
पुलिस की गिरफ्त में हत्या के दोषी अनीता मीणा और संतोष निर्मल।
Rajastha Crime News: झालावाड़ । जिले में 7 साल पहले इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) अधिकारी की हुई हत्या मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस हत्या को जिस बारीकी से अंजाम दिया गया, शायद देश में इस तरह का यह पहला मामला होगा। आईबी अधिकारी की हत्या में खुद पुलिसकर्मी शामिल था, ऐसे में उसने बचने के सभी रास्ते अपनाए।
इंटेलीजेंस ब्यूरो के अधिकारी की बेहोशी का इंजेक्शन लगाकर हत्या करने की आरोपी उसकी लेक्चरर पत्नी और पुलिसकर्मी प्रेमी समेत चार लोगों को न्यायालय ने दोषी ठहराया है। बुधवार को दो दोषियों को आजीवन और 2 लोगों को 14 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। वारदात के बाद अभियुक्तों ने इसे हत्या की जगह हार्ट अटैक या अन्य तरह से स्वाभाविक मौत का रूप देने की कोशिश की थी। दूसरी तरफ आईबी अधिकारी के पिता ने शुरू से ही इसे हत्या माना और दोषियों को सजा दिलाने के लिए 7 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी।
इस मामले में बुधवार सुबह विशेष न्यायाधीश [अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार प्रकरण] सुनीता मीणा ने फैसला सुनाते हुए चारों अभियुक्तों को हत्या और हत्या का षड्यंत्र रचने के आरोप में दोषी ठहराया, जबकि एक अभियुक्त को दोषमुक्त कर दिया। दोष सिद्ध करते ही चालानी गार्ड ने अनीता मीणा, प्रवीण राठौर, शाहरूख खान और संतोष निर्मल को हिरासत में ले लिया। चारों को अदालत परिसर में बैरक में ले जाकर रखा गया। करीब दो घंटे बाद चारों अभियुक्तों को फिर से अदालत में बुलाया गया और सजा सुनाई गई।
इंटेलीजेंस ब्यूरो से जुड़े अधिकारी की हत्या से जुड़ा मामला होने के कारण यह पुलिस के लिए काफी संवेदनशील था। पुलिस ने जब मोबाइल कॉल डिटेल निकलवाई और अन्य बिंदुओं पर पड़ताल की तो पता चला कि अनीता के एसीबी में कांस्टेबल प्रवीण के साथ अवैध संबंध थे। दोनों बचपन से एक दूसरे को पसंद करते थे, लेकिन परिजन उनकी शादी के लिए राजी नहीं हुए। अनीता की शादी 2011 में चेतन प्रकाश के साथ हो गई। अनीता जिस स्कूल में पढ़ाती थी, उसी स्कूल में उसके प्रेमी की पत्नी भी पढ़ाती थी, ऐसे में एक बार फिर दोनों में नजदीकियां बढ़ गई। सिपाही प्रेमी को अनीता अपना मुंहबोला भाई कहती थी।
IB अधिकारी चेतन प्रकाश को शक हो गया था कि उसकी पत्नी का प्रवीण के साथ अवैध संबंध हैं। उसको यहां तक शक था कि उसका बेटा पता नहीं उसका है या नहीं। ऐसे में वह बेटे का DNA टेस्ट कराने का दबाव बना रहा था। ऐसे में अनीता को डर था कि अगर डीएनए टेस्ट होता है तो उसके अवैध संबंधों की पोल खुल जाएगी, ऐसे में उसने अपने पति को ही रास्ते से हटाने का फैसला किया।
प्रवीण ने पूर्व में भी कई बार चेतन की हत्या की कोशिश की थी, लेकिन वह सफल नहीं हुआ। इस बार उसने मेडिकल साइंस का उपयोग करते हुए बेहोशी [एनीस्थिसिया] का इंजेक्शन देकर हत्या करने की योजना बनाई। इस इंजेक्शन के बारे में आमतौर पर पोस्टमार्टम में पता नहीं चलता। यह इंजेक्शन प्रवीण को उसके साथी नर्सिंगकर्मी संतोष निर्मल ने उपलब्ध करवाया था, जो कि यहां निजी अस्पताल में कार्यरत था। हत्या के समय प्रवीण ने इंजेक्शन का हेवी डोज चेतन की जांघ में लगाए। इससे वह कुछ ही देर में बेहोश हो गया और हेवी डोज से उसकी मौत हो गई।
मामले के जांच अधिकारी संजय प्रसाद मीणा के अनुसार देश में इंजेक्शन लगाकर हत्या करने का संभवत: यह पहला मामला था। पूरी दुनिया में इस तरह के कुछ ही मामले सामने आए हैं। मीणा के अनुसार चूंकि अभियुक्त प्रवीण राठौर खुद पुलिसकर्मी था, इसलिए उसने वह सभी तरीके अपनाए, जिससे वह पुलिस के पकड़ में नहीं आ सके। जिस इंजेक्शन को लगाकर हत्या की गई थी, उसके बारे में पोस्टमार्टम में पता नहीं चलता। मृतक के शरीर पर किसी तरह के चोट के निशान नहीं थे। ऐसे में किस चीज से हत्या की गई, इसका पता लगाना मुश्किल हो रहा था।
Updated on:
15 May 2025 01:37 pm
Published on:
15 May 2025 01:10 pm
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