
मनीष मिश्रा/झुंझुनूं. राजस्थान की शिक्षा में अग्रणी झुंझुनूं जिले में जानलेवा बीमारी एड्स ने खतरे की घंटी बजा दी है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने जल्द ही कोई ठोस प्रयास नहीं किए तो हालात विकट होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। महिला व बच्चे भी तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैड्ड। सरकारी आंकडों की माने तो पिछले चार साल में हर माह बीमारी से पीडि़त चार लोग काल का ग्रास बन रहे हैं।
वहीं जानकारों का कहना है कि हकीकत में मौतों की संख्या ज्यादा है। जिले में रोगियों को राहत देने के लिए बीडीके अस्पताल में एआरटी सेन्टर संचालित किया जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार गर्भवती महिलाओं और नवजातों को सर्वाधिक खतरा मंडरा रहा है।
पुष्ठि होने पर इलाज के निर्देश
जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग की ओर से पहले किसी मरीज की सीडी फोर 500 से कम होने पर ही किसी व्यक्ति का इलाज शुरू करने के निर्देश दिए गए थे।लेकिन जिले सहित प्रदेशभर में बढ़ती एड्स पीडि़त रोगियों की संख्या को देखते हुए एचआईवी पॉजीटिव आने पर ट्रीट ऑल पॉलिसी के तहत उसी दिन से दवाई शुरू करने के निर्देश जारी किए हैं।
योजनाओं का नहीं उठा पा रहे फायदा
राज्य सरकार की ओर से बीमारी से पीडि़त मरीजों के लिए कई जनकल्याणकारी योजनाएं चला रखी है।जिसमें समाज कल्याण की पालनहार, रोडवेज की ओर से किराए में छूट, रसद विभाग की ओर से अंत्योदय योजना, ब्लड बैंक में निशुल्क ब्लड की सुविधा उपलब्ध है।लेकिन जानकारी के अभाव में केवल कुछेक पीडि़त ही इसका फायदा उठा पा रहे हैं। वहीं अनेक लोक लाज के भय से भी सामने नहीं आ रहे। अनेक दूसरे राज्यों में जाकर उपचार करवा रहे हैं।
2007 में पहला मरीज आया सामने
जानकारी के मुताबिक जिले में वर्ष 2007 में जिला अस्पताल में लिंक एआरटी सेन्टर प्रारम्भ किया गया था, इसी वर्ष सेन्टर पर पहला एड्स पीडि़त रोगी चिन्हित किया गया था।दिनों दिन बढ़ती संख्या को देखते हुए पीडि़त मरीजों को एक ही छत के नीचे सभी सुविधा देने के लिए मार्च 2013 में एआरटी सेन्टर शुरू किया गया।
चार साल में अब तक 191 की मौत
बीडीके अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार जिले में इस जानलेवा बीमारी के जिले में वर्तमान में कुल रजिस्टर्ड मरीजों की संख्या करीब 1049 है। बीमारी से पिछले चार साल में अब तक करीब 191 जनों की मौत हो चुकी है।
बीमारी एक नजर
वर्ष रोगियों की संख्या मौत
2014 ---820--- 19
2015--- 826--- 54
2016--- 960--- 43
2017--- 1049--- 75
इनका कहना है
पम्पलेट, बैनर के अलावा रैलियों के माध्यम से लोगों को बचाव के बारे में बताया जाता है। सेन्टर पर आने वाले मरीजों की काउंसलिंग की जाती है- डॉ. अनिल महालावत,नोडल अधिकारी एआरटी सेंटर राजकीय बीडीके अस्पताल झुंझुनूं
Updated on:
16 Dec 2017 12:21 pm
Published on:
16 Dec 2017 10:59 am
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