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देशभर में छा गया राजस्थान के मजदूर का बेटा, बनेगा अपने गांव का पहला इंजीनियर, राहुल गांधी व CM गहलोत ने दी बधाई

झालावाड़ जिले के मोग्याबेह भीलान गांव के लेखराज भील (Lekhraj Bheel) ने जेईई मुख्य परीक्षा ( JEE-Main Exam) में सफलता हासिल करने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बधाई दी है।

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Lekhraj Bheel

Lekhraj Bheel

कोटा। झालावाड़ जिले के मनोहरथाना में पिंडोला पंचायत समिति के मोग्याबेह भीलान गांव ( Mogayabeeh Bhilan village in Jhalawar ) के 18 साल के लेखराज भील ( Lekhraj Bheel ) ने जेईई मुख्य परीक्षा ( JEE-Main Exam) में सफलता हासिल की है। इस पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ), मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( Ashok Gehlot) व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने शुक्रवार को लेखराज को बधाई दी है। राहुल ने ट्वीट किया, 'राजस्थान के जनजातीय गांव भीलन के एक बेटे ने जेईई मुख्य परीक्षा में सफलता हासिल की है। सफलता के लिए आपको बधाई।' 18 साल के लेखराज भील अपने जनजातीय गांव के पहले विद्यार्थी हैं, जिन्होंने यह परीक्षा पास की है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर लिखा, झालावाड़ के मोग्याबेह भीलन गांव के लेखराज को जेईई मुख्य परीक्षा में सफलता हासिल करने पर बधाई। यह वास्तव में उनके माता—पिता के लिए गर्व की बात है। उनकी सफलता कई युवाओं को प्रेरित करेगी। सचिन पायलट ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, राज्य के झालावाड़ जिले के मोग्याबेह भीलन गांव के मनरेगा मजदूर मंगीलाल भील जी के पुत्र लेखराज भील को जेईई-मेन परीक्षा में सफलता हासिल करने पर हार्दिक बधाई एवं उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं।

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दरअसल, लेखराज भील ने जेईई मुख्य परीक्षा में सफलता हासिल की है। मोग्याबेह भीलान गांव से लेखराज का पहला इंजीनियर बनने जा रहा है। छात्र लेखराज के पिता मांगीलाल भील एवं मां सरदारी बाई निरक्षर हैं। उन्हें यह तक नहीं पता कि इंजीनियर क्या होता है। दोनों नरेगा में मजदूरी करते हैं। नरेगा मजदूरी के अलावा अन्य दिनों मांगीलाल मजदूरी करते हैं। लेखराज ने जेईई-मेंस में कैटेगिरी रैंक 10740 प्राप्त की है और एनआईटी से इंजीनियरिंग करने की इच्छा रखता है।

12 किलोमीटर पैदल आता-जाता था
लेखराज की पढ़ाई में रूचि थी। 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई गांव से 6 किलोमीटर दूर स्थित सरकारी स्कूल में जाकर की। रोजाना 12 किलोमीटर आना-जाना पड़ता था। स्कूल में गणित व विज्ञान विषय के शिक्षक उपलब्ध नहीं थे। फिर भी लेखराज ने खुद पढ़ाई की और 93.83 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। गांव में मात्र 150 घरों की आदिवासी भीलों की बस्ती है। बिजली भी बहुत कम आती है। कच्चा मकान है।

दो साल पहले सरकारी योजना के तहत घर में शौचालय बनवाया है। गांव के अधिकांश युवा मजदूरी एवं अन्य काम करते हैं। लेखराज के पिता को अभी तक यह नहीं पता कि इंजीनियर क्या होता है और उनके बेटे को किस परीक्षा में सफलता मिली है। engineer बनकर आने के बाद लेखराज परिवार की स्थिति में सुधार लाना चाहता है। लेखराज सहित चार भाई-बहिन है। दो की शादी (wedding) हो चुकी है।


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