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चाइल्डलाइन हेल्पलाइन 1098 की हकीकत जानने आम नागरिक बनकर फोन किया—NHRC मॉनिटर हुए नाराज़

हेल्पलाइन पर सूचना दी कि "मंडावा मार्ग पर एक बच्चा रो रहा है, कृपया उसकी सहायता करें। लेकिन हेल्पलाइन की ओर से जो जवाब मिला, उसने उन्हें चौंका दिया। जवाब मिला—आप उसे थाने में छोड़ आइए। इस असंवेदनशील प्रतिक्रिया पर गोयल ने तीखी नाराजगी जताई और कहा, यदि खुद ही थाने लेकर जाना है तो फिर हेल्पलाइन का क्या औचित्य है? क्या इसी तरह चाइल्डलाइन काम करती है?

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NHRC special monitor

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के विशेष मॉनिटर बालकृष्ण गोयल झुंझुनूं दौरे पर रहे। कार्यालयों के निरीक्षण से पहले उन्होंने चाइल्डलाइन हेल्पलाइन 1098 की कार्यप्रणाली को परखने के लिए खुद को आम नागरिक बताकर कॉल किया। उन्होंने हेल्पलाइन पर सूचना दी कि "मंडावा मार्ग पर एक बच्चा रो रहा है, कृपया उसकी सहायता करें। लेकिन हेल्पलाइन की ओर से जो जवाब मिला, उसने उन्हें चौंका दिया। जवाब मिला—आप उसे थाने में छोड़ आइए। इस असंवेदनशील प्रतिक्रिया पर गोयल ने तीखी नाराजगी जताई और कहा, यदि खुद ही थाने लेकर जाना है तो फिर हेल्पलाइन का क्या औचित्य है? क्या इसी तरह चाइल्डलाइन काम करती है? उन्होंने इस व्यवहार को गंभीर लापरवाही करार देते हुए इसकी समीक्षा की आवश्यकता बताई।

पत्रिका से विशेष बातचीत में गोयल ने कही ये अहम बातें:

प्रश्न: आपने विभिन्न विभागों का निरीक्षण किया है, क्या कोई खामियां मिलीं?

उत्तर: देवरोड स्थित पीएम श्री स्कूल का निरीक्षण किया गया। स्कूल में सूचना बोर्डों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता पाई गई। बुधवार को जिले के अधिकारियों के साथ बैठक होगी। किसी भी प्रकार का मानवाधिकार हनन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

प्रश्न: ईंट भट्टों पर मजदूरों को बंधुआ बनाकर काम कराने की शिकायतें आती रहती हैं, इन पर क्या कार्रवाई होती है?

उत्तर: ऐसी सभी शिकायतों पर हमारी जांच विंग द्वारा ग्राउंड ज़ीरो पर जाकर निष्पक्ष जांच की जाती है और आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है।

प्रश्न: थानों में मौत के बढ़ते मामलों को लेकर क्या रुख रहेगा?

उत्तर: मंड्रेला और खेतड़ी थानों में दो मौतें हुई हैं। मैंने एसपी से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट की तथ्यों के आधार पर जांच होगी। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि किन मामलों में एफआईआर कैंसिल की गई है।

प्रश्न: आम नागरिक आयोग में शिकायत कैसे दर्ज कर सकते हैं?

उत्तर: आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर लिखित शिकायत की जा सकती है। साथ ही आवश्यक साक्ष्य भी अटैच किए जा सकते हैं।

प्रश्न: कुछ लोग अपने निजी वाहनों पर मानवाधिकार के नाम से एनजीओ चला रहे हैं, क्या यह वैध है?

उत्तर: हमने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि मानवाधिकार के नाम से कोई भी एनजीओ पंजीकृत नहीं किया जाएगा। ऐसी शिकायतें मिलने पर सख्त कार्रवाई की जा रही है।


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