बचपन से ही दिल में देश सेवा का जज्बा लिए मुकुट सेना में भर्ती होने के लिए उतावला रहता था। दोस्तों के बीच राष्ट्र भक्ति की चर्चा में व देशभक्ति के गीतों पर भावुक हो जाता था’। वह कहता था कि ‘अगर मुझे मौका मिला तो मैं सीने पर ही गोली खाऊंगा लेकिन पीछे नहीं हटूंगा।
यह कते हुए गांव लड़ानिया में शहीद मुकुट के सहपाठी व बालसखा सुरेंद्र मीणा की आंखों में यादों के साथ आंसू तैर गए। होश सम्भालने पर स्कूल जाने से लेकर पढ़ाई पूरी करने तक सहपाठी सुरेंद्र का साथ मुकुट से कभी नहीं छूटा।
शहीद के अंतिम संस्कार के लिए गांव में बनाया नया श्मशान घाट, लग रहे पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे फौज में भर्ती होने भी रोज फोन पर यारों की बात होती थी। सुरेंद्र ने रुंधे गले से बताया कि रोज फोन पर बात होती थी परसों ही तो बहुत देर तक बात हुई। मुकुट ने फोन कर पूछा था गांव के क्या हाल है बारिश हुई या नहीं।
उसने बातचीत में बताया कि उसकी ड्यूटी कुपवाड़ा में स्पेशल टीम में लगी है और माहौल खराब है लेकिन आतंकवादियों को नाको चने चबा देगा। सुरेंद्र को क्या पता था कि मुकुट के मुंह से निकले यह आखिरी वाक्य बहुत कुछ कह जाएगे। फोन बंद करते वक्त उसने कहा था कि अब कल बात करेंगे। हां दूसरे दिन फोन आया लेकिन उसका नहीं उसकी मौत की खबर का।