंसी कलेक्शन के लिए पहुंच गए। उन्होंने आठ अफ्रीकी देश साउथ अफ्रीका, मोजांबिक, बोत्सवाना, लेसोथो, घाना, मोरक्को, कांगो, लाइबेरिया के अतिथियों से उनकी करंसी एक्सचेंज की। नरेंद्र बताते हैं, वे विदेशी पर्यटकों से करंसी एक्सचेंज करते हैं। जो लोग विदेश जाते हैं, उनसे भी वहां की करंसी मंगवा लेते हैं।

ये करंसी भी खजाने में

-1930 में जापान में चलने वाला दुर्लभ जापानी डॉलर। अभी जापानी करंसी येन है।

-1971 का बांग्लादेशी नोट, तब यह पाकिस्तान में छपता था।

-यूरोप के 12 देशों में चलने वाली यूरो भी।

-ऑस्ट्रेलिया में सबसे पहले शुरू पॉलीमर करंसी भी।

ऐसे जागा शौक

नरेंद्र ने बताया, 1986 में पहली बार यूएस डॉलर का नाम सुना। तब भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन हुआ था। डॉलर देखने की इच्छा जगी और 1996 में पहली बार डॉलर देखा। तभी से शौक जगा।