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राजस्थान के खिलाड़ी ओलम्पिक में कैसे जीतें पदक, दोनों सरकार नहीं खुलवा रही खेल विवि

दोनों ही दल युवाओं से किए वादे से मुकर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि राजस्थान का पहला खेल विश्वविद्यालय अभी धरातल पर नहीं आया है। ओलम्पिक के समापन के बाद शेखावाटी के खिलाड़ी फिर से झुंझुनूं में खेल विवि की मांग कर रहे हैं।

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राजस्थान के खिलाड़ी ओलम्पिक में कैसे जीतें पदक, दोनों सरकार नहीं खुलवा रही खेल विवि

राजस्थान के खिलाड़ी ओलम्पिक में कैसे जीतें पदक, दोनों सरकार नहीं खुलवा रही खेल विवि


राजेश शर्मा

झुंझुनंू. जापान की राजधानी टोक्यो में आयोजित ओलम्पिक 2020 में भारत के अनेक राज्यों के खिलाडिय़ों ने पदक जीते, लेकिन राजस्थान के खिलाड़ी चूक गए। क्योंकि सरकार नौकरियां तो दे रही है, लेकिन कोच व मैदानों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। यहां तक कि खेल विवि का सपना दिखाकर भी सरकार भूल गई। राजस्थान के पहले खेल विश्वविद्यालय का "खेल" खत्म ही नहीं हो रहा। इसको लेकर सरकारें सालों से युवाओं को गुमराह कर रही हैं। दोनों ही दल युवाओं से किए वादे से मुकर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि राजस्थान का पहला खेल विश्वविद्यालय अभी धरातल पर नहीं आया है। ओलम्पिक के समापन के बाद शेखावाटी के खिलाड़ी फिर से झुंझुनूं में खेल विवि की मांग कर रहे हैं। वर्ष 2011-12 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी बजट घोषणा में झुंझुनूं में पीपीपी मोड पर खेल विवि की घोषणा की। इसके बाद कुछ एजेंसियां यहां खेल विवि चलाने के लिए आई। लेकिन सरकार व एजेंसियों के बीच कुछ शर्तों को लेकर मामला अटक गया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि अब खेल विवि पीपीपी मोड पर नहीं सरकार अपने स्तर पर चलाएगी। फिर मामला ढीला पड़ गया। तब राजस्थान पत्रिका ने लगातार समाचार अभियान चलाया। इसके बाद सरकार ने फिर प्रयास शुरू किए। विवि के लिए दोरासर गांव में जमीन का आवंटन कर दिया गया।

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कुलपति उठा चुके वेतन
सरकार ने जुलाई 2013 में डॉ. शैलेन्द्र कुमार सिन्हा को प्रथम कुलपति नियुक्त किया, मगर वे नहीं आए। करीब एक माह बाद फिर डॉ. एलएस राणावत को नया कुलपति बनाया गया। उन्होंने करीब 21 माह तक वेतन उठाया। उन्होंने विवि चलाया। यह विवि जयपुर स्थित एसएमएस स्टेडियम के एक कमरे में चला। यह कमरा भी अधिकतर समय बंद ही रहा। अब इस कमरे पर भी ताला जड़ दिया गया है।

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भाजपा ने केवल नाम बदला
फिर भाजपा की सरकार आई। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि कांग्रेस ने खेल विवि के नाम पर युवाओं को गुमराह किया है। उन्होंने बजट घोषणा में कहा कि झुंझुनूं में खेल विवि नहीं, बल्कि उससे भी बड़ा राष्ट्रीय खेल संस्थान बनाया जाएगा। यह संस्थान पटियाला की तर्ज पर होगा। राज्य की सभी 15 खेल अकादमियों को इससे सम्बद्ध किया जाएगा। लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ। मौके पर अभी शिलान्यास तक नहीं हुआ।

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सातों विधायक चुप
जिले से सात विधायक हैं, लेकिन ढाई साल में एक भी विधायक ने विधानसभा में खेल विवि के बारे में सवाल नहीं उठाया।

इनका कहना है
झुंझुनूं में खेल विवि खुलना चाहिए। विवि खुलने से युवाओं को फायदा होगा। उनके खेल में और सुधार होगा। उनको खेल की नई तकनीक सीखने को मिलेगी।
-दर्शन सिंह जोडिय़ा,
अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी, झुंझुनूं

अभी खिलाड़ी कुछ खेलों तक ही सीमित हैं। विवि खुलने के बाद खिलाडिय़ों को अनेक प्रकार के खेलों की जानकारी मिलेगी। नए कोच आएंगे। इससे केवल झुंझुनूं को नहीं बल्कि पूरे राजस्थान को फायदा होगा। खेल विवि खुलना चाहिए।
श्रद्धानंद यादव, रणजी खिलाड़ी


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