सुनेल (झालावाड़) . 16 जून से 31 अगस्त तक मत्स्याखेट पर पूर्णतया प्रतिबंध रहता है। यही सीजन मानसून का भी होता है। ऐसे में नदी, नालों व तालाबों में भरपूर पानी रहता और मछलियों की भरमार हो जाती है। ऐसे में इसी सीजन में सबसे ज्यादा मछलियों का शिकार होता है। मत्स्य विभाग के जुड़े जिम्मेदार रोक का आदेश निकाल कर भूल जाते हैं। ऐसे में निगरानी नहीं होने से धड़ल्ले से मछुआरे कानून का मजाक उड़ाते देखे जा सकते हैं।
सुनेल कस्बे के समीप आहूनदी में हर रोज मछुआरे पाबंदी के बावजूद धड़ल्ले से अवैध मत्स्याखेट कर रहे हैं। कस्बे के समीप भवानीमंडी मार्ग पर आहू नदी में मछुआरे सुरक्षा को धता बताकर बड़े पैमाने पर मत्स्याखेट कर रहे हैं। यहां प्रतिदिन अलसुबह से ही मत्स्याखेट शुरू हो जाता है। मछुआरे सुबह से अपने जाल बिछाने व मछली पकडऩे के काम में जुट जाते हैं। इस पर कार्रवाई नही होने से स्थिति और भी बिगड़ती जा रही है। बारिश के दौरान मछुआर मछली पकडक़र उन्हें व्यापारियों को कम दरों पर बेेच देते है। मछलियों के प्रजनन की अवधि बारिश के समय रहती है। इस अवधि मेें मछलियों के शिकार पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है। स्थानीय रामलाल धाकड़, भंवरलाल मेघवाल आदि ने बताया कि प्रतिबंध के बाद भी इस अवधि में मछलियों का शिकार किया जाता है। इस अवैध में व्यापार पर प्रशासन भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाती।
मछुआरों को वर्षा का रहता है इंतजार
बड़े तालाब, नाले, नदियां, घाटों आदि पर मछुआरों को सबसे ज्यादा फायदा बारिश के महीनों में होता है। इन नदियों में बाढ़ आने पर मटमैला पानी बहता है। इसमें अधिक मात्रा में मछलियां मिलती है और इसी समय मछलियों का प्रजनन भी होता है।
सजा और जुर्माने का प्रावधान
जिन क्षेत्रोंं में रोक होती है वहां मत्स्याखेट नहीं किया जा सकता। इसके अलावा बारिश के समय ठेका होने के बावजूद मछलियों का प्रजनन काल होने के कारण मत्स्याखेट पर रोक रहने का प्रावधान है। इसके लिए कानून में मत्स्याखेट अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत सजा, जुर्माने के प्रावधान हैं।
खुले आम बाजार में बेचते हैं
मछली विक्रेता बाजार में खुले आम मछली बेचते रहते है। होटल, ढाबा संचालक इनसे लेकर होटलों, ढाबों पर बना कर बेचते हैं। इस सब की जानकारी प्रशासन होने के बावजूद कभी भी कोई कार्रवाई नहीं की। मत्स्य विभाग की तरफ से हर वर्ष नियमों का हवाला देते हुए हर हर वर्ष बारिश के समय मछलियों के शिकार प्रतिबंध लगाया जाता है, लेकिन निगरानी कोई नहीं करता।