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महारानी को मुख्यमंत्री बनाना है… राजस्थान में जगह-जगह उठ रही यह मांग, सर्वे में भी वसुंधरा सबसे आगे

बीते दो दशकों से राजस्थान में भाजपा की सीएम फेस और नंबर-1 नेता वसुंधरा राजे रही हैं। लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें सीएम फेस डिक्लियर नहीं किया है। भाजपा पीएम मोदी और चुनाव चिह्न कमल के फूल के भरोसे चुनावी मैदान में है।

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राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे.

राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी बिछात बिछ चुकी है। यहां नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। राज्य में इस समय कांग्रेस की सरकार है, जिसके मुखिया अशोक गहलोत हैं। दूसरी ओर भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी है, जिसने इस बार बिना किसी चेहरे को प्रोजेक्ट किए चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया है। बीते दो दशकों से राजस्थान में भाजपा की सीएम फेस और नंबर-1 नेता वसुंधरा राजे रही हैं। लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें सीएम फेस डिक्लियर नहीं किया है। भाजपा पीएम मोदी और चुनाव चिह्न कमल के फूल के भरोसे चुनावी मैदान में है। लेकिन प्रदेश में जैसे-जैसे सियासी सरगर्मी जोर पकड़ती जा रही है, वैसे-वैसे वसुंधरा राजे को सीएम फेस बनाने की मांग भी जोर पकड़ती जा रही है।

बीते दिनों झालावाड़ में वसुंधरा राजे की कार्यकर्ता सम्मेलन में लोग यह नारे लगाते दिखे- महारानी साहिबा को मुख्यमंत्री बनाना है। राज्य से सियासी पंडितों का भी कहना है कि राज्य में अभी भी भाजपा की नंबर-1 नेता वसुंधरा राजे ही हैं।

इस बीच हाल के दिनों में अलग-अलग न्यूज चैनलों और रिसर्च ऑगेनाइजेशनों द्वारा किए गए ओपिनियन पोल में भी यह बात सामने आई कि प्रदेश में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे ज्यादा पसंद वसुंधरा राजे ही है। CSDS के ओपिनियन पोल में भाजपा से सीएम फेस के लिए वसुंधरा राजे को 27 फीसदी लोगों ने पसंद किया। जबकि दूसरे नंबर पर बाबा बालक नाथ का नाम आया। इन्हें 13 फीसदी लोगों ने पसंद किया। तीसरे स्थान पर गजेंद्र सिंह शेखवात को 6 फीसदी और अंतिम स्थान पर सीपी जोशी को 3 फीसदी लोगों ने पसंद किया।

राज्य में भाजपा के अब तक के चुनावी अभियान में भी वसुंधरा को साइडलाइन करने की कोशिश पर बवाल और बाद में उन्हें उचित स्थान देने पर शांति का माहौल दिखा है। भाजपा ने जब राजस्थान के लिए प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी की थी। तब उसमें वसुंधरा राजे गुट के कई नेताओं का टिकट काट दिया गया था। जिसका जमकर विरोध हुआ। इस विरोध के बाद भाजपा ने भी अपनी प्लानिंग में तब्दीली की। दूसरे, तीसरे , चौथे और पांचवें लिस्ट में वसुंधरा गुट के नेताओं को टिकट दिया गया।

प्रदेश के सियासी जानकारों का कहना है कि चार बार की विधायक और पांच बार की लोकसभा सांसद रहीं ग्वालियर राजघराने की बेटी और धौलपुर राजघराने की बहू वसुंधरा राजे की शख़्सियत के सुर्ख़-रू होने का एक बड़ा कारण उनका पांच जातियों से सीधे-सीधे जुड़ाव भी है। वसुंधरा जैसी नेता राजस्थान में पीएम मोदी के लिए संपत्ति की तरह हैं। ना सिर्फ 2023 चुनाव में बल्कि 2024 लोकसभा चुनाव में भी, क्‍योंकि उन्‍होंने 2014 में 25 सीटें और 2019 में भी 25 सीटें दी थीं।


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