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पुरुषोत्तम मास में शिवलिंग निर्माण के साथ ही सजाया फूल बंगला, लगाया 56 भोग

पुरुषोत्तम मास में शिवलिंग निर्माण के साथ ही सजाया फूल बंगला, लगाया 56 भोग

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phool bangla in kunj bihari temple jhansi

पुरुषोत्तम मास में शिवलिंग निर्माण के साथ ही सजाया फूल बंगला, लगाया 56 भोग

झांसी। पुरुषोत्तम मास के उपलक्ष्य में सिविल लाइन ग्वालियर रोड स्थित कुंजबिहारी मंदिर में चल रहे कथा महोत्सव एवं सवा लाख शिवलिंग निर्माण का फूल बंगला श्रृंगार, हवन पूजन, 56 भोग एवं विशाल भंडारे के साथ समापन हो गया। 22 मई से प्रात: 9 बजे से 11 बजे तक चल रहे सवा लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण में आज संकल्प मूर्ति के उपरांत अधिक मास ज्येष्ठ पूर्णिमा घर विद्वान आचार्यों द्वारा उपाध्याय महाराज के निर्देशन में विविधवत पार्थिव शिव परिवार का पूजन कराया गया। बाद में महंत राधामोहन दास के सानिध्य में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने हवन कुण्ड में आहुतियां डालीं।

किया गया मनमोहक श्रृंगार

प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर में विराजमान सभी विग्रह मूर्तियों का अभिषेक के बाद मनमोहक श्रृंगार किया गया। सायंकालीन बेला में भगवान कुंजबिहारी सरकार एवं राधिका जी के श्री चरणों में भव्य एवं दिव्य फूल बंगला समर्पित कर उन्हें 56 भोग अर्पित किया गया। इस मौके पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या में बुन्देलखण्ड के ख्यातिलब्ध कलाकारों ने शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुतियां देकर अपनी हाजिरी लगाई। सायंकाल 6 बजे से नगर के सभी मंदिरों के महंत, पुजारियों, साधु संतों एवं विप्रजनों को भंडारा परोसा गया तथा साधु संतों को बुन्देलखण्ड धर्माचार्य महंत राधा मोहनदास ने विदा किया। रात्रि में शयन आरती उपरांत सभी भक्तगणों एवं नगर के हजारों श्रद्धालुओं ने भंडारे का प्रसाद पाया। देर रात्रि तक भगवान के दर्शनों के लिए भीड़ उमड़ती रही।

श्रीमद् भागवात कथा सुनाई

उधर, सिविल लाइन मनुविहार स्थित मां वैष्णव मंदिर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस का प्रसंग सुनाते हुए श्रीधाम वृंदावन से आए कथा व्यास डा. मनोज मोहन शास्त्री ने कहा कि दूसरे से ईर्ष्या एवं द्वेष रखने वाले लोग पृथ्वी पर पर्वत और समुद्र से अधिक भारी होते हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को नमक हराम, कृतघ्न और एहसान फरामोश नहीं होना चाहिए, जिसके जीवन में उदारता होती है उसका यश होता है। कोई भी लोभ हो जैसे तन, मन, या धन का लोभ हो उसका परित्याग करना चाहिए अन्यथा जीवन में यश नहीं प्राप्त कर सकोगे।