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कालू कुत्ता मर गया पूरा गांव रोया, लाखन सिंह ने तेरहवीं भोज दिया सबने खाया और श्रद्धाजंलि दी जानें

locationझांसीPublished: May 24, 2022 05:42:41 pm

कालू नहीं रहा। 21 वर्ष कालू कुत्ते ने पूरे घर की रखवाली का जिम्मा संभाल रखा था। पर 11 मई को कालू मर गया। पूरा परिवार सदमे में आ गया। परिवार ही नहीं पूरा मोहल्ला रोया। मालिक लाखन सिंह यादव ने कालू का हिंदू रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया। और आज तेरहवीं मनाई। जानेंं क्या और किया कि लोग चौंक गए

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कालू नहीं रहा। 21 वर्ष कालू कुत्ते ने पूरे घर की रखवाली का जिम्मा संभाल रखा था। कभी घर में किसी बाहरी हिम्मत नहीं हुई कि वह घुस जाए। बहुत से लोग तो कालू को देखकर घर में घुसने की अपनी हिम्मत ही छोड़ देते थे। और बिना मिले ही चले जाते थे। चोर, लुटेरे तो घर की तरफ देखने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाते थे। और दूर से सलाम कर निकल जाते थे। पर 11 मई को कालू मर गया। पूरा परिवार सदमे में आ गया। परिवार ही नहीं पूरा मोहल्ला रोया। मालिक लाखन सिंह यादव ने कालू का हिंदू रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया। और आज तेरहवीं मनाई। करीब 500 लोगों ने इसमें हिस्सा लिया। और कालू को याद कर उसे श्रद्धाजंलि दी।
 

पालतू जानवरों से प्यार करने की कड़ी में एक और नया नाम जुड़ गया। मामला झांसी जिले के पूंछ कस्बे का है। लाखन सिंह यादव का पालूत कुता कल्लू मर गया। लाखन सिंह यादव ने हिंदू रीति-रिवाज के साथ उसका अंतिम संस्कार किया। और उसकी याद में तेरहवीं का आयोजन किया। जिसमें करीब पांच सौ लोगों ने हिस्सा लिया। यह तेरहवीं भोज पूंछ कस्बे के साथ ही पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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दुखी लाखन सिंह यादव ने बताया कि, 13 दिन पहले उसके पालतू कुत्ते कालू की मौत हुई थी। कालू दो दशक से मेरे परिवार का सदस्य था। अचानक उसकी मौत हो गई तो हमने विधि विधान से उसका अन्तिम संस्कार करने का निर्णय लिया। रीति-रिवाज के साथ उसका अंतिम संस्कार किया। उसकी मृत्यु के 13 दिन बाद उसका मुत्यु भोज कराया।
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ग्रामीणों का कहना है कि, कालू को लाखन सिंह यादव वर्ष 2001 में लाए थे। और तभी से घर की रखवाली कर रहा है। उसके रहते कभी चोरी की घटना नहीं हुई। और चौकीदारी के लिए कभी कर्मचारी नहीं रखना पड़ा। कई बार चोरों ने चोरी की कोशिश की लेकिन कालू ने चोरों दूर भगा दिया।
 

कालू को याद करते हुए लाखन सिंह यादव ने बताया कि, कालू ने जीवनभर हमारा सहयोग किया। उसकी मौत होनें पर हमने उसे नदी में प्रवाहित किया।

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