
झिणा-झिणा बाजा वागे, यीशु ना मंदिरिया मां तां बाजा वागे रे
झाबुआ. आज पैदा हुआ हमारा ‘मसीह’, हमने पाई है सारे जहां की ‘खुशी’...प्रभु यीशु के जन्म पर कैथोलिक चर्च में सोमवार रात 12 बजे जैसे ही यह गीत गूंजा हर कोई भावविभोर हो गया। सभी ने बालक यीशु का चुंबन लिया। गिरिजाघर में मैरी क्रिसमस की आवाज सुनाई देने लगी। 11.8 डिग्री तापमान के बावजूद किसी के उत्साह में कमी नहीं आई। ईसाई समुदाय ने प्रभु के जन्मोत्सव के बाद उत्साह के साथ एक-दूसरे को क्रिसमस पर्व की शुभकामनाएं देकर खुशियां मनाई। यह सिलसिला मंगलवार को भी पूरे दिन जारी रहा।
एक तरफ ढोल-मांदल की आवाज माहौल में उत्साह घोल रही थी तो वहीं दूसरी ओर चर्च परिसर में गूंजते कैरोल गीत धार्मिक उल्लास का संचार कर रहे थे। आस्था, उत्साह और उल्लास की त्रिवेणी के बीच जब प्रभु के आगमन का संदेश सुनाया गया तो हर कोई आंख मूंदकर भक्ति में डूब गया। इस भक्तिमय वातावरण ने सर्द रात में आस्था का उल्लास बिखेर दिया। श्रद्घा के इस उत्सव में लोक संस्कृति के रंग भी नजर आए। सोमवार की रात ईसाई समुदाय ने प्रभु यीशु का जन्मोत्सव लोक संस्कृति के अनुरूप मनाया। यूं तो धार्मिक कार्यक्रम की शुरुआत रात 10 बजे होना थी, लेकिन उससे पहले ही चर्च परिसर में ग्रामीणों का जमावड़ा लग गया। ग्रामीण क्षेत्रों से आए श्रद्घालु प्रभु के आगमन के उल्लास में डूबकर ढोल-मांदल पर नाच रहे थे। साढ़े 10 बजे कैरोल सांग के साथ ख्रीस्त जयंती
समारोह शुरू हुआ। मिस्सा बलिदान की क्रिया प्रमुख याजक बिशप डॉ. बसील भूरिया ने पूर्ण कराई।
उन्होंने बाइबिल का शुभ संदेश व प्रभु के उपदेश सुनाए। सह याजक की भूमिका फादर सिल्वेस्टर, फादर प्रताप बारिया, फादर मनोज कुजूर, फादर रोहित मचार, फादर रॉकी शाह, फादर सोनू, फादर अश्विन माल, फादर माइकल मकवाना, फादर इम्बानाथन व फादर जोनसन ने निभाई। इस दौरान संगीत मंडली के सदस्य बेंजामीन निनामा, जेरोम वाखला, आनंद खडिय़ा व युवा मंडली ने वाद्ययंत्रों की धुन पर ‘चरवाहे नाचे झूमके आज सभी गा रहे खुशिया मना रहे’ और ‘झिणा-झिणा वाजा वागे रे, यीशुजी ना मंदिरिया मां तां वाजा वागे रे’ सहित अन्य गीत प्रस्तुत कर माहौल में उत्साह घोल दिया। रात 12 बजे धार्मिक क्रिया पूर्ण होते ही सभी ने बालक यीशु की प्रतिमा का चुंबन लिया और एक-दूसरे को क्रिसमस की शुभकामनाएं दी।
प्रभु मनुष्य बनकर आए और हमारे उत्थान के लिए दुख उठाए
बिशप डॉ.बसील भूरिया ने समाजजनों को प्रभु यीशु के जन्म का संदेश सुनाया। उन्होंने कहाकि प्रभु का जन्म मानवता का संदेश देने के लिए हुआ। वे मनुष्य बनकर आए और हमारे उत्थान के लिए दुख उठाए। ईसाई समुदाय संसार के राजा को गो शाला में पाकर उन पर विश्वास करता है। हम सभी आत्म अवलोकन कर बालक यीशु का अंतरमन से स्वागत करें। तभी सच्चे अर्थों में हम क्रिसमस मनाने के अधिकारी होंगे। संपूर्ण विश्व में शांति व भाईचारे का संदेश प्रभु ने अपने जन्म के साथ ही हमें दिया। इसलिए विश्व में शांति के लिए मिलकर प्रार्थना करें। यीशु का पहला संदेश च्वालों को मिला। हम भी प्रभु के बताए मार्ग पर चलकर प्रेम व शांति का संदेश लोगों तक पहुंचाएं, तभी हम वास्तविक ख्रीस्त कहलाएंगे। ईश्वर ने अपने पुत्र यीशु का इसलिए चुनाव किया कि वो हमारे लिए मुक्ति लेकर आए। यीशु के आगमन के साथ ईश्वर की कृपा सभी मनुष्यों के लिए मुक्ति प्रकट करें। इसलिए मनुष्यों के लिए हमारा दायित्व यह होना चाहिए कि हम संयम और न्याय का जीवन बिताएं।
देर रात तक रही चर्च में भीड़
सोमवार मध्य रात्रि तक कैथोलिक चर्च में श्रद्घालुओं की भीड़ रही। ईसाई समुदाय के अलावा आसपास के क्षेत्रों से आए ग्रामीण ने चर्च और गोशाला को निहारा। रात में हुई धार्मिक क्रिया में जो समाजजन शामिल नहीं हो सके थे, उनके लिए मंगलवार सुबह 8 बजे चर्च में पुन: मीसा पूजा हुई। दिनभर क्रिसमस की शुभकामनाएं देने का सिलसिला चलता रहा। समाजजनों ने एक-दूसरे को केक खिलाए।
झूले-चकरी का लुत्फ लिया
क्रिसमस के मेले में नगर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से हजारों लोग जुटे। आधी रात तक झूले-चकरी का लुत्फ लिया। खाने-पीने की दुकानों पर भी भीड़ रही। मंगलवार को भी मेलास्थल पर चहल-पहल रही। पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए। चर्च से लेकर मेलास्थल तक पुलिस जवान तैनात रहे। खुद एसडीओपी एश्वर्य शास्त्री पूरे समय घूमकर व्यवस्थाओं का जायजा लेते रहे।
Published on:
25 Dec 2018 10:35 pm
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