
Navratri Special : चलो बुलाया आया है..मां राता ने बुलाया है...
झालावाड़.असनावर. उपखंड व तहसील मुख्यालय के पास मुकंदरा पर्वतमाला की मनोहारी पहाडिय़ों के बीच दर्शन देती हैं मां राता देवी। यही नहीं यहां नवरात्र के दौरान पुलिस पहरा देती है और झालरापाटन तहसील के कोष कार्यालय से सोने चांदी के आभूषण आते हैं। जो 9 दिनों तक माता के शृंगार में शोभा बढ़ाते हैं। शारदीय नवरात्रि के दिनों में मातारानी के इस धाम की आभा बहुत धार्मिक होती है। झालावाड़ से करीब 30 किमी दूर असनावर के निकट ग्राम पंचायत लावासल में मुकन्दरा पर्वतमाला के बीच रातादेवी का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का एक बड़ा केंद्र है। जहां श्रद्धालुओं का अपार जन समूह वर्ष पर्यंत उमड़ता रहता है।
हर प्रार्थना माता के मंदिर में होती पूरी
यह खींची राजवंश की कुलदेवी हैंं। पूरा मंदिर सफेद संगमरमर से निर्मित है। राता देवी गागरोन के राजा अचलदास खींची की बहन थी, जो सती होने के दौरान पत्थर के रूप में परिवर्तित हो गई। इनके यहां 2 स्वरूपों मे पूजा की जाती हैं। इसमें 1 बिजासन और दूसरे रूप में अन्नपूर्णा के रूप में पूजा होती है। माता की मूर्ति के पीछे अचलदास की छाप है। चैत्र एवं शारदीय नवरात्रि में 9 दिन तक यहां मेला लगता था, जो पूरे हाड़ौती और मध्य प्रदेश के श्रद्धालु यहां काफी
संख्या में आते है, और पूजा अर्चना करते हंै। कहते हैं कि यहां आकर मांगने से सभी भक्तों की प्रार्थना पूरी होती है। लेकिन पिछले दो साल से कोरोना लॉकडाउन एवं कोविड महामारी के चलते यहां आने वाले लाखों भक्त अब कम पहुंच रहे हंै, जो भक्त आ रहे हैं उनको भी यहां सैनेटाइज किया जा रहा है, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कराई जा रही है। माता के दर्शन दूर से ही कराए जा रहे हैं।
--आस्था का बड़ा केंद्र
यह मंदिर खींची राजाओं ने बनाया था, यह उनकी कुल देवी के नाम से भी जानी जाती है। समय समय पर खींची राजाओं के वंशज यहां आकार पूजा अर्चना करते है। नवरात्रा में यहां उनके परिवार के लोग आते हंै और पूजा अर्चना करते हैं। इनके अलावा रातादेवी मंदिर लाखों लोगों की आस्था एवं विश्वास का केंद्र है। इस मंदिर में हमेशा देशी घी के दिए जलते रहते हंै। बाहर से आने वाले भक्तों की यहां हर इच्छा पूरी होती है। यहां नवरात्रा में मन्दिर में पुलिस का पहरा रहता है, जो हर 3 घन्टे में बदलता रहता है, यहीं नहीं सुबह-शाम आरती के समय पुलिस सलामी देती है। राजस्थान का यह पहला मन्दिर होगा, जहां सरकारी आभूषणों से माता का शृंगार होता है और पुलिस सलामी देती है। श्रद्धालुओं में यहां नवरात्रा में दर्शन करने में बहुत आस्था है, और पहले हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां नंगे पांव चले आते थे, लेकिन कोरोना काल में प्रशासन ने भी यहां सख्ती बढ़ा रखी है। गुरुवार से शुरू होने वाले शारदीय नवरात्र में भी कोरोना गाइडलाइन की पालना के चलते यहां मेला नहीं लगेगा।
Published on:
06 Oct 2021 09:27 pm
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