
Inspirational Story: झालरापाटन जिले की बकानी तहसील के गांव नेवखेड़ी निवासी युवक भारत सिंह भैंस से अपना कारोबार शुरू कर मेहनत और लगन के बूते आज डेयरी फॉर्म का मालिक बनकर प्रति माह 60 हजार रुपए कमा रहा है। भारत सिंह ने बताया कि वह कृषि के क्षेत्र में स्वरोजगार करना चाहता था। फिर उसे उद्यमिता जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से पंजाब नेशनल बैंक आरसेटी द्वारा संचालित नि:शुल्क डेयरी फार्मिंग व वर्मी कंपोस्टिंग के कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम की जानकारी मिली।
वैज्ञानिक पद्धति की संपूर्ण जानकारी
इस व्यवसाय में वैज्ञानिक पद्धति की संपूर्ण जानकारी, दक्षता और कौशल हासिल करने के लिए उसने यहां 10 दिवसीय नि:शुल्क डेरी फार्मिंग व वर्मी कंपोस्टिंग प्रशिक्षण प्राप्त कर पशुपालन के क्षेत्र में नए कीर्तिमान बनाने की ठान ली। उसने उन्नत नस्ल की मुर्रा, भैंस को चुना और एक भैंस खरीद कर अपने लक्ष्य में जुट गया। इसमें उसे परिवार का भरपूर साथ मिला। आज उसके पास छह मुर्रा भैंस, 1 गाय और 1 बैल है। इनसे वह दूध के साथ साथ अन्य उत्पादों से प्रति माह 60 हजार रुपए की आमदनी कर रहा हैं।
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मार्केटिंग की व्यवस्था
मार्केटिंग की बेहतर व्यवस्था के साथ पशु के नस्ल सुधार एवं विकास पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। इससे मुनाफा अधिक हो रहा है। साथ ही क्षेत्र के अन्य पशुपालकों को उन्नत नस्ल की भैंस भी उपलब्ध करवा रहे हैं। जैविक खाद और गोबर से जैविक खेती भी कर रहे हैं।
मजबूत इरादे
भारत सिंह ने बताया कि उन्होंने एक बार शुरुआत करने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और कठोर परिश्रम तथा मजबूत इरादे और उत्साह से न केवल इस व्यवसाय की परिकल्पना को धरातल पर उतारा बल्कि अन्य ग्रामीण बेरोजगार युवाओं के लिए राह दिखाई और पशुपालन के स्वरोजगार को अपनाने की मिसाल कायम की। उन्हें मार्च 2023 में राज्य स्तरीय प्रगतिशील पशुपालक सम्मान से मुख्यमंत्री ने सम्मानित भी किया।
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लगातार प्रयासरत
उनकी इच्छा है कि डेयरी फॉर्म को वह मॉडल डेयरी फार्म के रूप में विकसित करना चाहते हैं। इसके लिए वह लगातार प्रयासरत हैं। पशुपालन के सभी आयामों में अपनी श्रेष्ठता साबित करने का उनका लक्ष्य है। इस कार्य में उन्हें पीएनबी आरसेटी, प्रगतिशील पशुपालक संघ का सहयोग मिल रहा है। उनका कहना है कि ग्रामीण युवा आज भी हर क्षेत्र में काम करने और आगे बढ़ने में सशक्त व तत्पर हैं।
भारत सिंह ने प्रशिक्षण लिया था। इसके बाद उसने नवाचार किया है। समय-समय पर मार्गदर्शन दिया जाता है।
चंद्रशेखर सुमन, आरसेटी, संस्थान निदेशक
Published on:
13 Mar 2024 03:19 pm
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