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Jhalawar News, Sheetla Mata पूआ-पूरी, लापसी का शीतला माता के भोग लगाएंगे को मनोकामनाएं पूरी होगी

- शीतला सप्तमी और अष्टमी आज मनाएंगे

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Jhalawar News, Sheetla Mata पूआ-पूरी, लापसी का शीतला माता के भोग लगाएंगे को मनोकामनाएं पूरी होगी

Jhalawar News, Sheetla Mata पूआ-पूरी, लापसी का शीतला माता के भोग लगाएंगे को मनोकामनाएं पूरी होगी

झालावाड़/सुनेल. चैत्र मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की सप्तमी एवं अष्टमी तिथि को शीतला सप्तमी गुरूवार को मनाई जाएगी। शीतला सप्तमी पर भक्त शीतला की पूजा-अर्चना और व्रत करते है,ताकि उन्हें किसी भी प्रकार के कष्टों से मुक्त मिल सके। शीतला का व्रत करने से शरीर निरोगी होता है और गर्मी में होने वाले चेचक जैसे अन्य संक्रामक रोग से मां भक्तों की रक्षा करती हे। इस वर्ष शीतला सप्तमी का पर्व इस साल गुरूवार को मनाया जाएगा। यह अगले दिन अष्टमी शुक्रवार तक चलेगा, इसलिए इसे दो दिनों तक मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य पंडित बालकृष्ण दुबे ने बताया कि स्कन्द पुराण के अनुसार शीतला अष्टमी का व्रत चैत्र कृष्ण अष्टमी को किया जाता है। इसमें पूर्व विद्वा अष्टमी ली जाती है। इस दिन शीतल जल से स्नान कर शीतला माता का पूजन किया जाता है। माता को प्रत्येक प्रकार के मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात, लपसी, रोटी-तरकारी आदि कच्चे-पक्के सभी शीतल पदार्थ पहले दिन बनाए हुए का भोग लगाया जाता है। इस व्रत को करने से व्रती के कुल में शीतला जनित सर्व दोष दूर होते है। शीतला रोग मुक्ति के लिए यह व्रत बहुत हितकारी है। जिन घरों में कलह या आपसी विवाद ज्यादा होते है। उन्हें पूरे परिवार के साथ यह व्रत करना चाहिए। इस वर्ष पूजन का मुहूर्त गुरूवार को छह बजकर 21 मिनट से आरंभ होकर शाम छह बजकर 34 मिनट तक रहेगा। पूजन की कुल अवधि 12 घंटे 14 मिनट की रहेगी। शीतला सप्तमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 24 मार्च गुरूवार को दो बजकर 16 मिनट से 25 मार्च शुक्रवार को 12 बजकर 9 मिनट तक रहेगा।

वाराणसी नगरी में भगवान पाŸवनाथ का जन्म कल्याणक हुआ
अकलेरा. अंजन शलाका महोत्सव के पांचवे दिन नवकारसी के बाद वाराणसी नगरी में भगवान पाŸवनाथ के जन्मकल्याणक हुआ । मंगलेश जैन ने दीजिसमें दासी प्रियम्वदा ने भगवान के जन्म की सूचना राजा को दी गई। भगवान के भुआ की और से पूरे परिवार को उनके लिए खिलाने पायल सोने की चैन कड़े कपड़े लेकर आये। फूफा भुआ बनने का सौभग्य सरथल वाले कमल किशोर एवं धर्मपत्नी को मिला। इसके बाद राज ज्योतिष ने बालक की कुंडली बताई और बताया कि बहुत ही उच्च भव ओर देव रूप बालक ने जन्म लिया है । बालक का नाम पाŸव कुमार रखा गया था।भगवान का पाठशाला गमन हुआ इसके बाद भगवान की शुभविवाह का मुहूर्त निकलता है और ममेरा बाबू लाल नितिन जैन द्वारा लेकर आते हैसारे पंडाल को हितेश भाई सौरभ भभाई ने बारात बनकर झूमने ओर मजबूर कर दिया महिलाएं भाव विभोर होकर आंखों से अश्रु निकल गए सारा माहौल भक्तिमय ओर खुशी से सरोबार हो गया। भगवान के ससुर ओर सास बने संजय लुनावत दीपा लुनावत ने बारात की अगवानी की और रंग गुलाल से बारात का स्वागत किया ।पंडाल पूरा भक्तिमय हो गया जैन समाज के अलावा अकलेरा के सभी समाज के लोगों द्वारा इसमे भाग लिया ।आज के नवकारसी के लाभर्ती पानाचंद दुर्गा बाई जैन तारज वाले थे एवं स्वामी वात्सल्य के लसभार्थी अभय जैन मोहन जैन कमल जैन रहे। इस अवसर पर आज अकलेरा के पत्रकारों ने गुरुदेव से प्रेस वार्ता कर कई सवाल किए जिसका गुरदेव ने बड़ी ही सुंदरता से पंचकाल्याण का वर्णन किया। गुरदेव ने पत्रकारों के सवाल में पत्रकारों को बधाई दी और सर्जन करने वाली खबरों के प्रेरणा दी। गुरु देव ने बताया कि वो 6 वर्ष 20 दिन की उम्र में दीक्षित हो गए थे मध्यप्रदेश के राजगढ़ में उनका जन्म हुआ बाद में उनकी सांसारिक माता और बहन ने भी दीक्षा ले ली । समाज अध्यक्ष मोहन जैन ने कल के रथ यात्रा के लिए सर्व समाज का आमंत्रण दिया है।
गुरुजी ने पंच कल्याण का महत्व बताया। प्रथम जन्म कल्याणक दिशा कल्याणक 25 मार्च को प्राण प्रतिष्ठता होगी जिसमें मंत्रोउपचार की पूरी प्रक्रिया होगी सैकडो इसके विधान होते है जो प्राण प्रतिष्ठता होती है वह मध्य रात्री को होती है गुरुदेव स्वयं उपस्थित होते है बड़ी गुप्त प्रक्रीया होती है । अकलेरा का मंदिर नया है प्रतिमा प्राचीन है लेकिन कुछ नई प्रतिमा भी है जिसमे पाश्वनाथ प्रभु महावीर स्वामी भगवान चंदा प्रभु गौतम स्वामी की है प्राण प्रतिष्ठा उनकी होगी ।


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