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बदलते मौसम में बच्चों में दिखें ये लक्षण, तो समझो है गंभीर बीमारी का खतरा

बदलते हुए मौसम में सर्दी के कारण बीमारियों का बढ़ना शुरू हो जाता है...

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Common Types of Winter and Monsoon Diseases in childs

बदलते मौसम में बच्चों में दिखें ये लक्षण, तो समझो है गंभीर बीमारी का खतरा

झांसी. बदलते हुए मौसम में सर्दी के कारण बीमारियों का बढ़ना शुरू हो जाता है और इसका असर सिर्फ बड़ों की सेहत पर ही नहीं, बल्कि बच्चे भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। जहां इस मौसम में बदलाव आते ही सर्दी-जुकाम जैसी आम समस्या से बचे रहने के लिए हर उम्र के लोगों को सही प्रकार से देखभाल करने की आवश्यकता होती है, वहीं नवजात शिशुओं को इस मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा की जरूरत होती है। अगर बच्चों में खांसी, नाक बहना, बुखार, सांस लेने में कठिनाई (पसली चलना या हांफना), कुछ भी खा और पी रहा हो, बहुत सुस्त हो, बेहोशी जैसी हालत हो इत्यादि में से कुछ भी लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ये लक्षण गंभीर निमोनिया जैसी बीमारी के खतरे का संकेत हैं।

कम होती है प्रतिरोधक क्षमता

इस मौसम में पांच साल से कम उम्र के बच्चों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है, क्योंकि बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से बच्चे जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। पांच वर्ष तक के अधिकतर बच्चों को श्वसन प्रणाली के संक्रमण से ग्रसित होने का खतरा अधिक होता है। यदि उचित समय पर इलाज नहीं हुआ तो बच्चों को निमोनिया हो सकता है।

इन कारणों से होता है संक्रमण

यूनिसेफ की 2015 रिपोर्ट के अनुसार भारत में पांच साल से कम उम्र के लगभग 5.1 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु श्वसन तंत्र संक्रमण के कारण हुई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 4 के अनुसार झांसी जिले में पांच साल से कम उम्र के लगभग 3.4 प्रतिशत बच्चे श्वसन तंत्र संक्रमण से ग्रसित हैं। बच्चों में श्वसन तंत्र में संक्रमण होने के प्रमुख कारण हैं- जैसे कि हाथ न धोना, स्तनपान न कराना, टीकाकरण न कराना, समय से इलाज न कराना आदि। ऐसे में बच्चों में निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है, जिसके बचाव के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाना बहुत जरूरी है।

ये है बीमारी की वजह

जिला अस्पताल के डा अतुल गुप्ता, बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया कि इस मौसम में बच्चों में साधारण सर्दी- जुकाम की समस्या बढ़ जाती है। ये वायरल संक्रमण, बैक्टीरिया के कारण होता है और इस वजह से बच्चों के श्वसन तंत्र में संक्रमण हो जाता है। उन्होंने बताया कि इस मौसम में यदि ओपीडी में लगभग 100 बच्चे दिखाने आते हैं तो उनमें से लगभग 25 से 30 बच्चे श्वसन तंत्र संक्रमण से ग्रसित होते हैं। उन्होंने बताया कि इस मौसम में बच्चों को श्वसन तंत्र में संक्रमण न हो उसके लिए बच्चों को सर्दी से बचाना चाहिए। संक्रमित व्यक्तियों से बच्चों को दूर रखें तथा यदि किसी बच्चे में सर्दी-जुकाम, खांसी, सांस लेने में तकलीफ हो तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

क्या है श्वसन तंत्र संक्रमण?

सांस नली में होने वाले संक्रमण को श्वसन संक्रमण कहते हैं। इस संक्रमण का शिकार आमतौर पर छोटे बच्चे और नवजात शिशु होते हैं। इस संक्रमण की वजह से अक्सर सांस नली के ऊपरी हिस्से जैसे- नाक, गला और मुंह में परेशानी होती है। इसकी वजह से छोटे बच्चे ठीक प्रकार से सांस नहीं ले पाते हैं। सांस न ले पाने के कारण कई बार बच्चों की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ जाती है और कई बार मौत भी हो जाती है।

क्या है श्वसन तंत्र संक्रमण के लक्षण?

बच्चे में खांसी, नाक बहना, बुखार, सांस लेने में कठिनाई (पसली चलना या हांफना ), कुछ भी न पी पा रहा हो, बहुत सुस्त हो, बेहोशी जैसी हालत हो इत्यादि में से कुछ भी लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए, ताकि बच्चा स्वस्थ हो सके।