29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

हर दिन 120 से अधिक मरीज आने लगे, जानिए क्या है ‘सिकलसेल एनीमिया’ बीमारी

Sickle cell anemia- 40 हजार नमूने लिए गए, 90 हजार से अधिक लोगों की होनी थी।

3 min read
Google source verification

झाबुआ

image

Manish Geete

Jun 30, 2022

animia.jpg

झाबुआ. जिले में सिकलेसल एनीमिया की स्कैनिंग 15 जुलाई तक पूरी नहीं पाएगी है। ऐसे में सरकार ने अब एक महीने की समय सीमा और बढ़ा दी है। सिकलसेल एनीमिया की स्कैनिंग 15 अगस्त तक पूरी करनी होगी। इसके लिए कलेक्टर ने प्रतिदिन एक हजार प्रति विकास खंड में जांच करने का लक्ष्य दिया है। लेकिन वह पूरा नहीं हो पा रहा है। पिछले पंद्रह दिनों में 40 हजार ही नमूने लिए गए है। जबकि कि इन पंद्रह दिनों में 90 हजार से अधिक लोगों की होनी थी।

वर्तमान में जिले के सभी विकास खड़ों में चार से छ हजार तक जांच हो रही है। इनमें रोजाना 120 नए मरीज मिल रहे है। बताया जा रहा है कि आदिवासी बाहुल्य जिले में अनुवांशिक बीमारी को फैलने से रोकने के लिए जिले में सिकलसेन स्कैनिंग का अभियान चल रहा है। मार्च से प्रांरभ इस अभियान में जिले के 4 लाख 71 हजार 18 साल के बच्चों की स्कैनिंग की जानी है। इसके विरुद्ध अभी तक 2 लाख 77 हजार बच्चों की जांच हुई है। इनमें 12490 बच्चे इस बीमारी से ग्रस्ति मिले है। पिछले तीन महीनें में लक्ष्य के विरुद्ध 55 फीसदी ही जांच हो पाई है।

वहीं चुनाव के कारण जांच काम प्रभावित हुआ है। ऐसे में शासन ने अब जिले में स्कैनिंग काम करने एक महीने की समय सीमा बढ़ा दी है। अब 15 अगस्त तक सभी बच्चों एवं स्कैनिंग पूरी करनी है। लेकिन इतने कम समय में जांच करना कठिन चुनौती है।

अब तक बनकर नहीं मिले कार्ड

बताया जा रहा है कि जिले में स्क्रेनिंग में मिलने वाले मरीजों के लिए जेनेटिक काउंसलिंग कार्ड बनाए जाने है। लेकिन यह कार्ड अभी तक नहीं बन पाए है। जबकि 55 फीसदी से अधिक मरीजों की स्कैनिंग की जांच पूरी हो चुकी है।

बताया जा रहा है कि जिले में स्क्रैनिंग की जांच धीमी होने के कारण कलेक्टर ने प्रतिदिन सभी विकासखंड में प्रतिदिन कम से कम एक हजार जांच प्रति विकास खंड करने का लक्ष्य दिया है ताकि शेष समय में स्क्रैनिंग काम पूरा हो सके। बावजूद अभी 4 से 6 हजार तक ही जांच हो पा रही है। हालाकि शेष समय जिले की स्कैनिंग काम पूरा होने की दावा स्वास्थ्य विभाग कर रहा है।


जिले में सिकल्सेन एनीमिया की जांच करने एक महीने का समय बढ़ा है। अभी तक 55 फीसदी स्कैनिंग हो पाए। शेष 45फीसदी स्कैनिंग का काम पूरा सकें। इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे है।

संदीप चोपड़ा, नोडल अधिकारी झाबुआ

कैसे फैलता है यह रोग

लाल रक्त कोशिका विकारों का एक समूह है जो आपके माता-पिता से बच्चों जन्म से मिलता है।
सिकल सेल रोग वाले लोगों में कुछ लाल रक्त कोशिकाएं होती हैं जो गोल के बजाय सिकल या अर्धचंद्राकार होती हैं।
सिकल के आकार की लाल रक्त कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं के अंदर एक दूसरे से चिपक सकती हैं, रक्त प्रवाह और ऑक्सीजन को अवरुद्ध कर सकती हैं और दर्द पैदा कर सकती हैं। इसके अलावा गर्भावस्था के साथ समस्याएं, अंग क्षति और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। सिकल सेल रोग, जिसे कभी-कभी सिकल सेल एनीमिया (sickle cell anaemia) कहा जाता है। यह संयुक्त राज्य में अन्य नस्लीय या जातीय समूहों

ऐसे होते हैं इनके लक्षण

इन रोगियों के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। सबसे सामान्य लक्षण दर्द है। सामान्य से कम लाल रक्त कोशिकाएं होने के कारण एनीमिया या रक्त में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलने से आप थका हुआ और कमजोर महसूस करने लगते हैं। शरीर के तिल्ली, हृदय, फेफड़े, आंखें, गुर्दे, यकृत, या अन्य अंगों को नुकसान होता है, तो अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षण भी हो सकते हैं।

यह भी पढ़ेंः

यहां मिले 872 पॉजीटिव केस, बच्चों में अब नई बीमारी का खतरा