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Interview : पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष ने भाजपा के टिकट वितरण पर जताई नाराजगी

Rajasthan Election 2023 : राजस्थान में नौ बार विधायक और पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष रहीं 93 वर्षीय सुमित्रा सिंह ने राजनीति में महिलाओं को कम मौका दिए जाने पर नाराजगी जताई है।

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जयपुर. Rajasthan election 2023 : राजस्थान में नौ बार विधायक और पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष रहीं 93 वर्षीय सुमित्रा सिंह ने राजनीति में महिलाओं को कम मौका दिए जाने पर नाराजगी जताई है। उनका मानना है कि महिलाओं को मुख्य धारा से जोडऩे के लिए दोनों दलों को ही टिकट वितरण में महिलाओं को प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने भाजपा के टिकट वितरण पर भी नाराजगी जताई है। वे मंगलवार को झुंझुनूं में भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले राजेन्द्र भाम्बू के साथ खड़ी नजर आईं। पिछले चुनाव में निर्दलीय बबलू चौधरी का समर्थन किया था, अब विरोध क्यों? इस पर उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में मुझसे भूल हो गई। उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश...

क्त आप भाजपा से चुनाव लड़ीं, विधानसभा अध्यक्ष रहीं, फिर विरोध क्यों ?
दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि यदि हाईकमान कोई गलती करता है तो कार्यकर्ताओं को उसे सुधारना चाहिए। झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र का सबसे पहले प्रतिनिधित्व करने वाले नरोत्तम लाल जोशी अच्छे पढ़े लिखे थे। वे पहले विधानसभा अध्यक्ष रहे, मैंने भी एमए तक पढ़ाई की और विधानसभा अध्यक्ष रहीं। ऐसे विधानसभा क्षेत्र में अपने आप को मैट्रिक पास बताने वाला कैसे प्रतिनिधित्व कर पाएगा ।

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आपके बेटे को टिकट नहीं मिला, इसलिए तो विरोध नहीं कर रहीं ?
नहीं, बेटे को टिकट नहीं मिला तो कोई बात नहीं, लेकिन किसी पढ़े-लिखे को टिकट देना चाहिए था। मेरा बेटा एमए पास है, राजेन्द्र भाम्बू भी लॉ ग्रेजुएट है। ऐसे में सबसे कम शिक्षित को टिकट देने का कोई तुक नहीं था।

भाम्बू को समर्थन का क्या कारण?
क्योंकि वे टिकट वितरण के फैसले के खिलाफ होकर चुनाव लड़ने को तैयार हुए हैं। साथ ही सामाजिक कार्यों में भी आगे रहे हैं। इसलिए मैं उनके साथ हूं।

महिलाओं के मुद्दे पर पार्टी से क्या कहेंगी ?
ऐसी महिलाएं जो हिम्मत करके चुनाव लड़ने को तैयार होती है, अपने क्षेत्र में एक्टिव रहती हैं उन्हें चुनाव में मौका जरूर दिया जाना चाहिए।

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महिला आरक्षण की बात पर क्या कहेंगे ?
देखिए, सरकार चाहती तो इसी चुनाव से इस पर अमल किया जा सकता था। वर्ष 1952 और 57 में खेतड़ी में दो सीटें थीं, इनमें एक सामान्य और एक एससी के लिए आरक्षित थीं। उस तरीके से चाहते थे तो इस बार भी लॉटरी निकाल कर 33 प्रतिशत सीटों को महिला के लिए आरक्षित किया जा सकता था।