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झुंझुनूं के बास बिसना गांव में मिल रही सिंदूरी अनार व नींबू की पौध

उद्यान विभाग के उप निदेशक उत्तम सिंह सिचायच ने बताया कि बास बिसना गांव की सरकारी नर्सरी के पौधे शेखावाटी की तेज सर्दी, भीषण गर्मी सहन करने की क्षमता रखते हैं। पौधे यहीं की मिट्टी में तैयार किए जाते हैं।

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झुंझुनूं के बास बिसना गांव की नर्सरी में नींबू की पौधों की विशेषता बताते अ​धिकारी।

खेतों में बाग लगाकर आमदनी करने वाले किसानों के लिए खुश खबर है। अब किसानों को सिंदूरी अनार की असली पौध लेने के लिए महाराष्ट्र तथा बेर की गोला व सेब किस्म की पौध लेने जोधपुर के काजरी व अन्य जगह नहीं जाना पड़ेगा। अब बड़े पैमाने पर किसानों को उन्नत किस्मों की पौध उद्यान विभाग की सरकारी नर्सरी राजस्थान के झुंझुनूं जिले के बास बिसना गांव में मिल जाएगी। यहां तैयार अधिकांश पौधे लगभग सात से आठ माह के हो गए हैं। ऐसे में उनको दूसरी जगह लगाने में भी आसानी रहेगी। इस वर्ष पड़ी भीषण गर्मी का मौसम वे सहन भी कर चुके।

यह पौध तैयार

नर्सरी के मैनेजर विकास कुमार ने बताया कि भाटीवाड़ गांव के निकट सरकारी राजहंस नर्सरी बास बिसना में इस समय किसानों व आमजन को सस्ती दरों पर सिंदूरी अनार, बारहमासी नींबू, बेर की गोला व सेब किस्म की पौध मिल जाएगी। इनके अलावा बील, लेहसुआ व नीम सहित अन्य उपयोगी फलदार पेड़ों की पौध भी तैयार है। सुबह से लेकर शाम तक किसी भी दिन आमजन को पौध मिल जाएगी। झुंझुनूं जिले के अलावा, सीकर, चूरू, नीमकाथान सहित राजस्थान के किसी जिले का व्यक्ति पौध खरीद सकता है।

सबसे बड़ी विशेषता

उद्यान विभाग के उप निदेशक उत्तम सिंह सिचायच ने बताया कि बाजार में सड़क किराने नर्सरियों में बिक रही अधिकांश पौध शेखावाटी की जलवायु व यहां के मौसम के अनुकूल नहीं है। ऐसे में पौधे एक बार तो उग जाते हैं। वे उनकी पैकिंग चमाचम रखते हैं, लेकिन बाद में यह पौधे यहां की सर्दी व गर्मी सहन नहीं कर पाते। जबकि बास बिसना गांव की सरकारी नर्सरी में बिकने वाले पौधे इसी गांव में तैयार किए जाते हैं। वे शेखावाटी की तेज सर्दी, भीषण गर्मी सहन करने की क्षमता रखते हैं। पौधे यहीं की मिट्टी में तैयार किए जाते हैं। इसलिए अगर नियमित सार संभाल कर ली जाए तो वे मौसम सहन कर लेते हैं। फलदार पेड़ों का बगीचा लगाने पर सरकार अनुदान भी दे रही है।

ऐसे पहुंचे

नजदीक में भाटीवाड़ गांव है। झुंझुनूं से उदयपुरवाटी जाने वाले मार्ग पर बडागांव से मार्ग जाता है। इसके अलावा केड व चनाना होते हुए भी सरकारी नर्सरी तक पहुंचा जा सकता है।

इनका कहना है

अनार की सिंदूरी किस्म इस समय सबसे श्रेष्ठ है, अब किसानों को असली पौध लेने के लिए महाराष्ट्र या दूसरी जगह नहीं जाना पड़ेगा। वहीं बेर की गोला व सेब किस्म के पौधे भी बास बिसना नर्सरी में मिल रहे हैं। इस बार बड़े पैमाने पर पौध लगाए गए हैं।

शीशराम जाखड़, सहायक निदेशक, उद्यान विभाग, झुंझुनूं