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पांच भाषा लिख व पढ़ सकते थे राजा अजीत सिंह

स्वामी विवेकानंद को विश्वधर्म परिषद और यूरोपीय देशों में धर्म प्रचारर्थ भिजवाने में राजा अजीत सिंह का सबसे बड़ा योगदान रहा है। राजा अजीत सिंह व स्वामी विवेकानंद की मित्रता प्रसिद्ध थी। इसी कारण स्वामी विवेकानंद अपने जीवन काल में तीन बार खेतड़ी आए थे। अजीत सिंह 1870 ई. में खेतड़ी नरेश बने। खेतड़ी नरेश अजीत सिंह अपने सम - सामयिक राजस्थानी राजाओं और प्रजा में बड़े लोकप्रिय शासक थे। पांच भाषा लिख व पढ़ सकते थे राजा अजीत सिंह

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पांच भाषा लिख व पढ़ सकते थे राजा अजीत सिंह

पांच भाषा लिख व पढ़ सकते थे राजा अजीत सिंह

Swami vivekanand and raja Ajeet singh


स्वामी विवेकानंद से थी अजीज मित्रता

झुंझुनूं. जब हिन्दुस्तान में ब्रिटिश हुकूमत थी, तब खेतड़ी की रियासत कोटपूतली तक हुआ करती थी। स्वामी विवेकानंद के अजीज मित्र अजीत सिंह भी खेतड़ी रियासत के नरेश (राजा) रह चुके। अजीत सिंह का जन्म आज ही के दिन 16 अक्टूबर 1861 ई. को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के अलसीसर कस्बे में हुआ था। आज उनकी जयंती है।
विवेकानंद व राजा अजीत सिंह पर रिसर्च कर चुके डॉ. जुल्फीकार भीमसर के अनुसार
उनके पिता का नाम छान्तु सिंह और मां उदावत थी। मात्र छह वर्ष की आयु में अजीत सिंह के ऊपर से माता - पिता का साया उठ गया था।
खेतड़ी नरेश फतेह सिंह ने अलसीसर प्रवास के दौरान अजीत सिंह को दत्तक पुत्र बनाया था। अजीत सिंह 1870 ई. में खेतड़ी नरेश बने। खेतड़ी नरेश अजीत सिंह अपने सम - सामयिक राजस्थानी राजाओं और प्रजा में बड़े लोकप्रिय शासक थे। उन्हें हिन्दी, अग्रेजी, उर्दू, संस्कृत और राजस्थानी सहित 5 भाषाओं का ज्ञान था। वे पांचों भाषा पढ़ व लिख सकते थे। स्वामी विवेकानंद को विश्वधर्म परिषद और यूरोपीय देशों में धर्म प्रचारर्थ भिजवाने में राजा अजीत सिंह का सबसे बड़ा योगदान रहा है। अमरीका में स्वामीजी ने उन्हें बताया कि वास्तव में भारत क्या है, उनके मुख से प्राचीन ग्रंथों की नई व्याख्या सुनकर वे चकित रह गए। तब अमरीका के सभी प्रमुख अखबारों में स्वामीजी के फोटो और उनका परिचय प्रकाशित हुआ था। राजा अजीत सिंह व स्वामी विवेकानंद की मित्रता प्रसिद्ध थी। इसी कारण स्वामी विवेकानंद अपने जीवन काल में तीन बार खेतड़ी आए थे।

राजा अजीत सिंह

जन्म : 16 अक्टूबर, 1861
निधन: 18 जनवरी, 1901


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