हाल-ए सुपर स्पेशिलिटी सेवाएं हरिसिंह गुर्जर झालावाड. राज्य सरकार ने दो साल पहले झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में चार सुपरस्पेश्यिलिटी विभाग जिसमें न्यूरोलॉजी, यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, गैस्ट्रोएन्ट्रॉलॉजी की शुरुआत करने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक ये विभाग नाम के ही साबित हो रहे हैं, इन्हे न तो जरूरी संसाधनउपलब्ध कराए गए है और न ही […]
झालावाड़•May 19, 2025 / 11:56 am•
harisingh gurjar
हाल-ए सुपर स्पेशिलिटी सेवाएं
हरिसिंह गुर्जर
झालावाड. राज्य सरकार ने दो साल पहले झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में चार सुपरस्पेश्यिलिटी विभाग जिसमें न्यूरोलॉजी, यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, गैस्ट्रोएन्ट्रॉलॉजी की शुरुआत करने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक ये विभाग नाम के ही साबित हो रहे हैं, इन्हे न तो जरूरी संसाधनउपलब्ध कराए गए है और न ही पर्याप्त विशेषज्ञ स्टाफ की नियुक्ति की गई है।
हाल-ए- सुपर स्पेशिलिटी सेवाएं
न्यूरोलॉजी विभाग: एक सह आचार्य
इस विभाग की स्थापना हो चुकी है, हो पाई। इसमें एक सह आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉ.रामसेवक योगी व डॉ. रामावतार मालव काम कर रहे है। लेकिन इस विभाग में अभी तक कोई सुविधा नहीं दी गई है।यहां गंभीर मरीजों के ऑपरेशन नहीं हो पाते हैं।ऐसे में कई बार मरीजों को कोटा रैफर करना पढ़ता है। यहां प्रति ओपीडी १५० से २०० मरीज आते हैं। इस विभाग में एक आचार्य व दो जेआर की जरूरत है।
यूरोलॉजी विभाग: मशीनें नहीं-
जिले में स्टोन डीजीज के मरीज सबसे ज्यादा आ रहे हैं। इसमें दूरबीन से ऑपरेशन होते हैं। यूरोलॉजी की परेशानी के करीब ४०- ५०ऑपरेशन हर माह होते है। लेकिन विभाग में काम आने वाले उपकरण लैप्रोस्कॉपी, स्याम मशीन (स्टोन देखने का कैमरा मशीन) विभाग में भी एक सहआचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉ. विशाल नैनीवाल है। इस विभाग में सातों दिन काम करने के लिए एक प्रोफेसर,एक एसोसिएट प्रोफेसर व दो जेआर चाहिए।
कॉर्डियोलॉजी विभाग:
कोटा-जयपुर जा रहे मेडिकल कॉलेज में इस विभाग के सबसे ज्यादा मरीज आते है। कैथ लेब नहीं बनने से ये विभाग भी अभी शुरु नहीं हो पाया है। हालांकि यहां इस विभाग में सहायक आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉ.मयंक सरवाग काम कर रहे हैं। इस विभागा में कॉर्डियक मरीजों की करीब 50-60 ओपीडी प्रतिदिन रहती है। बावजूद इसके सरकार द्वारा यहां संसाधन मुहैया नहीं करवाए गए है। ऐसे में हर दिन हार्ट के मरीजों को कोटा व जयपुर के लिए रैफर जाना मजबूरी बना हुआ है।
गैस्ट्रोएन्ट्रॉलॉजी विभाग-
पूरा खाली इस विभाग में इन दिनों पेट दर्द, लीवर संबंधी जांच व एन्डोस्कॉपी, कोलन स्कोपी सहित कई तरह की जांचे होती है। लेकिन ये सुविधा नहीं होने से मरीजों को कोटा व अन्य मेडिकल कॉलेजों में जाना पड़ता है। जिले में इस विभाग के करीब 400 मरीज प्रतिमाह बाहर जा रहे हैं। यहां भी एक प्रोफेसर, एक एसोसिएट प्रोफेसर व एक असिस्टेंट प्रोफेसर की जरुरत है।
30 करोड़ की लागत से होने है विकसित-
मेडिकल कॉलेज में चारों विभागों के लिए करीब 30 करोड़ रुपए की घोषणा हुई थी, जिसमें करीब आठ करोड़ की लागत से कैथ लैब बननी है। तथा 15 करोड़ के उपकरण व 15 करोड़ से भवन व इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि की सुविधाएं मिलनी है। लेकिन अभी तक मैन पावर व अन्य संसाधन नहीं मिल पाए है। टैंडर किए जा रहे है, लेकिन अभी तक कैथ लेब आकार नहीं ले पाई है। इसके चलते जिले के लोगों को इन सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
मरीजों की पीड़ा-
झालरापाटन तहसील के एक गांव निवासी पवन कुमार ने बताया कि एक सप्ताह पूर्व हार्ट में दर्द होने पर मैं मेरे पापा को एसआरजी चिकित्सालय लेकर पहुंचा था। एक दिन भर्ती रखा फिर कहा कि स्टन डलेगा, कोटा दिखाओ कोटा में स्टन डलवाया। मेडिकल कॉलेज में हार्ट यूनिट शुरू हो तो ये सुविधा यहां भी मिलने से मरीजों को बाहर नहीं जाना पड़े। गुरुवार रात को सोयत से आए दिलकुश ने बताया कि हार्ट में दर्द होने पर वो उसके ताऊजी को लेकर आया था, लेकिन यहां सुविधा नहीं होने से उन्हे कोटा लेकर जाना पड़ा।
प्रयासकर रहे-
झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में गेस्ट्रोलॉजी विभाग में अभी तक कोई नहीं आया है। सुपरस्पेशिलिटी सेवाओं में न्यूरोलॉजी, यूरोलॉजी व कॉर्डियोलॉजी में एक-एक स्टाफ है। विभाग अच्छे से चालू करने के लिए प्रयासरत है। उपकरणों के लिए सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेज रखे हैं। अभी कुछ साक्षात्कार हुए है उम्मीद है, उनमें से फैकल्टी मिल जाएं।
डॉ. संजय पोरवाल, डीन, मेडिकल कॉलेज, झालावाड़।
Hindi News / Jhalawar / घोषणा कर भूल गई सरकार, सुपर स्पेश्यिलिटी सेवाओं को नहीं मिले संसाधन