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यहां भूखों का पेट भरता है, दुनिया भर से आते हैं चाहने वाले, मनोकामनाएं हो जाती है पूरी

Jhansi News : झांसी में एक ऐसा धार्मिक स्थान है जहां 1994 से हर रोज लंगर चल रहा है। साल भर पहले से लंगर को बुक करवाना पड़ता है। तब कहीं जाकर नंबर लग पाता है। इस स्थान को स्टेशन वाले बाबा के नाम से दुनिया में मिली है पहचान। जो बाबा के दर पर आता है वो झोली भरकर ले जाता है।

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सबका मालिक एक बाबा का दरबार।

Jhansi News : स्टेशन वाले बाबा के नाम से विख्यात बाबा धाम पर हजरत कुबतुल आफताब सैय्यद एवज अलीशाह रहमत उल्ला अलैहका 44वां उर्स बुधवार को चित्रा चौराहा स्थित बाबा धाम पर मनाया जाएगा। उर्स को लेकर तैयारियां पूरी हो गई है। शाम 7 बजे बाबा धाम से बाबा की बबीना स्थित मजार पर चादर ले जाकर उर्स की शुरुआत होगी। शाम 7.30 बजे से बाबा धाम पर नागपुर के कव्वाल रज्जाक जॉनी कलाम पेश करेंगे। इस मौके पर पत्रिका यूपी आपको बाबा धाम की मान्यता बताने जा रहा है। यहां 1994 से हर रोज लंगर लगता है। बड़ी संख्या में इस दरबार में भूखे लोगों का पेट भरता है।

कई देशों में हैं बाबा के अनुयायी

स्टेशन वाले बाबा के मुरीद दुनियाभर में फैले हुए हैं। 'सबका मालिक एक' के नाम से मशहूर बाबा धाम के मुख्य सेवादार आरएस यादव नौकरी छोड़कर बाबा के सेवक बन गए। वह बताते हैं कि बाबा के जन्म की जानकारी नहीं है, लेकिन वह गोंडा में जज के रूप में तैनात थे। बाद में उन्होंने नौकरी छोड़कर वैराग्य धारण कर लिया। वह फकीरी का जीवन जीते थे और अक्सर अपना बसेरा रेलवे स्टेशन के पास बनाते थे, जिस कारण उन्हें 'स्टेशन वाले बाबा' के नाम से मशहूरियत मिली। उनकी याद में पहला उर्स 29-30 मई 1980 को बबीना में आयोजित किया गया। इसके बाद झांसी में उर्स होने लगा। बाबा के उर्स में अब तक अजीज नाजा, शंकर- शम्भू, दिलावर बाबू, परवीन सबा, छोटा यूसुफ, आजाद चांद कादरी, तमन्ना बानो, अनवर जॉनी, आरजू बानो, रईस - अनीस साबरी, मुराद आतिश जैसे कव्वाल शिरकत कर चुके हैं। उनका मानना है कि लोगों में बाबा की ऐसी आस्था है कि विदेश में बसने के बाद भी लोग जब झांसी आते हैं तो बाबा की दर पर माथा अवश्य टेकते हैं।


बाबा के दरवार में होती है समाजसेवा

बाबाधाम ने 31 मई 2013 में हुए उर्स के दौरान 7 दिव्यांगों को स्कूटी, 20 जून 2013 को उत्तराखंड बाढ़ पीड़ितों के लिए 1.71 लाख रुपये की आर्थिक सहायता, 31 मई 2014 को पति की मृत्यु के बाद निराश्रित हयी महिलाओं को 300 सिलाई मशीन, 31 मई 2015 को दिव्यांगों को 101 तिपहिया साइकिल, 5 जनवरी 2020 को कबाड़ बेचने वाले अब्दुल शादाब को बहन की शादी के लिए इलेक्ट्रिक लोडिंग वाहन दिया।


29 साल से हर रोज चल रहा लंगर

चित्रा चौराहे स्थित बाबाधाम पर वर्ष 1994 में लंगर की शुरुआत की गयी थी। तब से यह क्रम प्रतिदिन जारी है। कोविड काल को छोड़कर कभी भी यहाँ लंगर बाधित नहीं हुआ। लोग अपनी तरफ से साल भर पहले से अपने जन्मदिन, परिजनों की स्मृति, शादी की सालगिरह आदि के लिए लंगर की बुकिंग कर देते हैं, जहाँ लोग जाति, धर्म, अमीरी, गरीबी का भेदभाव किए बगैर प्रसाद खाने आते हैं।