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सावधान! चल रहा है डेंगू माह, इस तरह से करें बचाव

सावधान! चल रहा है डेंगू माह, इस तरह से करें बचाव

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health department announce dengue alert in jhansi

सावधान! चल रहा है डेंगू माह, इस तरह से करें बचाव

झांसी। बारिश के मौसम में मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां अपने पांव पसारने लगती हैं। इसमें डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया व फ़ाईलेरिया जैसी बीमारियां तेजी से फैलने की संभावना बढ़ जाती है। ये बीमारियां फैलाने वाले मच्छर इसी मौसम में सबसे ज्यादा पनपते हैं। प्रत्येक साल जुलाई माह डेंगू माह जागरूकता के रूप में मनाया जाता है। इसी महीने में ज्यादा से ज्यादा संख्या में डेंगू के लिए जागरूक किया जाता है।
रैपिड रिस्पांस टीम का गठन
स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि पिछले पांच वर्षों में जिले में चिकनगुनिया का एक भी रोगी नहीं देखा गया। वहीं, पिछले माह चले मलेरिया माह में 20 जुलाई तक मलेरिया के 27 मरीज पाये गए। इन बीमारियों से निपटने के लिए जिले में जुलाई के दूसरे सप्ताह में रैपिड रिस्पोंस टीम का गठन किया गया। इसके तहत नगरीय एवं ब्लॉक स्तर पर तहत डेंगू, मलेरिया एवं अन्य मरीजों की जल्द से जल्द पहचान कर उनको बेहतर उपचार देना है। इस टीम में जिला सर्विलान्स अधिकारी, इपिडिमियोलोजिस्ट, वरिष्ठ फिजीशियन, बाल रोग विशेषज्ञ एवं पैथोलोजिस्ट को शामिल किया गया है। वहीं ब्लॉक स्तर पर चिकित्साधीक्षक, फार्मासिस्ट, एएनएम और वार्डब्वॉय को शामिल किया गया है। इस टीम का कार्य यह है कि जहां भी वेक्टर ग्रसित रोगी पाया जाता है टीम वहां पहुंचकर उनकी जल्द से जल्द से पहचान कर उनका उपचार करती है। इसके अलावा नगर व ब्लॉक में हो निरंतर हो रहे लार्वीसाईड छिड़काव की जांच करना भी इस टीम का कार्य है।
ये हैं स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े
स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार जिले में इस साल (2018 में) 20 जुलाई तक मलेरिया के 87 रोगी पाए जा चुके हैं। इससे पहले 2017 में 278, 2016 में 290 और 2015 में 392 रोगी पाए गए थे। इसी तरह से वर्ष 2015 में डेंगू के 58, 2016 में 106 और वर्ष 2017 में डेंगू के 8 मरीज पाए गए। इस बार भी डेंगू की संभावनाओं के मद्देनजर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
जिला वेक्टर अधिकारी राजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि जिले में चिकनगुनिया और फ़ाईलेरिया कभी भी इतना प्रभावी नहीं रहा है। चिकनगुनिया और फाइलेरिया के रोगी अक्सर कहीं दूसरे स्थान से आते हैं और वहीं इनके द्वारा कभी-कभार फैलने का कारण बन जाते हैं। खास बात यह है कि पिछले पांच वर्षों में जिले में चिकनगुनिया का एक भी मामला सामने नहीं आया है। वहीं फाइलेरिया भी जनपद में लगभग पूरे तरीके से समाप्त हो चुका है। हालांकि 2014 में जनपद में एक साथ 90 फाइलेरिया के रोगी खोजे गए थे।
मच्छरों के खात्मे पर जोर
जिला वेक्टर अधिकारी ने बताया कि बारिश का मौसम आते ही डेंगू व मलेरिया आदि बीमारियों बढ़ने लगती है और जहां पानी जमा होने लगता है वहां मच्छर भी पनपने लगते है। मच्छरों को शुरूआती स्टेज में खत्म करने पर सबसे अधिक ज़ोर दिया जाता है, जिससे वो पनपने ही न पाएं। इसके लिए लार्वीसाईड स्प्रे का छिड़काव किया जाता है, जिससे मच्छरों के लार्वा शुरूआती चरण में ही नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि डेंगू, मलेरिया आदि फैलाने वाले मच्छर अगस्त से नवंबर तक प्रभावी रहते हैं क्योंकि यह समय इन मच्छरों के लिय सबसे अनूकूल होता है। डेंगू और चिकनगुनिया का एडीज मच्छर दिन में काटता है। वहीं मलेरिया का एनोफिलीज़ मच्छर रात में और फ़ाइलेरिया का क्यूलेक्स बिसनोई मच्छर दिन में काटता है लेकिन उसका असर तब ज्यादा फैलता है जब व्यक्ति शांत अवस्था में बैठा हो।
ये हैं मलेरिया के लक्षण-
· सर्दी के साथ एक दिन छोडकर बुखार आना
· उल्टी, सिरदर्द, बुखार उतारने के बाद पसीना निकलना
· कमजोरी आना
ये हैं डेंगू के लक्षण-
· तीज बुखार, सिरदर्द, बदन व जोड़ों में दर्द, शरीर पर लाल दाने
· खून की उल्टी
· पेशाब व माल में खून आना
ये हैं चिकनगुनिया के लक्षण-
· तेज बुखार, मांस पेशियों, कमर व जोड़ों में बहुत तेज दर्द व सूजन आना
· शरीर पर लाल दानें व चकत्ते पड़ जाना
ये हैं फाइलेरिया के लक्षण-
· जाड़ा लगकर बुखार आना
· हाथ पैर, अंडकोष, स्तन आदि अंगों में सूजन आना एवं दर्द होना
ऐसे करें बचाव-
वेक्टर जनित रोगों से बचाव के बारे में जिला वेक्टर अधिकारी ने बताया कि सभी मच्छर रुके हुये और साफ पानी में अंडे देते हैं इसलिए रुके हुये पानी के स्थान को भर दें या कुछ बूंदे मिट्टी के तेल की डाल दें। घर में भरे हुये कूलर को सप्ताह में एक बार अवश्य साफ करें। डेंगू चिकनगुनिया का मच्छर दिन में काटता है तो पूरी आस्तीन के कपड़े व मोजे अवश्य पहनें। घर और छतों पर पड़े अनावश्यक पत्रों को हटा दें और सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। वहीं बुखार आने पर पैरासिटामोल दवा खाएं एवं अस्पताल में पूर्ण जांच कराकर उपचार कराएं।