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यहां 4 हजार बच्चों ने छोड़ दी पढ़ाई, बुलाने पर भी नहीं आ रहे

पांचवीं और आठवीं की दूसरी परीक्षा में भी नहीं हुए शामिल, गत वर्ष की तुलना में 20 हजार बच्चे कम

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झाबुआ

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Manish Geete

Aug 05, 2022

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झाबुआ। प्रदेश के दूसरे सबसे कम साक्षर वाले जिले का साक्षर बनाने के लिए ‘अ’ अक्षर अभियान चल रहा है। वहीं दूसरी माध्यमिक स्कूल की पढ़ाई छात्र पूरी नहीं कर रहे हैं। शिक्षा का अधिकार लागू होने के बावजूद जिले में कक्षा 8 वीं तक 4 हजार छात्रों ने स्कूल छोड़ पढ़ाई बंद कर दिया है। इसका खुलासा गत महीने में कक्षा 5 वीं और 8 वीं की आयोजित परीक्षा में हुआ है। अब इन छात्रों को तलाश कर स्कूल में फिर से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

बताया जा रहा है कि कोरोना संक्रमण के दो साल बाद स्कूल में कक्षा 5 वीं और 8 वीं की परीक्षा पहली बार आयोजित हुई है। बोर्ड पैटर्न में आयोजित इस परीक्षा में जिले में 12 हजार से अधिक छात्र गैर हाजिर रहे। मुख्य परीक्षा में इतनी अधिक संख्या में छात्र गैरहाजिर होने राज्य शिक्षा केन्द्र ने 25 जुलाई से पुन: परीक्षा आयोजित कराई। इसके साथ ही मुख्य परीक्षा में गैरहाजिर छात्रों के अभिभावकों से संपर्क करने कर उन्हें परीक्षा में शामिल करने के निर्देश दिए थे।

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पलायन भी बड़ी समस्या

शिक्षकों ने अभिभावकों से संपर्क किया। इसके बावजूद पुन: परीक्षा में 8056 हजार ही शामिल हुए है। शेष 4 हजार छात्र जो कि कक्षा 5 वीं और 8वीं के छात्र है। यह परीक्षा में शामिल हुए हैं और नए शैक्षणिक सत्र में स्कूल पहुंचे । बताया जा रहा है कि ऐसे में शिक्षक ने उनके घरों में संपर्क किया है , लेकिन वह बच्चे नहीं मिले। दरअसल आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग रोजगार की तलाश में बाहर चल जाते हैं। ऐसे में वह अपने साथ परिवार व बच्चों को भी ले जाते हैं।ऐसे में बच्चों की पढ़ाई छूट जाती है। यही कारण है प्राथमिक तक स्कूलों में बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई छोड़ देते है।

बताया जा रहा है कि जिले के कक्षा 1 से 7 से 2407 स्कूलों में 1लाख 95 हजार बच्चेे पंजीकृत थे। वहीं इस बार 1 लाख 77 हजार सौ बच्चे इन स्कूलों में पंजीकृत है। हालाकि अभी स्कूलों में कक्षा 1 से नए प्रवेशित बच्चों का मैपिंग अभी शत प्रतिशत नहीं हो पाई है। वहीं बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाने के लिए स्कूल चले अभियान चलाया जा रहा है। ऐसे छात्रों की संख्या अभी और अधिक बढ़ेगी।

इनका कहना

जिले में जो बच्चे शाला छोड़ चुके हैं, उन्हें फिर से स्कूलों में जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए शिक्षक प्रयास किए जा रहे हैं। पलायन के कारण अधिकांश परिवार बाहर चले जाते हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है।

-ओम प्रकाश वनडे, डीइओ झाबुआ